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17 दिन – 400 घंटे सुरँग में फँसे मज़दूरों का कैसे गुज़रा एक एक पल

17 दिन और 400 घंटों के संघर्षों के बाद आखिर 28 नवंबर को टनल में फँसे 41 मज़दूरों को बाहर निकाल लिया गया, इनमें कई मज़दूर उत्तर प्रदेश के हैं, गाँव कनेक्शन ने उनसे बात की कि कैसे बीता टनल में उनका एक-एक पल?
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“पहले दिन तो हम काम पूरा करके आ रहे थे तभी तेज़ अचानक हुई, हम वहाँ से 400 मीटर दूर थे, पहले लगा कोई पाइप डैमेज हो गया है; वहाँ जाकर देखा तो मलबा आ गया था, वहाँ एक-एक करके सब इकट्ठा हो गए। ” 17 दिनों बाद टनल से निकले मिर्ज़ापुर के घरवासपुर गाँव के अखिलेश सिंह ने गाँव कनेक्शन से बताया।

अखिलेश सिंह भी उन 41 लोगों में से एक हैं, जो अपने गाँव से 1200 किमी दूर उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरँग में फँसे थे। सुरँग से निकलने के चौथे दिन अपने दूसरे साथियों के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुँचे थे।

इन 17 दिनों में सुरँग में फँसे लोगों ने आखिर कैसे समय बिताया। अखिलेश सिंह बताते हैं, “खाली टाइम में टहलने जाते थे, बीच में चोर-पुलिस का गेम होता था, पर्ची बनाकर खेलते थे; बाकी मनोरंजन करते रहते थे, अपने को खाली नहीं रखते थे।”

इस दौरान इन लोगों के पास खाने पीने की चीजें भी आती रहीं। “16-17 घंटे बाद हमारे पास कंपनी की तरफ खाना और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ आने लगी, “अखिलेश ने आगे बताया।

लखीमपुर के चौधरी भी अपने बेटे के साथ लखनऊ मुख्यमंत्री से मिलने पहुँचे थे , उनका बेटा मंजीत सिंह भी टनल में फँसा हुआ था, जैसे ही उनको इसकी ख़बर लगी तुरँत वहाँ पहुँच गए थे। चौधरी ने गाँव कनेक्शन को बताया, “बेटा मिल गया और इससे ज़्यादा क्या चाहिए।”

उत्तरकाशी में दुनिया भर के टनल एक्सपर्ट के साथ एयरफोर्स, आर्मी, एनडीआरएफ की टीम के साथ अत्याधुनिक मशीनें लगाई गईं थीं। दुनिया भर की निगाहें टनल पर अटकी थी कि कब उन 41 मज़दूरों को बाहर निकाला जाएगा। तब रैट होल माइनर्स की मदद से इन सभी को निकाला गया।

लखीमपुर के मंजीत गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “पहले एक मज़दूर को स्ट्रेचर से लाया गया, फिर हम सब एक-एक करके घुटनों के बल निकल गए, इतना बड़ा पाइप था कि आराम से निकल आए।”

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के अख्तियापुर गाँव के मोनू कुमार उन 12 रैट होल माइनर्स में से एक हैं, जिन्होंने सुरंग में फँसे मज़दूरों को बचाया।

मोनू ने बताया वो और उनके साथी हाथों में छेनी, कुदाल और तसला लेकर तीन-तीन घंटे के लिए अंदर जाकर सुरंग खोदते थे, काफी मेहनत के बाद उन्हें अंदर फँसे मज़दूरों तक पहुँचने में सफलता मिली।

गाँव कनेक्शन से मोनू ने बताया कि “जब हम सुरंग में फँसे मज़दूरों के पास पहुँचे तो वह बहुत खुश हुए, उन लोगों ने हमें टॉफी, पानी और ड्राई फ्रूट्स दिया।

इन रैट होल माइनर्स को उस दिन से पहले इतना ज़्यादा सम्मान कभी नहीं मिला था। मोनू के साथी देवेंद्र ने कहा , “बहुत शाबाशी मिली, सभी ने बहुत सम्मान दिया; उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हम लोगों को गले लगाया और 50- 50 हज़ार रूपये का इनाम देने को कहा।”

मोनू और देवेंद्र जैसे रैट होल माइनर्स ओडिशा, मुंबई, कर्नाटक, दिल्ली जैसे प्रदेशों में काम की तलाश में जाते हैं। मुश्किल से उन्हें एक दिन का 800 से हज़ार रुपए मिलता है। लेकिन सुरँग में फँसे मजदूरों को बाहर निकालने के बाद उन्हें अपने इस काम पर अब गर्व महसूस हो रहा है।

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