उदयपुर, राजस्थान
‘राजस्थान कबीर यात्रा’ की उद्घोषणा करते बैनर उदयपुर की फतेह सागर झील से उठती मीठी बयार में लोग मंत्र मुग्ध हो रहे थे। आसमान साफ है, सूरज ने अपने नारंगी रंग की छटा हर तरफ बिखेरी हुई है, क्योंकि वह छिपने की तैयारी में है। वहीं पास ही में कबीर के प्रशंसक दरियों, सोफे और प्लास्टिक की कुर्सियों पर बड़ी ही तल्लीनता के साथ बैठे हैं। एक ड्रोन उड़ते हुए उनकी तस्वीरें ले रहा है।
यह ‘राजस्थान कबीर यात्रा 2022’ का खूबसूरत मंजर है। सैकड़ों युवा सलवार और टी शर्ट, जींस और टी शर्ट, झुमके, नाक में बाली पहने और शरीर पर टैटू के साथ यहां से वहां भागते नजर आ रहे हैं। उनमें से कई वालंटियर हैं जो इस यात्रा के छठे एडिशन को सफल बनाने के लिए पूरी शिद्दत के साथ काम पर लगे हैं। महामारी के चलते पिछले दो सालों से इस कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो पाया था।
कोटड़ा, फलासिया, कुंभलगढ़, राजसमंद, सलूंबर और भीम गाँवों में 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक देशभर के संगीतकार प्रस्तुति देंगे।
‘राजस्थान कबीर यात्रा’ भारत का सबसे लंबी यात्रा करने वाला लोक संगीत समारोह है। जहां कबीर, मीराबाई, बुल्लेशाह, गोरखनाथ, शाह लतीफ और अन्य संतों के भक्ति, निर्गुण और सूफी कविताओं और गीतों का जश्न मनाया जा रहा है। ये सभी अपनी आवाज में एक गहरे रहस्यवादी परमानंद को साझा करते हैं।
यह लोक संगीत समारोह हर साल राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में सफर पर निकलता है। इसमें अलग-अलग समुदायों के कलाकारों और गायक एक साथ आकर इन लोक कवियों व दार्शनिकों की कलात्मकता को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
यात्रा के पहले दिन कबीर के शांति, सद्भाव और सार्वभौमिक प्रेम के संदेश को फैलाते हुए मेहमानों का स्वागत किया गया। लंबी बेंचों पर कबीर के दोहों से सजे झोलों, पोस्टकार्डों और बैजों की व्यवस्था की गई है…
‘जो सुख पायो राम भजन में, वो सुख नाहीं अमीरी में मन लागो मेरो यार फकीरी में…’
कबीर यात्रा में शामिल हो रहे देश भर के लोक कलाकारों के भक्ति, निर्गुण और सूफी गीतों को #GaonRadio पर भी सुन पाएंगे@KabirYatra #kabiryatra #music #rajasthanculture pic.twitter.com/0YyU63DeN0
— GaonConnection (@GaonConnection) October 1, 2022
भक्ति, बाउल और भी बहुत कुछ
कालूराम बामनिया ने ‘मन मस्त हुआ’ से शुरूआत की। भीड़ ने ताली बजा कर उनकी हौंसला अफजाई की और जोर से जयकार लगाने लगी। कालूराम बामनिया एक लोक गायक हैं जिन्होंने अपने पिता और दादा के साथ कम उम्र में गाना शुरू कर दिया था। उन्हें कबीर, गोरखनाथ, बननाथ और मीरा बाई की परंपराओं में भक्ति संगीत के गायन के लिए जाना जाता है।
सुमित्रा दास गोस्वामी की शानदार प्रस्तुति ‘चलती चक्की देख कर’… ने माहौल को पूरे जोश से भर दिया। सार्वजनिक मंचों पर गाना महिलाओं के बस की बात नहीं माना जाता। दरअसल गोस्वामी राजस्थान के जैतारन पाली जिले के कामद समुदाय से आती हैं, जहां महिलाओं को सार्वजनिक रूप से गाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता।
फिर भी गोस्वामी ने पारंपरिक रुढ़ियों को तोड़कर अपने हुनर को लोगों के सामने ले आई। आज वह देश और दुनिया भर में नियमित रूप से अपनी प्रस्तुति दे रही हैं।
बाउल गायक आनंद दास बाउल और उनके साथी गायकों ने पश्चिम बंगाल से मेवाड़ तक यात्रा की और भीड़ में कई बंगालियों की खुशी के लिए आत्मीयता से गाया।
वेदांत भारद्वाज ने एमएस सुब्बालक्ष्मी और जॉन लेनन (जहां उन्होंने मैथ्रेम भजाथा और इमेजिन को मूल रूप से मिला दिया) का मैश अप किया। भारद्वाज भक्ति आंदोलन के हिंदुस्तानी, कर्नाटक और लोक गाते हैं, इसमें मीरा बाई, गुरु नानक और निश्चित रूप से कबीर शामिल हैं।
मुरलाला मारवाड़ा के पास अपने असंभव-ना-नृत्य-संगीत के लिए उतना ही जयकारा था, जितना कि उनकी शानदार मूंछों के लिए। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों के लिए गाया और एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जिसने उनके गीत पर ताली न बजाई हो।
