2000 से 3500 में भी बन सकता है ये शौचालय...

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2000 से 3500 में भी बन सकता है ये शौचालय...सस्ता शौचालय (फोटो : सोशल मीडिया)

शौचालय कितना जरूरी है, ये समझाने की जरूरत नहीं। पिछले कई दशकों से सरकार अपने पैसे से लोगों को घरों में शौचालय बनवा रही है, फिर भी करोड़ों घरों में शौचालय नहीं हैं।

वैसे तो शौचालय करीब 10 हजार हजार से लेकर लाखों रुपए तक की कीमत के बने हैं लेकिन सरकार प्राय करीब 12 हजार रुपए एक घर को शौचालय बनवाने के लिए देती है। लेकिन उसकी एक प्रक्रिया है। इसी बीच कुछ करोड़ों लोगों ने अपने पैसे से भी घरों में शौचालय बनवाए हैं। कुछ लोगों के पास इतने पैसे नहीं कि पक्का घर या शौचालय बनवा सकें।

इन्हीं लोगों में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने जुगाड़ से इज्जतघर बवनाए हैं वो भी 2000 से 3500 रुपए में। इन दिनों सोशल मीडिया में एक फोटो अक्सर लोग शेयर कर रहे हैं, जो बांस के बने शौचालय की है। कहा जा रहा है ये सिर्फ 2000 में बना है और देखने में काफी बेहतर भी। शौचालय को लेकर जागरुकता के बाद ऐसे शौचालय ग्रामीण इलाकों में तेजी से बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के कई गांवों में लोगों ने अपनी समझबूझ से ऐसे ही जुगाड़ वाले शौचालय बवाए हैं। देखिए वीडियो

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पिछले वर्ष गांव कनेक्शन की टीम गोरखपुर में जंगल कौड़िया के कुड़वा गांव पहुंची थी तो यहां कई घरों में बांस के शौचालय नजर आए थे। ये शौचालय भले पक्के नहीं थे लेकिन इन घरों की लड़कियां काफी खुश थीं। इसी गांव की नीतू सिंह बताती हैं, “शौचालय बनने से कुछ हुआ हो या न हुआ हो, देर-सवेर शौच जाने की ज़रूरत महसूस होती है तो अब सोचना नहीं पड़ता”। कुड़वा गाँव की नीतू सिंह (19 वर्ष) के मुताबिक उनके गांव में पहले सब खुले में शौच जाते थे, फिर सबने मिलकर इसका समाधान निकाला।

भारत में करोड़ों लड़कियां नीतू सिंह की तरह रोज शर्मिंदगी का शिकार होती हैं, पैसे की कमी से परेशानियों का शिकार होती है। नीतू के गांव का ये शौचालय सिर्फ 3500 रुपे में बना था, हालांकि ये छत्तीसगढ़ वाले जितना खूबसूरत नहीं।

ऐसे शौचालय बनाने के लिए कई संस्थाएं भी आगे आई हैं। गोरखपुर की नीतू के यहां ये शौचालय गोरखपुर एनवायरमेंटल एक्शन ग्रुप ने ग्रामीणों के साथ मिलकर वनवाया था। बांस की दीवार और बांस की ही छत वाले इन शौचालयों को बवाने में करीब 3500 रुपए (प्रति शौचालय) की लागत आई थी। इसमें बांस की दीवार के ऊपर मिट्टी का लेप चढ़ाया गया था।

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ग्रामीण स्तर पर हो रही हैं ये कवायदें निसंदेह बेहतर ही हैं। हालांकि स्वच्छ भारत मिशन, निर्मल भारत अभियान के तरह सरकार 10-12 हजार रुपए देती है। 2019 तक पूरे भारत को खुले में शौच से मुक्त भी करना है। लेकिन कई बार ये धनराशि भ्रष्टाचार के चलते आम लोगों तक नहीं पहुंचती तो कई बार आम लोग भी सरकारी पैसे का दुरुपयोग करते हैं। कुछ लोग सरकार का पैसा खा गए तो कुछ इसमें भूंसे कड़े तक भर रहे हैं या फिर यूं ही छोड़ दया है।

पूर्वांचल के के तमाम जिलों में जहां गंदगी के चलते कई बीमारियां फैलती हैं, सैकड़ों बच्चों समेत हजारों लोगों की जान जाती है। ऐसे शौचालय फौरी तौर पर बेहतर विकल्प हो सकते हैं। गोरखपुर इंन्वायरमेंटल एक्शन ग्रुप की ब्लॉक कॉर्डिनेटर अंजु पांडेय बताती हैं, “जब हम पहली बार इस गांव पहुंचे तो तो यहां साफ सफाई की बहुत जरुरत थी। इतनी गंदगी की थी कि सड़क पर खड़े होकर बात करना मुश्किल था, ये सब सिर्फ शौचालय न होने और लोगों की सोच के वजह से था। फिर हम लोगों गांव वालों की सहमति से ये शौचालय बनवाने की शुरुआत की।” वो आगे बताते हैं, यहां बांस काफी मात्रा में थे इसलिए खर्च और कम हो गया।” संस्था और निजी स्तर पर ये शौचालय कई गांवों में देखे जा सकते हैं।

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