नए साल के पहले दिन 1 जनवरी को 100 दिवसीय पढ़ाई अभियान ‘पढ़े भारत’ का शुभारंभ किया गया। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस अभियान की शुरुआत की।
पढ़े भारत अभियान कक्षा आठ तक के बच्चों के लिए शुरू किया गया है, यह 1 जनवरी से 10 अप्रैल 2022 तक 100 दिनों यानी 14 हफ्तों तक चलाया जाएगा।
Reading books is a healthy habit and a wonderful way to develop cognitive, language, and social skills.
Inspired by PM @narendramodi‘s call to citizens to read books regularly, I am committed to cultivate a lifetime habit of book reading. #PadheBharat pic.twitter.com/XvwQ0Vsry8
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) January 1, 2022
पढ़ाई अभियान का उद्देश्य बच्चों, शिक्षकों, अभिभावकों, समुदाय, शैक्षिक प्रशासकों आदि सहित राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर सभी हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। 100 दिनों का अभियान चौदह सप्ताह तक जारी रहेगा और प्रति समूह प्रति सप्ताह एक क्रियाकलाप को इस रूप में डिजाइन किया गया है ताकि पढ़ाई को मनोरंजक बनाया जा सके और पढ़ाई का आनंद आजीवन बना रहे।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने अपने ट्वीट के साथ पांच पुस्तकों की सूची भी जारी की जिन्हें उन्होंने पढ़ने के लिये चुना है। इसमें जेम्स क्लीन रचित एटोमिक हैबिट, रस्किन बांड की अ लिटिल बुक आफ हैप्पीनेस, स्वामी विवेकानंद की रिफ्लेक्शन्स, के राधानाथ राय की चिल्का और फकीर मोहन सेनापति की प्रायश्चित शामिल है।
I am sharing the names of the 5 books that I have picked to begin reading.
I encourage everyone, especially my young friends to adopt the habit of reading books. Also, do share with me what you are reading and what I should read next. #PadheBharat pic.twitter.com/OhU4exdHO9
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) January 1, 2022
क्रियाकलापों का उम्र के अनुसार उपयुक्त साप्ताहिक कैलेंडर सहित पढ़ाई अभियान पर एक व्यापक दिशानिर्देश तैयार करके राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है। शिक्षकों, माता-पिता, साथियों, भाई-बहनों या परिवार के अन्य सदस्यों की मदद से बच्चों द्वारा ऐसे क्रियाकलाप संपन्न किए जा सकते हैं। अभियान को प्रभावी बनाने के लिए, डिज़ाइन किए गए क्रियाकलापों को सरल और आनंददायक रखा गया है, ताकि इन्हें घर पर उपलब्ध सामग्रियों/संसाधनों के साथ तथा स्कूल बंद होने की स्थिति में माता-पिता, साथियों और भाई-बहनों की मदद से आसानी से पूरा किया जा सके।