वीडियो : केले का बेकार तना भी बन सकता है कमाई का जरिया, इनसे सीखिए 

अभी तक भारत में सिर्फ केले के फलों का इस्तेमाल होता था और कुछ दक्षिण की कुछ जगहों पर केले के पत्तों को खाना परोसने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन तनों के ये प्रोडक्ट बनाकर आप अपनी कमाई को बढ़ा सकते हैं...

Divendra SinghDivendra Singh   31 Aug 2018 9:28 AM GMT

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अभी तक केले के फलों का ही इस्तेमाल होता है, केला की फसल तैयार होने के बाद किसान तने को काटकर फेंक देते हैं, लेकिन कुशीनगर के रवि केले के बेकार तने से पेपर, साड़ी जैसे उत्पाद बनाकर न केवल खुद कमाई कर रहे हैं, साथ दूसरे किसानों को भी ट्रेनिंग दे रहे हैं।


रोजगार की तलाश में दिल्ली गए रवि प्रसाद एक दिन प्रगति मैदान में लगे मेले में गए, जहां पर दक्षिण भारत के स्टॉल पर केले के तने के उत्पादों के बारे में देखा। रवि बताते हैं, "साउथ इंडिया के स्टाल पर जाकर देखा कि कैसे कोयम्बटूर में केले के तने से चटाई, चप्प्ल जैसे प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं, जिस केले के तने को हमारे गाँव में बेकार समझकर फेंक दिया जाता है।"

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साउथ इंडिया के स्टाल पर जाकर देखा कि कैसे कोयम्बटूर में केले के तने से चटाई, चप्प्ल जैसे प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं, जिस केले के तने को हमारे गाँव में बेकार समझकर फेंक दिया जाता है।
रवि प्रसाद, कुशीनगर


रवि प्रसाद यूपी के कुशीनगर जिले के तमकुही राज तहसील के हरिहरपुर गाँव के रहने वाले हैं, जहां पर पिछले कुछ वर्षों में किसानों का रुझान केले की खेती की तरफ बढ़ा है, कुशीनगर ही नहीं पूर्वांचल के गोरखपुर, कुशीनगर जैसे जिलों में किसानों ने केले की खेती शुरु की है, लेकिन उत्पादन के बाद तने को काटकर फेंक देते हैं या जला देते हैं।

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अभी तक भारत में सिर्फ केले के फलों का इस्तेमाल होता था और कुछ दक्षिण की कुछ जगहों पर केले के पत्तों को खाना परोसने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन तनों के ये प्रोडक्ट बनाकर आप अपनी कमाई को बढ़ा सकते हैं। तमिलनाडू, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आसाम, उड़ीसा, बिहार, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश, देश के प्रमुख केला उत्पादक राज्य हैं।

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रवि बताते हैं, "मैंने उन लोगों से एड्रेस लिया और उनसे रिक्वेस्ट किया कि हमें भी ट्रेनिंग चाहिए, हमारे कुशीनगर जिले में काफी मात्रा में केले की खेती होती है, किसान केले को मार्केट में बेचे देते हैं उसके बाद केले के तने को इधर-उधर फेक देते हैं, वो इधर-उधर पड़े हुए सड़ता रहता है, तो वो लोग खुश हुए कि आइए ट्रेनिंग देंगे। एक महीने के लिए कोयम्बटूर गया वहां पर ट्रेनिंग आकर काम को शुरू किया। लोगों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।"

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ये काम शुरू करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार की योजना, एक जिला एक उत्पाद के लिए उनका चयन हो गया। वो बताते हैं, "एक जिला एक उत्पाद में सेलेक्शन के बाद, शिल्प ग्राम में जगह मिल गई, मुख्यमंत्री ने मुझे सर्टिफिकेट भी दिया। अब मेरे पास दूसरे जिलों के ऑफर आ रहे है, कि हमको बताइए हम भी करना चाहते हैं।"

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कमाई के बारे में रवि कहते हैं, "अभी नए नए हैं, तो समझ नहीं पाए थे, लेकिन अब लोगों को ऑफर आ रहे हैं, इससे पेपर बनता है, साड़ियां बनती हैं, बनारस की एक साड़ी कंपनी से आर्डर मिला है, चित्रकूट से भी आर्डर मिला है कि वो इसके फाइबर से पेपर बनाएंगे। मुझे खुशी होती है कि इतनी जल्दी ही लोगों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। पहले लग रहा था कि काम शुरु कर रहे हैं पता नहीं क्या होगा।"


अगर कोई ट्रेनिंग लेना चाहता है तो रवि उसे ट्रेनिंग दे सकते हैं। "अगर कोई ट्रेनिंग लेना चाहे तो ट्रेनिंग ले सकता है, 15-20 दिनों में पूरी ट्रेनिंग हो जाती है, साथ ही मशीनें भी मैं उपलब्ध कराता हूं, "रवि ने बताया।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:

रवि प्रसाद, मालवा केला रेशा उत्पादन लघु उद्योग के केन्द्र

हरिहरपुर, तमकुड़ीराज, कुशीनगर (यूपी)

मो. 7379744742

9506208241

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