हिम्मत हारने वालों को आईआईएम लखनऊ की परिधि वर्मा से प्रेरणा लेनी चाहिए
Basant Kumar 23 March 2017 3:37 PM GMT
लखनऊ। कहते हैं ‘शौक ए दीदार हो अगर, तो नज़र पैदा कर’ सच है, हमारी ज़िंदगी में नज़र की खास अहमियत है, लेकिन आज हम आपको मिलवा रहे हैं, एक ऐसी लड़की से जिसने अपनी नज़र के दसवें हिस्से से जब दुनिया को देखा तो वहां उसके लिए थी मायूसी, रुकावटें ओर उदासी, लेकिन फिर भी उस लड़की ने हार नहीं मानी, नज़र के दसवें हिस्से से भी उसने सिर्फ उसी मंज़िल को देखा जहां वो जाना चाहती थी।
जयपुर की रहने वालीं परिधि वर्मा की देखने की 90 फीसदी क्षमता बचपन में ही बीमारी के चलते खत्म हो गयी थी लेकिन परिधि की आंखों में नन्हें-नन्हें सपने थे जिन्हे वो हकीकत में बदलना चाहती थी। वो आईआईएम में पढ़ना चाहती थी। लोगों ने कहा ये मुमकिन नहीं है, लेकिन परिधि ने हिम्मत नहीं हारी लो लड़ती रहीं, तब तक जब तक वो मंज़िल नहीं मिली। उनकी प्रतिभा को देखकर उसे IIM लखनऊ में दाखिला मिल गया, जहां से उसने माइक्रो फाइनेंस जैसे कठिन विषय में न सिर्फ पढ़ाई की, बल्कि बहुत अच्छे नंबर लाकर एक बड़े पैकेज पर नौकरी हासिल की।
परिधि सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं खेलकूद और फैशन में भी रुचि रखती हैं। वो गिटार भी बजाती हैं। वे लोग जो अपनी छोटी-छोटी दिक्कतों से परेशान होकर संघर्ष के आधे रास्ते से लौट जाते हैं, उन लोगों के लिए परिधि एक मिसाल हैं। परिधि ने तमाम दिक्कतों के अंधेरे में भी उम्मीद और कोशिश की लौ में अपने ख्वाबों पर दस फीसदी ही सही नज़र बनाए रखी।
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