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जन स्वास्थ्य संगठन चाहते हैं कि राजस्थान के ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ को मजबूत किया जाए, प्राइवेट डॉक्टर भी इसके विरोध में कर रहे प्रदर्शन

राजस्थान ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ का कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, जिसमें राज्य के हर व्यक्ति को इमरजेंसी की हालत में फ्री इलाज का प्रावधान है। हालांकि सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों ने इसका स्वागत किया है, लेकिन निजी डॉक्टर इसके पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
right to health

जयपुर, राजस्थान। ‘राइट टू हेल्थ बिल’ राजस्थान में एक बड़ी बहस का मुद्दा बन गया है। 21 मार्च को राजस्थान विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद से राज्य में प्राइवेट डॉक्टरों इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। जयपुर के लगभग सभी निजी अस्पतालों ने काम करना बंद कर दिया है और वे हड़ताल पर हैं। डॉक्टर कह रहे हैं कि यह उनके प्रैक्टिस करने की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

राजस्थान देश का पहला और एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां के लोगों को स्वास्थ्य का कानूनी अधिकार -राजस्थान स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार अधिनियम, 2022- मिला है। इसमें राज्य के प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्राइवेट और सरकारी दोनों अस्पतालों में इमरजेंसी की हालत में फ्री इलाज का प्रावधान है। लेकिन राज्य भर के प्राइवेट डॉक्टर कानून को लेकर राज्य सरकार के साथ उलझे हुए हैं। उन्हें डर है कि इससे उनके कामकाज में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।

अपनी अगली रणनीति की योजना बनाने के लिए सैकड़ों निजी डॉक्टर कल 23 मार्च को जयपुर मेडिकल एसोसिएशन मुख्यालय जेएलएन मार्ग, जयपुर में इकट्ठा हुए थे। 22 मार्च को कुछ डॉक्टरों ने विरोध जताते हुए अपने राजस्थान मेडिकल काउंसिल पंजीकरण की प्रतियां जलाईं थीं। मौजूदा समय में, राजस्थान में 2,400 निजी अस्पताल और नर्सिंग होम हैं। इनमें 55,000 निजी चिकित्सक कार्यरत हैं।

निजी अस्पताल और नर्सिंग होम सोसायटी के सचिव डॉ विजय कपूर ने गाँव कनेक्शन को बताया, “यह बिल हमारे कामकाज में भ्रष्टाचार और नौकरशाही के हस्तक्षेप को बढ़ाएगा। हम मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराते हैं। लेकिन, जब यह बिल चलन में आएगा तो हर कोई और कोई भी मुफ्त सेवा पाने की उम्मीद करेगा। इससे हमारी रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा।”

विजय कपूर ने गाँव कनेक्शन को बताया, “अगर जरूरत पड़ी तो हम इसे चुनौती देने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय जाएंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि सभी निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम ने अपनी हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है।

विधेयक के अनुसार, मरीज बिना पूर्व भुगतान के निजी अस्पतालों में इमरजेंसी की हालत में अपना इलाज करा सकते हैं। बाद में, अगर मरीज बिल का भुगतान करने में असमर्थ होता है, तो राज्य सरकार अस्पतालों को इसकी भरपाई करेगी।

हालांकि सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों ने विधेयक का स्वागत किया है। राजस्थान में स्थित एक नागरिक समाज संगठन ‘ जन स्वास्थ्य अभियान’ की राज्य समन्वयक छाया पचौली ने गाँव कनेक्शन को बताया कि यह बिल आम जनता के लिए एक जीवन रक्षक है।

उन्होंने कहा, “निजी डॉक्टर और संस्थान राज्य सरकार की बिना किसी निगरानी के काम कर रहे थे। अब ‘स्वास्थ्य के अधिकार’ विधेयक के साथ वे अपने कार्यों के लिए जवाबदेह होंगे। ये एक ऐसी चीज है जो निजी डॉक्टर नहीं चाहते हैं,” वह आगे कहती हैं, “बिल जनता की भलाई के लिए एक स्वागत योग्य कदम है लेकिन यह मूल मसौदे का एक कमजोर संस्करण है। इसमें और बदलाव की जरूरत है।”

डॉक्टर बिल से नाखुश

2019 में जब स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक का मसौदा प्रकाशित हुआ तब भी चिकित्सा बिरादरी से असंतोष की आवाजें उठ रही थीं। 21 मार्च को राजस्थान राज्य विधानसभा द्वारा इसे पारित किए जाने के बाद से डॉक्टरों की नाराजगी और अधिक मुखर हो गई है।

हालांकि 2019 में विधेयक के मसौदे पर निजी डॉक्टरों की आपत्तियों के बाद राज्य सरकार ने बिल में कुछ बदलाव किए थे। लेकिन डॉक्टर बिल को पूरी तरह से वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

राजस्थान के जयपुर में जयपुर मेडिकल एसोसिएशन में निजी अस्पतालों के सैकड़ों अन्य डॉक्टरों को संबोधित करते हुए एक डॉक्टर ने कहा, “स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक राजस्थान में निजी डॉक्टरों के अधिकारों के खिलाफ है और हम इसके लिए लड़ेंगे।”

