बारिश के इस मौसम में बाराबंकी की आराधना के परिवार को पहले की तरह अब डर नहीं सताता कि भारी बारिश से कहीं उनके कच्चे मकान की दीवार न ढह जाए। परिवार के सभी लोग निश्चिंत होकर सो पाते हैं।
“बारिश का मौसम हमेशा डराने वाला होता है, शायद आपको यक़ीन न हो लेकिन बारिश के मौसम में मैं, मेरे छोटे भाई-बहन पूरी रात एक तख़्त के ऊपर छप्पर के नीचे बैठे रहते। फिर भी पानी की तेज़ बौछारें हमारे बचने की लाख कोशिश के बाद भी भिगों देती, “22 साल की आराधना ने गाँव कनेक्शन को बताया। आराधना का परिवार उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले के अयोध्या गाँव में रहता है।
“हर साल बारिश आने के पहले हम लोग सोचते थे इस बार बरसात कैसे कटेगी। पिताजी किसान हैं और थोड़ा सा ही खेत है कई सालों से कोशिश के बाद भी इतना पैसा नहीं जुटाया जा सका कि रहने भर की व्यवस्था की जा सके, “आराधना ने बताया।
कच्चे दीवारों के घर से अब उनका परिवार पक्के घर में रहने लगा है, आराधना आगे कहती हैं, “पहले एक कच्चा कमरा बना हुआ था, लेकिन उसकी दीवारें दरक गयी थी, बारिश के मौसम में मेरा परिवार उस कमरे में इस डर से नहीं सोता था क्योंकि वो कभी भी ढह सकता था।“
वो आगे कहती हैं, “डेढ़ साल पहले मेरे परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कालोनी मिली, जिसमे थोड़े बहुत और पैसे मिलाकर दो पक्के कमरे, एक छोटा हाल और सरकारी योजना से ही घर के अन्दर शौचालय बन गया है।“
ये सिर्फ आराधना की कहानी नहीं है, छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जनपद में आने वाले मोहतरई गाँव के धनंजय सरोवर का परिवार भी अब पक्के घर में रहता है। धनंजय गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “बचपन से ज़वानी तक कच्चे मकान में गुजरा है, बारिश का मौसम गाँव के गरीब परिवारों के लिए हमेशा डराने वाला होता है, माँ, बाबूजी, भाई, बहन एक कच्चे कमरे के मकान में रहते थे , बहुत कोशिश करने के बाद भी बाबूजी पक्की छत नहीं बना पाए थे।”
प्रधान मंत्री आवास योजना- ग्रामीण के तहत पक्के घर का सपना हुआ पूरा!
कोरिया, #Chhattisgarh के श्री हीरालाल को मिली कच्चे मकान की टूटी, टपकती छत से निजात।#PMAYG के अंतर्गत बना अपना पक्का आवास; मिली सुरक्षा व सम्मान की छत।#MoRD #HousingForAllhttps://t.co/g646WATDQu pic.twitter.com/Qxn6VsWx3u
— Ministry of Rural Development, Government of India (@MoRD_GoI) July 5, 2023
“लगभग साल भर पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास मिला, अब हमारा भी मकान पक्का है और गाँव घर में लोग सम्मान की नज़र से देखते हैं और मै ही नहीं मेरे गाँव के अधिकांश गरीब परिवारों के मकान पक्के बन गए है, ”धनंजय ने खुशी से बताया।
वहीं पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर ज़िले के कोटाई-3 तहसील के गाँव कुमिर्दा के निवासी बाबू राम डोलाई के 12 लोगों का परिवार कच्चे मकान में रहता था। बाबू राम बताते हैं, “बारिश का मौसम हमेशा डराने वाला होता था, लेकिन अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो पैसे मिले उसमें थोड़े बहुत और मिलाकर पक्के तीन कमरे बना लिया है, सिर के ऊपर जब छत होती है तो बहुत सुकून मिलता है।”
ये कहानी सिर्फ इन तीन लोगों की नहीं है प्रधानमंत्री आवास योजना के ज़रिये वो लोग घर बना सके हैं, जिनके पूर्वज बीते दशकों में पक्के छत का सपना देखते देखते इस दुनिया से चल बसे। प्रधानमंत्री आवास योजना की तरह ही केंद्र सरकार की इंदिरा आवास योजना की मदद लोगों के घर बनाए गए हैं। इसी तरह ही राज्य सरकार की मुख्यमंत्री आवास योजना और यूपी में कांशीराम आवास योजना का भी लोगों को लाभ मिला है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के 7 जुलाई 2023 के आँकड़ों के अनुसार देश भर में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत अब तक कुल प्रथम और द्वितीय दोनों फेज में 2,30,92,887 आवासों का निर्माण किया गया है।
आँकड़ों के अनुसार कुल 2,93,50,312 ग्रामीणों ने इस योजना में गृह निर्माण के लिए आवदेन किया है जिसमें से 2,90,46,430 गृह निर्माण के आवेदनों को स्वीकृत किया गया है। दोनों फेज में अब तक कुल 3,04,758.38 रुपये का बजट ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा गाँवों के कमजोर वर्ग के लोगों के लिए घर बनाने पर ख़र्च किया गया है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने गाँव कनेक्शन को बताया, “साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश भर में तीन करोड़ गरीब वर्ग के लोगों को घर देने का लक्ष्य है जिसे पूरा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है, देश के कुछ राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, तेलंगाना में उम्मीद के अनुसार काम नहीं हो पाया है क्योंकि इसमें राज्य सरकार की भी भूमिका होती है।”
मिट्टी के कच्चे घरों में रहने की परेशानी पर वो कहती हैं, “मेरा ख़ुद का सफर झोपड़ी से शुरू हुआ है, मै जानती हूँ सर पे छत न होने का दर्द क्या होता है, केंद्र सरकार ने देश के कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए सिर्फ आवास ही नहीं दिया, उन्हें शौचालय बनाने के लिए अनुदान के साथ ही बिजली, गैस कनेक्शन और उनके बेहतर इलाज़ के लिए आयुष्मान कार्ड देने का भी काम किया है, हमारा लक्ष्य देश के कमज़ोर वर्ग के लोगों को को बेहतर स्थिति में लाना है।”