उत्तर प्रदेश: नई पेंशन योजना को लेकर सरकारी शिक्षकों, सफाई कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन

नई पेंशन योजना के विरोध में, उत्तर प्रदेश के शिक्षकों, सफाई कर्मियों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित हजारों सरकारी कर्मचारियों ने कल 30 नवंबर को लखनऊ में एक रैली निकाली। वे केंद्र सरकार की नई पेंशन योजना को वापस लेने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। क्या है नई पेंशन योजना और क्यों इसका विरोध किया जा रहा है? एक रिपोर्ट
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लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। नई पेंशन योजना के विरोध में राज्य की राजधानी लखनऊ के इको गार्डन में कल 30 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल के शिक्षक, सफाई कर्मी और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित हजारों सरकारी कर्मचारी एकत्रित हुए। वे केंद्र सरकार से नई पेंशन योजना को वापस लेने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग कर रहे थे।

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया, “पुरानी पेंशन योजना के तहत अगर कोई कर्मचारी आज सेवानिवृत्त होता है, तो उसे मासिक पेंशन के रूप में पचास हजार रुपए तक मिलेगें, जबकि नई पेंशन योजना में कर्मचारियों को सेवानिवृत होने के बाद सिर्फ सात सौ से आठ सौ रुपए प्रति माह दिए जा रहे हैं।” उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में एक लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ उठाने से रोक दिया गया है।

शर्मा नई पेंशन योजना को लेकर उठे कुछ सवालों का जवाब चाहते हैं। वह कहते हैं, “नई योजना में, एक कर्मचारी के सकल वेतन का दस प्रतिशत काटा जा रहा है। ये पैसा मार्किट में लगाया जाएगा। इस बात की गारंटी कौन देगा कि रिटायरमेंट के समय इन कर्मचारियों को निश्चित पेंशन मिलेगी?” वह आगे कहते हैं, “राज्य सरकार इस पर कोई वादा नहीं कर रही है। हम पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग करते हैं।”

क्या है नई पेंशन योजना?

नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) को PFRDA अधिनियम, 2013 के तहत स्थापित पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) द्वारा प्रशासित और विनियमित किया जाता है।

यह भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी एक पेंशन-योजना (रिटायरमेंट सेविंग स्कीम) है। ये एक प्रकार की पेंशन कम इन्वेस्टमेंट स्कीम है जो कि बाजार आधारित रिटर्न की गारंटी देती है। यह नई योजना एक जनवरी 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) पर अनिवार्य रूप से लागू है। पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्य सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए एनपीएस को अपनाया है।

वित्तीय सेवा विभाग के अनुसार, सरकारी कर्मचारी अपने वेतन का 10 प्रतिशत हर महीने इस स्कीम में डालते हैं और इतना ही योगदान का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए, 1अप्रैल, 2019 से कंपनी के योगदान की दर को बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया है।

कन्नौज, मिर्जापुर, गाजियाबाद, लखीमपुर खीरी के साथ-साथ राज्य के कई जिलों के हजारों कर्मचारी राज्य की राजधानी लखनऊ पहुंचे थे। वे अपने हाथ में “एनपीएस है टेंशन: हक हमारा पुरानी पेंशन” लिखी तख्तियों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

शर्मा ने चेतावनी देते हुए कहा, “यह एक ऐतिहासिक रैली है। राज्य से लाखों कर्मचारी आए हैं। अगर सरकार ने यूपी के कर्मचारियों की उपेक्षा की तो उन्हें इसका सबक सिखाया जाएगा। ” शर्मा ने 30 नवंबर को लखनऊ में विशाल रैली का आयोजन किया था।

वह आगे कहते है,”ये कर्मचारी पिछले पांच साल से परेशान हैं, लेकिन अब उन्होंने फैसला कर लिया है कि वो टेंशन लेंगे नहीं बल्कि सरकार को टेंशन देंगे। राज्य सरकार अगर इससे बचना चाहती है तो उसे हमसे बात करनी होगी।”

42 साल की अपर्णा सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया,”हम सरकार के हर काम में मदद करते हैं यहां तक कि चुनावों में भी हमारी ड्युटी लगाई जाती है। रिटायरमेंट के बाद हमें कुछ तो फायदे मिलने चाहिए ताकि हम अच्छे से अपना गुजारा चला सकें। हमें नई योजना के तहत पेंशन नहीं चाहिए।’ सिहं सीतापुर जिले के बिसवां ब्लॉक में सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं। 50,000 रुपये महीना उनका वेतन हैं। उन्होंने कहा कि नई पेंशन योजना के प्रभावी होने से उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद लगभग 700 रुपये मासिक पेंशन मिलने की उम्मीद है।

रैली में सफाई कर्मचारी, सरकारी स्कूलों के रसोइया और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी शामिल हुए। वे समय पर वेतन और मानदेय में वृद्धि की मांग कर रहे थे। राज्य सरकार द्वारा एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को 5,500 रुपये और खाना बनाने वाले (रसोईए) को 1,800 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं।

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