भारत के सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया प्लेटफार्म, गांव कनेक्शन ने अपने बहुप्रतीक्षित वार्षिक प्रकाशन – द स्टेट ऑफ़ रूरल इंडिया रिपोर्ट 2021 को जारी किया है। 400 पन्नों की यह रिपोर्ट 14 विषयों का एक अनूठा और संपूर्ण संकलन है। इन विषयों से जुड़ी 60 खबरें और लेख साल 2021 में भारत के गांवों में घटी प्रमुख घटनाओं और विकास से रू-ब-रू कराती हैं।
ग्रामीण भारत पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में कोविड की दूसरी लहर, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार, जल, आपदाएं, वन और वन्य जीवन, जलवायु परिवर्तन, आदिवासी, लैंगिक मुद्दे, शिक्षा, युवा और खेल, कला, शिल्प और परंपरा, बदलाव की दिशा में काम कर रहे व्यक्ति और नीतियां, फूड, त्योहार और संस्कृति जैसे 14 व्यापक विषयों को शामिल किया गया है।
इन विषयों में से हर एक को आगे 60 ग्राउंड रिपोर्ट में बांटा गया है। ये सभी गांव कनेक्शन के लिए देश के भीतरी इलाकों के गांवों से रिपोर्ट की गई साल 2021 के बेहतरीन लेख और खबरों का संग्रह है।
स्टेट ऑफ रूरल इंडिया रिपोर्ट 2021, गांव कनेक्शन इनसाइट्स वेबसाइट – www.ruraldata.in पर उपलब्ध है। ये एक ओपन सोर्स रिपोर्ट है जिसे फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है। पिछले साल, गांव कनेक्शन ने अपनी ‘द स्टेट ऑफ रूरल इंडिया रिपोर्ट 2020’ को भी इसी वेबसाइट पर जारी किया था। www.ruraldata.in भारत के सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया प्लेट फार्म गांव कनेक्शन की डाटा और इनसाइट शाखा है।
21 मार्च को रिपोर्ट को लॉन्च करते हुए गांव कनेक्शन के संस्थापक नीलेश मिसरा ने कहा, “पिछले साल महामारी के दूसरे साल में, देश लगातार नुकसान झेलता रहा था। राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों से दूर, ग्रामीण भारत में जीवन के सभी पहलुओं पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। लेकिन महामारी से परे भी रिपोर्ट करने के लिए कई अन्य मुद्दे और कहानियां थीं, जो देश के इस जरूरी हिस्से में क्या चल रहा था, इसका एक स्नैपशॉट देती हैं। “
उन्होंने कहा, ” ‘द स्टेट ऑफ रूरल इंडिया’ की इस दूसरी रिपोर्ट के जरिए ग्रामीण भारत में क्या हो रहा है या फिर ग्रामीण इलाके किन परेशानियों से जूझ रहे हैं इसे दिखाने का एक विनम्र प्रयास किया गया है। भारत का ये वो जटिल, विविध, आकर्षक हिस्सा है जिसे अक्सर समझा नहीं जाता है। यहां रहने वाले लोगों और उनसे जुड़े मुद्दों को कभी भी वो सहानुभूति और सहमति नहीं मिलती जिसके वह हकदार हैं।”
14 अध्याय और 60 कहानियां
रिपोर्ट का पहला अध्याय है ‘द सेकेंड वेव’। कोविड महामारी की दूसरी लहर ने ग्रामीण भारत में काफी कहर बरपाया था। दूर-दराज और दुर्गम इलाकों में बसे गांव भी इससे बच नहीं पाए थे। जैसे ही ग्रामीण भारत में ये महामारी फैली, गांव के लगभग हर परिवार से किसी न किसी व्यक्ति के बुखार से पीड़ित होने की सूचना मिली लगी थी। ये इलाके जो पहले से ही कमजोर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे से जूझ रहे थे, महामारी के दौरान काफी बेबस दिखे। इस अध्याय में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को लेकर लिखे गए लेख और उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के गांवों से जमीनी स्तर पर की गई रिपोर्ट्स का संकलन है।
दूसरा अध्याय देश की स्वास्थ्य प्रणाली पर केंद्रित है। कोविड के मामलों के अलावा, ग्रामीण इलाके कई अन्य बीमारियों जैसे डेंगू, तपेदिक, बाढ़ के कारण पानी से बड़े पैमाने पर होने वाली बीमारियों और मानसिक रोगों से जूझते नजर आए। वहीं उत्तर प्रदेश में डेंगू के मामलों में बेतहाशा वृद्धि देखी गई। 2021 में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) के आंकड़ों से पता चलता है कि जहां एक तरफ 5 साल से कम उम्र के बच्चों के पोषण संकेतकों में थोड़ा सुधार नजर आया, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण भारत में एनीमिया के मामले काफी बढ़ गए। इस अध्याय में ग्रामीण भारत की तनावपूर्ण और बोझिल स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से जमीनी स्तर पर की गई रिपोर्ट्स को शामिल किया गया है।
