कई प्रदेशों में है बाराबंकी के इस केला किसान की चर्चा, देखें वीडियो
Devanshu Mani Tiwari 14 Oct 2016 7:43 PM GMT

रवीद्र वर्मा, कम्यूनिटी जर्नलिस्ट
बाराबंकी। कहते हैं, जब जागो, तभी सवेरा...बाराबंकी से 40 किलोमीटर दूर निंदूरा ब्लॉक के नंदपुर गांव के चंद्रशेखर पांडे ने उम्र के इस पड़ाव पर भी खेती में प्रयोग करना नहीं छोड़ा...नतीजा सामने है। इनके खेतों में केले की पैदावार जिस तरह से हुई है, उसकी चर्चा बाराबंकी की सरहद से बाहर भी हो रही है। दरअसल, खेती में बढ़ती लागत और कम मुनाफे को देखते हुए इन्होंने पारंपरिक खेती की जगह केले को कमाई को जरिया बनाया।
ड्रिप सिंचाई तकनीक का लिया सहारा
75 साल के चंद्रशेखर का पूरा परिवार खेती में लगा हुआ है। इन्होंने केले की फसल की अच्छी तरह सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक का सहारा लिया। अब इनके खेतों में पानी की एक-एक बूंद का सही इस्तेमाल होता है और फालतू खर-पतवार से भी आजादी मिल गई है। मतलब, साफ है कि खेती की लागत में बहुत कमी आ गई है। चंद्रशेखर पांडे को ड्रिप सिंचाई संयंत्र लगवाने में सरकार की ओर से भी काफी मदद मिली। अपने गांव के बुजुर्गों में ये सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे हैं और अपनी सूझ-बूझ से खेती की तकनीक को एक पायदान और ऊपर ले जाने की कोशिश में जुटे हैं। अब ये अपने खेतों में रासायनिक खाद या दवा का प्रयोग किए बिना जैविक केला उगाने की योजना बना रहे हैं, जिससे मिट्टी की सेहत के साथ-साथ लोगों की सेहत भी दुरुस्त रहे।
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banana बाराबंकी केला चंद्रशेखर पाण्डेय
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