जान जोखिम में डालकर स्कूल पढ़ाने जाती है ये सरकारी टीचर, देखें वीडियो 

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जान जोखिम में डालकर स्कूल पढ़ाने जाती है ये सरकारी टीचर, देखें वीडियो जमका प्राथमिक स्कूल में बाबी सिंह, फाइल फोटो-

बाराबंकी (यूपी)। सरकारी स्कूल, सरकारी टीचर, सरकारी पढाई... का ख्याल मन में ही जो मन में धारणा बनती है वो काफी हद तक नकारात्मक है। माना जाता है वहां के शिक्षक उदासीन और पढ़ाई से ज्यादा बाकी कामों में व्यस्त रहते हैं। शिक्षकों की अपनी मजबूरियां होंगी और आप भी काफी हद तक सच। लेकिन इन सबसे दूर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आपके सारे पूर्वाग्रहों को दूर कर देंगी, और आप भी इस शिक्षिका के जज्बे को सलाम करेंगे।

बाराबंकी जिले की रामनगर तहसील के ब्लाक सूरतगंज का जमका गाँव घाघरा नदी के बीचों बीच एक टापू पर बसा हुआ है। इस गाँव में एक प्राथमिक विद्यालय है जिसमें पढ़ाने वाली अध्यापिका बॉबी सिंह (35) पिछले सात साल से लगातार कई मुश्किलों को पार कर छोटे बच्चों को पढ़ाने आती है।

बॉबी सिंह बताती हैं कि बरसात में चारों तरफ बाढ़ का पानी रहता है और गर्मी में चारों तरफ चिलचिलाती धूप में उड़ती घाघरा नदी की बालू सीधे मुंह और आंखों में पहुँचती है। लेकिन इससे भी ज्यादा परेशानी तो सर्दियों के दिन में होती है क्योंकि उस वक्त चारों तरफ कोहरा ही कोहरा रहता है जिससे रास्ता भटकने का ख़तरा सबसे ज्यादा रहता है। इन सबके बावजूद भी बॉबी सिंह रोज स्कूल जाती है ताकि बच्चों को पढ़ा सकें।

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बॉबी सिंह बाराबंकी शहर में रहती हैं जहां से उनका विद्यालय लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर है। विद्यालय पहुंचने के लिए बॉबी सिंह को सुबह ही बस पकड़नी पड़ती है फिर नाव से घाघरा नदी पार विद्यालय पहुंचती है। ऐसे में बाराबंकी से स्कूल तक पहुंचने के लिए लगभग 4 घंटे से अधिक का समय उन्हें लगता है। इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए अब बॉबी सिंह ने विद्यालय में ही अपना अस्थायी निवास बना लिया है और हफ्ते में रविवार को व अन्य अवकाश के दिन वह अपने परिवार से मिलने शहर आ जाती है।

जमका गाँव के प्रधान बताते हैं कि मैडम जब से स्कूल में आई हैं गाँव वाले अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए शाम को भी स्कूल में भेज देते हैं। उन्होंने बताया कि गाँव में न तो बिजली है, ना सड़कें और न कोई सरकारी हॉस्पिटल। आधे दर्जन से अधिक गाँव घाघरा नदी के इस पास हैं जहां कोई अधिकारी नहीं पहुंच पाता। बॉबी सिंह ने पढ़ाई का स्तर इतना बेहतर कर दिया है कि बाराबंकी के साथ ही बहराइच जिले के दो-तीन गांवों के बच्चे यहां पढ़ने आते हैं।

नाव का सहारा लेना मजबूरी है

इस स्कूल तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। एक तो जिले के सूरतगंज ब्लाक अन्तर्गत आने वाले हेतमापुर गाँव पहुंचकर वहां से नाव का सफर तय करके जाया जा सकता है, वहीं दूसरा रास्ता तहसील रामनगर घाघरा पुल को पार करके लखनऊ बहराइच राष्ट्रीय राज्य मार्ग स्थित बहराइच जिले की तहसील कैसरगंज से भी यहां पहुँचा जा सकता है, लेकिन दोनों ही रास्ते में आपको नाव का सहारा लेना मजबूरी है क्योंकि दोनों तरफ से ये गांव घाघरा नदी से घिरा है।

ट्रांसफर भी नहीं कराना चाहती शिक्षिका

इस सरकारी स्कूल की बाउंड्रीवाल और शौचालय की स्थिति बेहद ख़राब है लेकिन इसका बॉबी सिंह पर कोई असर नहीं पड़ता। वो बताती हैं कि स्कूल की कई समस्याओं को लेकर मैंने विभाग के अधिकारियों को बताया है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। भले ही स्कूल की ख़राब स्थिति पर जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जल्द से जल्द स्थिति को सही करवाने का भरोसा दिया हो लेकिन वो भी बॉबी सिंह की बहादुरी की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने बॉबी सिंह का जमका प्राइमरी स्कूल से ट्रांसफर करने को बोला है लेकिन वो वहां से कहीं और स्कूल में जाना नहीं चाहती है।

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