राज्य सरकार ने विधेयक में किसी भी तरह के बदलाव से इनकार किया है। विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक में कोई संशोधन नहीं होगा, क्योंकि यह कानून बन चुका है और सभी को इसे स्वीकार करना होगा।

मीणा ने इस महीने 20 मार्च को राज्य विधानसभा में सवालों के जवाब में बताया था, “डॉक्टरों और निजी हितधारकों की मांग को ध्यान में रखते हुए कुछ बदलाव किए गए हैं। लेकिन यह बिल आम जनता के लिए फायदेमंद है जो उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करेगा।”

उधर ‘जन स्वास्थ्य अभियान’ विधेयक के तहत सख्त प्रावधानों की मांग कर रहा है। पचौली ने कहा, “बिल के मूल मसौदे में मरीज निजी अस्पतालों के खिलाफ हेल्पलाइन या वेब पोर्टल के जरिए शिकायत दर्ज करा सकते थे। लेकिन अब मरीज सिर्फ उसी निजी अस्पताल के प्रशासनिक प्रमुख से शिकायत कर सकते हैं जिसके खिलाफ उन्हें शिकायत है। यह उद्देश्य को कमजोर कर देगा।”

बढ़ता विरोध

21 मार्च को प्राइवेट डॉक्टर्स, संयुक्त संघर्ष समिति, प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसाइटी और राजस्थान के यूनाइटेड प्राइवेट क्लिनिक एंड हॉस्पिटल सहित डॉक्टरों और अस्पतालों के कई संगठनों के सदस्य बिल का विरोध करने के लिए पूरे राजस्थान से जयपुर पहुंचे।

वे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में जयपुर मेडिकल एसोसिएशन परिसर में एकत्र हुए, वहां से उन्होंने राज्य विधानसभा की ओर मार्च किया था। बाद में उन्हें स्टेच्यू सर्कल पर पुलिस ने जबरन रोक लिया था।

डॉक्टरों ने बैरिकेड्स को पार करने की कोशिश की। उनके और पुलिस के बीच संघर्ष में कई लोग घायल हो गए थे।

मंगलवार 21 मार्च को भारतीय जनता पार्टी के विधान सभा सदस्यों ने डॉक्टरों पर लाठीचार्ज के विरोध में राज्य विधानसभा सत्र से वॉक आउट किया था।

विपक्ष के नेता राजेंद्र राठौर ने राज्य विधानसभा में कहा, “हजारों डॉक्टरों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने बर्बरता से लाठीचार्ज किया। हम उनके साथ हुई बदसलूकी और बर्बर व्यवहार का विरोध करते हैं।”

राजस्थान स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार अधिनियम, 2022 का संक्षिप्त विवरण

धारा 3 के अंतर्गत राजस्थान के प्रत्येक निवासी को दिए गए अधिकार-

  • · मरीजों को बीमारी के इलाज के साथ जांच, इलाज संभावित जटिलताओं और इलाज पर आने वाले संभावित खर्चे की जानकारी लेने का अधिकार होगा।
  • · राज्य के लोगों को अपने स्वास्थ्य देखभाल के स्तर के अनुसार सभी अस्पतालों में मिलने वाली ओपीडी, आईपीडी सेवाओं, सलाह, दवाइयां, जांच, आपातकालीन परिवहन, प्रक्रिया और आपातकालीन केयर का निशुल्क लाभ उठाने का अधिकार होगा।
  • · मरीजों को आपात स्थिति में एक्सीडेंटल इमरजेंसी, सर्पदंश/जानवर के काटने के कारण इमरजेंसी और राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा तय की गई किसी भी अन्य आपात स्थिति के लिए आवश्यक शुल्क या शुल्क दिए बिना तत्काल और आवश्यक आपातकालीन चिकित्सा उपचार और गंभीर देखभाल शामिल है।
  • · कोई भी प्राइवेट या सरकारी अस्पताल पुलिस अनापत्ति या पुलिस रिपोर्ट प्राप्त नहीं करने के आधार पर उपचार में देरी नहीं करेगा।
  • · मरीज को उचित इमरजेंसी केयर दी जाएगी और स्थिति में सुधार होने के बाद उसे स्थानांतरित किया जाएगा। अगर मरीज अस्पताल के बिलों का भुगतान नहीं कर पाता है, तो अस्पताल उन अपेक्षित शुल्क और चार्जेस को राज्य सरकार से प्राप्त करने का हकदार होगा।
  • · मरीजों के पास पेशेंट के रिकॉर्ड, जांच रिपोर्ट और इलाज के विस्तृत मदवार बिलों तक पहुंच होगी।
  • · मरीज अस्पताल में इलाज करने वाले पेशेवर (डॉक्टर या नर्स) का नाम जानने की मांग कर सकते हैं।
  • · निवासी सभी हेल्थ केयर संस्थानों में मुफ्त परिवहन, मुफ्त उपचार और सड़क दुर्घटनाओं में फ्री बीमा कवरेज का लाभ उठा सकते हैं।

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