क्या आप जानते हैं कितनी तरह की हैं आल्हा की कहानियां

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हम सभी ने कभी न कभी आल्हा जरूर सुना होगा, जिसकी शुरूआत बुंदेलखंड के महोबा में हुई थी, लेकिन कम ही लोग जानते होंगे की आल्हा के पचास से अधिक भाग हैं।
आल्हा लोकगीत की एक विधा है, जिसकी शुरूआत बुंदेलखंड के महोबा में हुई थी, आल्हा व उदल महोबा के राजा परमाल के सेनापति थे। बस यही से आल्हा गीत की शुरूआत हुई। शीलू से पहले इस गीत को सिर्फ पुरुष गाया करते थे, लेकिन आज शीलू भी आल्हा की प्रसिद्ध गायक हैं। लेकिन शीलू की राह इतनी आसान नहीं थी।

कौन थी राजकुमारी बेला, जिसके गौने में खत्म हो गई थी राजा परमाल की सेना



उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड कभी जाएं, तो लोकगीत आल्हा ज़रूर सुनिएगा। वीर रस से भरे हुए ये लोक गीत बुंदेलखंड का अभिमान भी हैं और पहचान भी। ढोलक, झांझड़ और मंजीरे की संगत में आल्हा गायक तलवार चलाते हुए जब ऊंची आवाज़ में आल्हा गाते हैं, तो माहौल जोश से भर जाता है। ये गीत कई सदियों से बुंदेलखंड की संस्कृति का हिस्सा रहे हैं।
आल्हा बुंदेलखंड के दो भाइयों (आल्हा और ऊदल) की वीरता की कहानियां कहते हैं। यह गीत बुंदेली और अवधी भाषा में लिखे गए हैं और मुख्यरूप से उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड और बिहार व मध्यप्रदेश के कुछ इलाक़ों में गाए जाते हैं। आल्हा और ऊदल बुंदेलखंड के दो वीर भाई थे।

क्या आपको भी याद है गाँव में गाए जाने वाला आल्हा गीत

12वीं सदी में राजा पृथ्वीराज चौहान से अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए दोनों वीरता से लड़े। हालांकि इस लड़ाई में आल्हा और ऊदल की हार हुई, लेकिन बुंदेलखंड में इन दोनों की वीरता के किस्से अब भी सुनने को मिल जाते हैं। इन्हीं दोनों भाईयों की कहानियों को कवि जगनिक ने सन 1250 में काव्य के रूप में लिखा, वही काव्य अब लोकगीत आल्हा के नाम से जाना जाता है।


पचास से भी अधिक तरह का होता है आल्हा गीत

आल्हा गीत की शुरूआत पृथ्वीराज चौहान व संयोगिता के स्वयंवर से होती है, अलग-अलग भाग में अलग-अलग कहानियां हैं, ज्यादातर भाग में युद्ध ही है। आखिरी भाग में महोबा की राजकुमारी बेला के सती होने की कहानी है।
  1. संयोगिता स्वयंवर
  2. परमाल का विवाह
  3. महोबा की लड़ाई
  4. गढ़ माड़ों की लड़ाई
  5. नैनागढ़ की लड़ाई
  6. विदा की लड़ाई
  7. महला- हरण
  8. मलखान का विवाह
  9. गंगा-घाट की लड़ाई
  10. ब्रह्मा का विवाह
  11. नरवर गढ़ की लड़ाई
  12. ऊदल की कैद
  13. चंद्राबलि की चौथी की लड़ाई
  14. चंद्रावली की विदा
  15. इंदल हरण
  16. संगल दीप की लड़ाई
  17. संगल दीप की लड़ाई
  18. आल्हा की निकासी
  19. लाखन का विवाह
  20. गाँ की लड़ाई पट्टी की लड़ाई
  21. कोट कामरु की लड़ाई
  22. बंगाले की लड़ाई
  23. अटक की लड़ाई
  24. जिंसी की लड़ाई
  25. रुसनी गढ़ की लड़ाई
  26. पटना की लड़ाई
  27. अंबरगढ़ की लड़ाई
  28. सुंदरगढ़ की लड़ाई
  29. सिरसागढ़ की लड़ाई
  30. सिरसा की दूसरी लड़ाई
  31. भुजरियों की लड़ाई
  32. ब्रह्म की जीत
  33. बौना चोर का विवाह
  34. धौलागढ़ की लड़ाई
  35. गढ़ चक्कर की लड़ाई
  36. ढ़ेबा का विवाह
  37. माहिल का विवाह
  38. सामरगढ़ की लड़ाई
  39. मनोकामना तीरथ की लड़ाई
  40. सुरजावती हरण
  41. जागन का विवाह
  42. शंकर गढ़ की लड़ाई
  43. आल्हा का मनौआ
  44. बेतवा नदी की लड़ाई
  45. लाखन और पृथ्वीराज की लड़ाई
  46. ऊदल हरण
  47. बेला का गौना
  48. बेला के गौने की दूसरी लड़ाई
  49. बेला और ताहर की लड़ाई
  50. चंदन बाग की लड़ाई
  51. जैतखम्ब की लड़ाई
  52. बेला सती
ये रहे आल्हा लोकगीत के 52 भाग, इसलिए अगली बार जब आल्हा सुनिएगा तो ध्यान से सुनिएगा, क्यों हर भाग एक अलग कहानी सुनाता है।

    

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