लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। “रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून।” पानी जीवन है, पानी नहीं तो कुछ नहीं। पानी साफ है तो अमृत, दूषित है तो बीमारियां देने वाला, जान लेना वाला। पानी के बिना किसी का गुजारा नहीं हैं, लेकिन, एक बड़ी आबादी को आज भी पानी के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। उनके जीवन के कई घंटे पानी के आसपास चले जाते हैं। कुछ लोगों का जीवन भी पानी छीन लेता है। दूषित पानी हर साल हजारों लोगों की जान लेता है, कई तरह की बामारियां देता है। बावजूद इसके चुनावों में पानी प्रमुख मुद्दा नहीं बन पाता। पानी के लिए वोट नहीं पड़ते?।
देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में विधानसभा चुनाव हैं। प्रदेश के 75 में से 63 जिलों के पानी की कुछ न कुछ समस्या हैं। कई इलाके तो जैसे हैं जहां हैंडपंप या बोरवेल का पानी पीने योग्य नहीं ही। गांव कनेक्शन आज इस शो में पानी की समस्या, उससे जड़ी योजनाओं पर चर्चा कर रहा है।
गांव कनेक्शऩ ने चुनाव को लेकर एक खास सीरीज शुरु की है, “क्या कहता है गांव”, जिसमें आपके मौलिक मुद्दे को उठाया जा रहा। सीरीज की पहली कड़ी में हम स्वच्छ पानी, सरकारी की योजनाओं की पहुंच, लोगों की समस्याओं और सुविधाओं पर बात कर रहे हैं। गांव कनेक्शन की रिपोर्टर शिवानी गुप्ता पिछले दिनों कई जिलों में होकर आईं है। इससे पहले भी गांव कनेक्शन, उन्नाव, सोनभद्र, बागपत, बरेली, गाजीपुर, मिर्जापुर समेत कई जिलों में पानी की समस्या, भूमिगत का दूषित जल, पानी से बीमारियों आदि को लेकर लगातार खबरें करता रहा है।
गांव कैफे में आज इसी मुद्दे पर चर्चा हो रही है, इस चर्चा में आज के मेहमान हैं
वाटर एड इंडिया के राज्य कार्यक्रम निदेशक शिशिर चंद्र
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता मनीष शुक्ला
कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया पैनेलिस्ट सुरेंद्र राजपूत
पानी, नदी और और पर्यावरण विशेषज्ञ वेंकटेश दत्ता
इसके अलावा हमारे साथ आज चर्चा में शामिल हो रही हैं सीतापुर के राय मोरार गांव की निवासी जमुना देवी और बाराबंकी जिले के बसारी गांव के कल्लू
गांव कैफे की लाइव चर्चा आप गांव कनेक्शऩ के YouTube चैनल, फेसबुक पेज, ट्वीटर के अलावा वेबसाइट पर भी देख सकते हैं।
आप भी जुड़िए और अपने सवाल पूछिए और सुझाव दीजिए, ये सवाल आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं
संबंधित खबरें
केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन के आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में केवल 13.22 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराया गया है, और यूपी, देश में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य है, जो ‘हर घर जल’ योजना को लागू कर रहा है जोकि देश के सभी घरों में नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए योजना है। आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 87 प्रतिशत ग्रामीण परिवार – यानी 22.9 मिलियन ग्रामीण परिवार – हैंडपंप या पानी की आपूर्ति के अन्य निजी साधनों पर निर्भर हैं। राज्य ने 97,000 गांवों में अपने सभी ग्रामीण घरों में 2024 तक शत-प्रतिशत नल जल कनेक्शन कवरेज का लक्ष्य रखा है। संबंधित खबर-
संबंधित खबरें- यूपी चुनाव 2022: उत्तर प्रदेश के गाँव जाति व धर्म के नाम पर शायद वोट करेंगे, लेकिन उनकी सबसे बड़ी जरूरत है साफ पानी
यूपी के 18 जिले ऐसे हैं जहां के भूजल में फ्लोराइड और आर्सेनिक दोनों की मात्रा बहुत ज्यादा है। ग्रामीणों की शिकायत है कि वे साफ पानी खरीदने के लिए पैसे खर्च करने को मजबूर हैं। उन्नाव में कई इलाके ऐसे हैं जहां लोग पानी की समस्या के चलते अपने पैतृक घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं। संबंधित खबर
ये भी पढ़ें-उत्तर प्रदेश: पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा, नाराज ग्रामीण अपना घर, गांव छोड़कर जा रहे हैं
अमेठी देश के चर्चित इलाकों में एक है। चुनावी सरगर्मियों के बीच लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के नेताओं के फिर चक्कर लगना शुरु हो गए हैं। लेकिन राजनीतिक रुप से हाईप्रोफाइल अमेठी में कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां पीने के पानी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक खराब पानी के चलते उनके यहां लड़कों की शादियों में मुश्किलें आती हैं। संबंधित पूरी खबर