क्या आपने कभी मिट्टी के प्रेशर कुकर में खाना पकाया है? नहीं न।
आज हम जिस मिट्टी के बर्तनों की आपको जानकारी देने जा रहे हैं उनमें सुराही, घड़ा, कुल्हड़ तो हैं ही, मिट्टी की कढ़ाई, तवा जैसे कई ऐसे बर्तन हैं जिन्हे देखने के बाद यकीन नहीं होता; वो भी हर एक बर्तन अलग-अलग खूबियों के साथ।
इन सारे बर्तनों को बनाने की शुरूआत की है दिल्ली के मुखर्जी नगर के सर्वोत्तम तिवारी और डॉ इंदू सिंह ने।
आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई के सवाल पर सर्वोत्तम गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “कोविड के समय जब हर कोई अपने घरों में था और अपनी सेहत के लिए सजग था, उसी समय हमने एक दिन मिट्टी की हांडी में दाल बनाई, लेकिन दो-तीन बार उसका इस्तेमाल करने के बाद वो टूट गई; तब हमें लगा कि कुछ ऐसा बनाना चाहिए जो लंबे वक्त तक चले और जिसमें बनाया खाना सेहत के फायदेमंद हो।”
पेशे से इंजीनियर सर्वोत्तम ने उसी समय इस पर रिसर्च करना शुरू किया और फिर यहीं से शुरुआत हुई सर्वोसार्थ कलेक्शन की, जिससे आज हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुम्हार जुड़े हुए हैं।
सर्वोत्तम आगे कहते हैं, “हमने शुरुआत तो कर दी लेकिन अब सवाल ये था कि कैसे ज़्यादा से ज़्यादा बर्तन बना सकें, इसलिए हमने अलग-अलग जगह के कुम्हारों से संपर्क किया और उन्हीं को सिखाना शुरू किया। ऐसे में ट्रांसपोर्ट का खर्च बच जाता है, क्योंकि अलग-अलग जगह से ऑर्डर आने लगे हैं, एक जगह से सब जगह सामान पहुँचाना आसान नहीं होता है।”
आज सर्वोसार्थ कलेक्शन के पास देश भर से ऑनलाइन ऑर्डर आते हैं। मिट्टी के बर्तनों से होने वाली आमदनी के बारे में सर्वोत्तम बताते हैं, “सीजन में पाँच से छह लाख रुपए की बिक्री हो जाती है, दिल्ली के साथ ही हमारा एक सेंटर कानपुर में भी है, जहाँ से हम पूरे देश में सामान भेजते हैं।”
अभी उनके पास यूपी, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे प्रदेशों के होटल और रेस्टोरेंट के ऑर्डर आते हैं, वो उन्हें वहाँ स्थानीय कुम्हार से संपर्क करा देते हैं।
मिट्टी के इन बर्तनों की खूबियों के बारे में सर्वोत्तम कहते हैं, “जिस दिन ये समझ गए कि मिट्टी के बर्तन वरदान हैं तो आदमी घर लाएगा। बहुत सारे लोग कोविड काल में सजग थे उसी समय हमने इसकी शुरुआत की, मेडिकल स्टोर पर ख़र्च करने से अच्छा है हम मिट्टी के बर्तनों पर ख़र्च कर दें।”
कैसे करें मिट्टी कुकर का इस्तेमाल
“लोगों के मन में सवाल होता है कि मिट्टी के बर्तन टूट जाते हैं, जबकि ऐसा नहीं होता है, जब तक कि वो गिरे न वो नहीं टूटेगा। इसे इलेक्ट्रिक भट्टी में पकाया जाता है, सर्वोत्तम ने आगे कहा।
वो आगे बताते हैं, “बस इसको इस्तेमाल करते हुए कुछ सावधानी बरतनी चाहिए, गैस को चढ़ाने पर पहले धीमी आँच करनी चाहिए, फिर धीरे-धीरे आँच बढ़ाई जाती है। इसको इस्तेमाल करने बाद हमेशा ठंडा करने के बाद ही धुलना चाहिए बस यही सावधानी बरतनी चाहिए।”
कुकर का उपयोग करके खाना बनाने के बाद, कुकर को सीधे फर्श या रसोई के ऊपर न रखें, बल्कि कुकर को स्टैंड पर रखें। कुकर धोते समय सबसे पहले उससे सारा खाना निकाल लें और उसमें पानी भर दें; और फिर धोने से पहले इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें। धोने के लिए मुलायम ब्रश का ही इस्तेमाल करें।