टेक्नोलॉजी के इस युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) भी धीरे-धीरे अपनी जगह मजबूत कर रहा है। लेकिन कैसा हो अगर यही टेक्नोलॉजी वन्यजीव संरक्षण के लिए इस्तेमाल की जाए?
ऐसा ही एक कारनामा तमिलनाडु वन विभाग और रेलवे ने मिलकर कर दिखाया है, जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की मदद से मानव-हाथी संघर्ष (HEC) की घटनाओं को रोकने में सफलता हासिल की गई है।
कोयंबटूर वन प्रभाग में 2021 से 2023 के बीच हाथियों के करीब 9,000 बार जंगल से बाहर आने की घटनाएँ दर्ज की गईं। इनमें सबसे बड़ी समस्या मदुक्करई इलाके में रेलवे ट्रैक पार करते वक्त ट्रेन से टकराने की रहीं। यहाँ, केरल सीमा से लगे जंगलों में हाथियों की आवाजाही आम है। 2008 से अब तक 11 हाथियों की ट्रेन से टकराने के कारण मौत हो चुकी है, जिनमें कई छोटे बच्चे और किशोर हाथी भी शामिल हैं। रेलवे और वन विभाग ने गश्त, अंडरपास और दूसरे उपाय किए, लेकिन हादसे पूरी तरह नहीं रुक पाए।
AI आधारित निगरानी प्रणाली का समाधान
इस समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए सरकार ने विशेषज्ञों से सलाह ली और फिर AI आधारित निगरानी प्रणाली लगाने का फैसला किया। फील्ड सर्वे के बाद 7 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक का सबसे खतरनाक हिस्सा चुना गया, जहाँ यह प्रोजेक्ट लागू किया गया। इसके लिए 7.24 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया था।
Watch carefully as a herd of elephants with calves safely crosses a railway track in Madukkarai in Tamil Nadu. We are on site reviewing Tamil Nadu’s first AI-enabled project to prevent elephant deaths on railway tracks. Launched in February 2024, the results are stunning!
— Supriya Sahu IAS (@supriyasahuias) March 3, 2025
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9 फरवरी 2024 को इस प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया और इस मौके पर मौजूद अतिरिक्त मुख्य सचिव सुप्रिया साहू ने हाल ही में ट्विटर पर अपने अकाउंट से ट्वीट कर इस प्रोजेक्ट की सफलता और इसके उम्मीद से बेहतर परिणामों पर रोशनी डालते हुए लिखा –
“देखिए कैसे हाथियों का एक झुंड, जिसमें छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, मदुक्करई, तमिलनाडु में रेलवे ट्रैक को सुरक्षित पार कर रहा है। हम यहाँ तमिलनाडु के पहले AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) प्रोजेक्ट का जायजा ले रहे हैं, जो रेलवे ट्रैक पर हाथियों की मौत रोकने के लिए फरवरी 2024 में शुरू हुआ था। नतीजे वाकई हैरान कर देने वाले हैं!”
AI प्रोजेक्ट के प्रभावशाली नतीजे
उन्होंने आगे इस प्रोजेक्ट की सफलता के आँकड़ों के साथ बताते हुए लिखा –
- 0 हाथी दुर्घटनाएँ
- 5011 AI अलर्ट जनरेट हुए
- 2500 बार हाथियों ने सुरक्षित ट्रैक पार किया
रेलवे ट्रैक पर 12 टावरों पर AI-सक्षम थर्मल कैमरे लगाए गए हैं, जिन्हें कमांड सेंटर से 24×7 मॉनिटर किया जाता है। यहाँ स्थानीय आदिवासी युवा नज़र बनाए रखते हैं और रियल टाइम में ट्रेन चालकों और गश्ती दल को अलर्ट भेजते हैं।

रेलवे द्वारा बनाए गए 2 अंडरपास (भूमिगत रास्ते) हाथियों द्वारा जमकर इस्तेमाल किए जा रहे हैं। तमिलनाडु वन विभाग और भारतीय रेलवे का यह प्रोजेक्ट टेक्नोलॉजी के ज़रिए वन्यजीव संरक्षण की शानदार मिसाल बन रहा है!
मानव-हाथी संघर्ष और इसका समाधान
कोयंबटूर वन प्रभाग में बीते कुछ सालों में मानव-हाथी संघर्ष (HEC) की घटनाएँ बढ़ गई थीं। यहाँ के हाथी मौसमी प्रवासी होते हैं, जो नीलगिरी और सत्यामंगलम से होते हुए केरल के जंगलों तक जाते हैं। खासकर वालयार, बोलमपट्टी, अनैकट्टी, गोपीनारी, हुलिकल, जक्कनारी, नीलगिरी की पूर्वी ढलान, सूलककराई, सिंगापथी और इरुट्टुपल्लम जैसे इलाकों में ये बारिश के मौसम में ज्यादा दिखाई देते हैं।
हाथियों की बढ़ती संख्या, उनके प्रवास मार्गों में बाधाएँ, बढ़ती विकास परियोजनाएँ, खेती के तरीकों में बदलाव और मानवीय दखलंदाजी की वजह से हाथियों के व्यवहार पर असर पड़ रहा है और इंसानों के साथ उनका टकराव बढ़ रहा है।
कैसे काम करता है यह AI सिस्टम?
इस सिस्टम के तहत 12 ऊँचे टावर लगाए गए हैं, जिनमें थर्मल और नॉर्मल कैमरे लगे हैं। ये कैमरे हर 500 मीटर की दूरी पर लगाए गए हैं और रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ 150 मीटर तक निगरानी कर सकते हैं।

जैसे ही कोई हाथी ट्रैक के पास आता है, सिस्टम तुरंत कंट्रोल रूम को सूचना भेज देता है।
- कंट्रोल रूम में वन विभाग और टेक्निकल टीम की शिफ्ट में तैनाती होती है।
- वे रेलवे के पायलटों को कॉल, SMS और अलर्ट भेजकर जानकारी देते हैं ताकि ट्रेनें समय रहते धीमी की जा सकें।
- ट्रैक पर सायरन और डिजिटल डिस्प्ले अलर्ट भी लगाए गए हैं, ताकि पायलट खुद भी देख सकें और ट्रेन रोकने के लिए कदम उठा सकें।
भविष्य की संभावनाएँ
यह AI सिस्टम न सिर्फ हादसे रोकने में मदद करेगा, बल्कि हाथियों की आवाजाही, उनके व्यवहार, उनकी पहचान और उनके बारे में महत्वपूर्ण डेटा इकट्ठा करने में भी सहायक होगा। इससे भविष्य में और भी बेहतर फैसले लिए जा सकेंगे।
एक RTI के जवाब में पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय द्वारा दिए गए आँकड़ों के अनुसार 2018 से 2023 के बीच कुल 75 हाथियों की रेलवे ट्रैक पार करते समय मौत हो चुकी है।
लेकिन जो काम कोयंबटूर वन विभाग और रेलवे ने मिलकर किया है, वह बाकी राज्यों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण साबित हो सकता है, जिसकी तर्ज पर हाथियों के लिए और भी सुरक्षित कॉरिडोर्स तैयार किए जा सकते हैं।