जब संगीत की ये शाम अपने पड़ाव के नजदीक आई (उन्हें रात 10 बजे तक रुकना पड़ा) तो आखिरी प्रस्तुति कबीर कैफे की थी। मुंबई में स्थित भारतीय, इंडी-फोक और फोक फ्यूजन बैंड ने कार्यक्रम स्थल पर धूम मचा दी। हर जगह युवा लोगों का समूह नृत्य और गायन के साथ झूमता नजर आया।
मन मस्त भया, मतकर माया को अहंकार और घाट घाट में पंछी बोलता है… को लोगों का सबसे ज्यादा प्यार मिला और लोगों ने उनके लिए सीटी भी बजाई। जब बैंड ने मुरलाला मारवाड़ा से उनके साथ जुड़ने का आग्रह किया तो मानों भीड़ पगला सी गई हो।
यह एक ऐसी शाम थी जिसने देश के विभिन्न हिस्सों से युवा और बुजुर्ग, अमीर और गरीब को एक साथ ला खड़ा किया था। वो लोग जो अलग-अलग भगवान में विश्वास करते हैं। लेकिन उन्होंने कुछ घंटे एक साथ फतेह सागर झील के किनारे संगीत में भीगते हुए बिताए, मानो सभी बाधाएं, सीमाएं और कट्टरताएं गायब हो गईं हों।
जब संगीत, लोग और पुलिस एक साथ आए
राजस्थान कबीर यात्रा 2022 का आयोजन लोकायन संस्थान द्वारा किया जाता है। यह एक गैर-लाभकारी संस्था है, जो पिछले 25 वर्षों से राजस्थान में लोक कलाकारों, इतिहासकारों और कहानीकारों के लिए काम कर रही है। राजस्थान पुलिस अपने प्रोजेक्ट ‘ताना बाना’ के तहत इस आयोजन में बड़े पैमाने पर सहयोग कर रही है। वर्दी में अंदर और बाहर दोनों जगह बड़ी संख्या में मौजूद पुलिसकर्मी कार्यक्रम स्थल पर जमा हो गए।
‘राजस्थान कबीर यात्रा’ की परिकल्पना और शुरुआत बीकानेर के सांस्कृतिक कार्यकर्ता गोपाल सिंह चौहान ने 2012 में की थी। राजस्थान और वहां लोगों के लोक संगीत के बारे में उनका ज्ञान अपार है और यह उनकी दिली इच्छा रही कि कबीर, बाबा बुल्लेशाह, मीरा बाई और अन्य भक्ति गायकों के गीतों और कविताओं एवं संगीत को दुनिया भर में संरक्षित, पोषित और प्रसारित किया जाना चाहिए। वे लोकायन संस्थान के सचिव हैं।
राजस्थान पुलिस के सहयोग से #राजस्थान में शुरू हुई @KabirYatra
केंद्रीय गुप्तचर प्रशिक्षण संस्थान, जयपुर के निदेशक डॉ. अमनदीप सिंह कपूर बता रहे हैं कैसे @PoliceRajasthan के प्रोजेक्ट ताना-बाना के तहत शुरू हुए इस संगीत उत्सव से यहां पर अपराध कम हुए हैं। जल्द ही पढ़िए पूरा इंटरव्यू pic.twitter.com/CyAstfja0c
— GaonConnection (@GaonConnection) October 3, 2022
चौहान ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मैं इस कार्यक्रम के लिए किसी भी तरह के श्रेय लेने का दावा नहीं कर सकता। यह सिर्फ एक संगीत समारोह नहीं है, बल्कि एक यात्रा है, एक तीर्थ है। और लोगों ने ही इसे बनाया और सफल किया है।”
उन्होंने आदिवासी गाँवों में लोगों की दिलदारी के बारे में बताया। जहां यह यात्रा अपने अंतिम पड़ाव में होगी। उन्होंने कहा, “गाँवों के लोगों ने सफर पर निकले गायकों, संगीतकारों और लोगों के लिए अपने घर और दिल दोनों खोल दिए हैं और इस फेस्टिवल को संभव बना दिया। उनके बिना कोई यात्रा नहीं हो पाती।”
एक प्रेस विज्ञप्ति में उदयपुर के पुलिस महानिरीक्षक प्रफुल्ल कुमार ने कबीर यात्रा के साथ पुलिस की भागीदारी की बात कही। उन्होंने कहा कि कबीर की कविता में अंतराल को पाटने और घावों को भरने की शक्ति है। इस संगीत समारोह ने सांप्रदायिक सद्भाव का शक्तिशाली संदेश दिया है। शामिल कलाकार और यात्री सभी समुदायों से आए हैं।
महानिरीक्षक ने कहा, “यात्रा का आयोजन “ताना बाना” प्रोजेक्ट के अंतर्गत किया जा रहा है और संगीत यात्रा निश्चित रूप से स्थानीय स्तर पर सामाजिक सद्भाव बढ़ाने में मदद करेगी।”
राजस्थान कबीर यात्रा कबीर, बुल्ले शाह, मीरा बाई और अन्य कवि संतों के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है, जिन्होंने सार्वभौमिक प्रेम के अलावा कुछ नहीं दिया।
आने वाले सप्ताह में यह फेस्टीवल लोगों के बीच एक अलग ही उत्साह लेकर आने वाला है जो राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में गाते और नृत्य करते हुए यात्रियों को भावविभोर कर देगा।