कृषि हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और रिपोर्ट का तीसरा अध्याय खेती से ही जुड़ा है। महामारी की पहली लहर शहरी क्षेत्रों तक सीमित थी, लेकिन दूसरी लहर ने ग्रामीण क्षेत्रों को भी अपने आगोश में ले लिया। इसका खामियाजा कृषि क्षेत्र को भी उठाना पड़ा था। फसल खरीद में देरी हुई, कई राज्यों में बेमौसम मानसून ने फसलों को बरबाद कर दिया। कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी और ग्रामीण कर्ज के मामले भी बढ गए। पिछला साल तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का गवाह भी बना। इस चैप्टर में इन मुद्दों को लेकर बिहार, पंजाब और उत्तर प्रदेश से की गई रिपोर्ट्स को शामिल किया गया है।
आजीविका से जुड़ा ये अध्याय बताता है कि देश में 1.5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने कोविड महामारी के कारण स्थायी रूप से अपनी नौकरी खो दी है। दिसंबर 2019 और दिसंबर 2020 के बीच, देश भर में लगभग 23 करोड़ लोग न्यूनतम वेतन सीमा 375 रुपये प्रति दिन से नीचे आ गए। ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर कम हो गए। वहीं मनरेगा के तहत पर्याप्त काम नहीं था। इस अध्याय में तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश से ग्रामीण आजीविका और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर की गईं रिपोर्ट शामिल हैं।
जल संकट से जूझ रहे 181 देशों में से भारत 48 वां सबसे अधिक जल-संकट वाला देश है, इसलिए पांचवां अध्याय जल संकट को समर्पित है। ग्राउंड रिपोर्ट्स से पता चलता है कि बिहार के कम से कम दस जिलों के भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन के साथ-साथ रेडियोधर्मी यूरेनियम की मात्रा काफी ज्यादा है। बेमौसम और लगातार बारिश से ग्रामीण भारत को काफी तबाही का सामना करना पड़ा। गांव कनेक्शन पूरे साल ग्रामीण इलाकों के कोने-कोने से बाढ़ और उसके नुकसान की खबर लाता रहा। इस अध्याय में बिहार और उत्तर प्रदेश से की गई ऑन-ग्राउंड कवरेज शामिल हैं।
जब दुनिया सबसे बड़ी आपदा कोविड-19 महामारी से जूझ रही है तो ऐसे में आपदाओं पर एक अध्याय का होना जरूरी था। भारत ने 2021 में कई प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाएं देखीं। 2019 में आपदाओं के कारण भारत में लगभग 51 लाख लोग विस्थापित हुए थे। फंगल इंफेक्शन के बढ़ते मामलों ने एक बड़ा खतरा पैदा कर दिया था। 2021 में भारत में ब्लैक फंगस के 8,400 से अधिक मामले दर्ज किए गए। इस अध्याय में उत्तराखंड की चमोली आपदा, बिहार में बाढ़ के कारण होने वाले विस्थापन, बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश में खराब बॉयलर का फटना जैसी घटनाओं से जुड़ी रिपोर्ट्स को प्रमुख जगह दी गई है।
वन और वन्यजीव पर आधारित इस अध्याय में भारत के वन क्षेत्र , जंगल की आग और मानव-वन्यजीव संघर्ष पर प्रकाश डाला गया है। इन मुद्दों से जुड़ी गांव कनेक्शन की कई खबरों मसलन- ‘कैसे ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के 21 में से 12 रेंज जंगल की आग से प्रभावित थे, छत्तीसगढ़ में खनन ने हाथियों को मध्य प्रदेश में जाने के लिए कैसे मजबूर किया, और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के कारण जैसलमेर के ओरान (सामुदायिक वन) का गायब होना’ को इसमें शामिल किया गया है। अध्याय में हाथियों की मौत, बाघों की आबादी, विकास परियोजनाओं के लिए दी गई वन भूमि और जंगलों को बचाने के लिए 2021 में किए गए कई विरोध-परदर्शनों पर लिखे गए लेख हैं।
जलवायु परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा है जिसके लिए गांव कनेक्शन हमेशा से प्रतिबद्ध रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, देश में चरम मौसम की घटनाओं के कारण कुल 1,750 मौतें दर्ज की गईं। 2021 चक्रवातों का वर्ष था – तोकाते और यास ने भारत के तटीय क्षेत्रों में काफी कहर बरपाया था। अध्याय में सूखे की बढ़ती स्थितियां, अत्यधिक बाढ़, समुद्र के तापमान और इसके प्रभावों का उल्लेख है। जलवायु परिवर्तन बांग्लादेश में ग्रामीण महिलाओं पर कैसे प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है? इसकी ग्राउंड रिपोर्ट को भी यहां शामिल किया गया है।
‘द स्टेट ऑफ रूरल इंडिया रिपोर्ट 2021’ का एक अध्याय आदिवासी समुदाय को समर्पित है। इन आदिवासियों की भारत की आबादी में 8.9 प्रतिशत की भागीदारी है। जैसे ही कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने ग्रामीण भारत में अपने पैर पसारने शुरु किए, आदिवासी आबादी को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। उन्हें आर्थिक निर्वाह के उचित संसाधनों के बिना हाशिये पर धकेल दिया गया था। अध्याय में कम टीकाकरण, टीके को लेकर हिचकिचाहट और रोजाना मिलने वाली मजदूरी का नुकसान और दूसरे लॉकडाउन ने उनकी स्थिति को कैसे खराब कर दिया, इससे जुड़ी कई खबरें हैं। 2021 में आदिवासी समुदायों द्वारा किए गए अलग-अलग विरोधों और महिला उद्यमी पहल जैसे बांका, बिहार से बांका मधु किसान उत्पादक संगठन को भी यहां जगह दी गई है। ओडिशा, कश्मीर और बिहार से की गई ग्राउंड रिपोर्टस को भी शामिल किया गया है।
रिपोर्ट में हर तबके के लोगों की समस्याओं से जुड़ने का प्रयास किया गया है। जेंडर मैटर्स चैप्टर में LGBTQ+ समुदाय को समर्पित एक सेगमेंट है। इस अध्याय में बाल विवाह की बढ़ती घटनाओं, पोषण के संबंध में एनएफएचएस-5 के खुलासे, यौनकर्मियों के जीवन पर महामारी के प्रभाव और महिलाओं की आजीविका पर चर्चा की गई है। असम में चाय बागानों में काम करने वाली महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य, पश्चिम बंगाल के हिजड़ा समुदाय, उत्तर प्रदेश में लड़कियों की तस्करी के मामलों में तेजी और ओडिशा में महिलाओं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से बाहर किए जाने की जमीनी रिपोर्ट्स शामिल हैं।
शिक्षा, युवा और खेल से जुड़ा अध्याय, भारत की बढ़ती युवा आबादी पर केंद्रित है। यह अध्याय शिक्षा की राह में आने वाली रुकावटों की बात करता है- स्कूलों को फिर से खोलना हो या लॉकडाउन के दौरान डिजिटल उपकरणों तक पहुंच की कमी, हर मुद्दे को बेबाकी के साथ उठाया गया है। साल 2021 में बच्चों का स्कूल छोड़ देना, रोजगार की परेशानी और भारत में खेलों को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई सरकारी नीतियों से जुड़ी कई रिपोर्ट्स को इसका हिस्सा बनाया गया है। झारखंड और उत्तर प्रदेश से की गईं कई ग्राउंड रिपोर्ट भी इसमें शामिल हैं।
गांव कनेक्शन इनसाइट
2021 में, गांव कनेक्शन ने अपनी पहली रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ़ रूरल इंडिया रिपोर्ट-2020’ जारी की थी। इस रिपोर्ट में साल 2020 में ग्रामीण भारत में हुईं प्रमुख घटनाओं और विकास का सार प्रस्तुत किया गया था। रिपोर्ट को गांव कनेक्शन इनसाइट्स वेबसाइट – www.ruraldata को फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है।
वार्षिक रिपोर्ट के अलावा, गांव कनेक्शन इनसाइट्स ने पूरे भारत में तीन ग्रामीण सर्वे किए और इनसे जुड़ी तीन विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की हैं। ये सभी ग्रामीण सर्वे रिपोर्ट्स भी www.ruraldata.in पर उपलब्ध हैं।
ग्रामीण भारत की चिंताओं, मुद्दों, चुनौतियों और उपलब्धियों को सत्ता के गलियारों तक पहुंचाया जा सके इसके लिए गांव कनेक्शन इनसाइट्स प्लेटफॉर्म बनाया गया है। यह हाशिये पर डाल दिए गए लोगों की आवाज को मुख्यधारा में लाने और दोनों के बीच की खाई को पाटने का एक प्रयास है।