मेरठ (उत्तर प्रदेश)। कई साल तक एक प्राईवेट कंपनी में नौकरी करने के बाद जब गाँव लौटने के बाद जब धान के बीज से शुरूआत की तो शुरू में बहुत परेशानी हुई, लेकिन आज 2100-2300 कुंतल तक बीज तैयार करते हैं।
मेरठ जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर सरधना ब्लॉक के कुशवाली गाँव के किसान विनोद सैनी चिराग सीड्स के नाम से गाँव में ही प्लांट शुरू किया है। यहां वो बासमती धान का बीज तैयार करते हैं। उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान विनोद के यहां से बीज लेकर जाते हैं, और कई बार समय से पहले बीज खत्म हो जाता है डिमांड भी किसानों की पूरी नहीं हो पाती।
विनोद बताते हैं, “मैंने एमएसी करने के बाद साल 2001 में सोनीपत में फार्मा कंपनी में जॉब की थी वहां कुछ खास नहीं रहा उसके बाद से गाँव आ गया। गाँव में ही वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार किया एक साल तक अच्छी कमाई हुई एक दिन सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी में किसान मेला लगा था। वहां पर मैंने अपनी वर्मी कम्पोस्ट की स्टाल लगाई थी कई बड़े कृषि वैज्ञानिकों ने उस खाद को अच्छा बताया और उन्होंने मेरे यहां विजिट की। उसके बाद साल दो साल बाद धान का बीज तैयार किया किसानों को काफी अच्छा लगा।”
वो आगे बताते हैं, “हमने 40 कुंतल बीज तैयार किया था और जब मार्केट में बेचने के लिए निकले तो दुकानदार घंटो तक हमें बैठा देते थे, लेकिन कोई नहीं खरीदता था न विश्वास करता था, लेकिन जब किसानों को अच्छा लगा तो धीरे -धीरे डिमांड बढ़ने लगी और दुकानदार भी खरीदने लगे उस समय हम 40 कुंतल तैयार था वो भी नहीं बिका था बच गया था, लेकिन आज हम 2100 कुंतल से 2300 कुंतल माल तैयार करते हैं सब बिक जाता है।”
बासमती का कई किस्म का बीज तैयार करते हैं
विनोद बताते हैं, “हम बासमती का कई प्रकार का बीज तैयार करते हैं, जिसमें पूसा बासमती (1121), पूसा बासमती (1509), पूसा बासमती (1609) , लगभग 6 किस्म का बीज तैयार करते हैं, जिसमे सबसे ज्यादा डिमांड और अच्छा रिज़ल्ट पूसा बासमती (1121) का ही आता है।
बीज को साफ़ करने लिए लगाई गईं हैं मशीनें
विनोद सैनी आगे बताते हैं, “हमनें प्लान्ट में चार प्रकार की मशीनें लगाई हैं जिसमें बीज को साफ़ करने के लिए , बीज में कोई कंकड़ पत्थर या जो बीमार बीज रहता है, उसे भी अलग कर देती हैं टूटा बीज, ख़राब बीज, जो बीज बेकार रहता है उसे मशीन अलग निकाल कर फेंक देती हैं किसानों को एक अच्छे किस्म का बीज तैयार कर के दिया जाता है, जिसकी पैकिंग 12 किलोग्राम की है।
बीज की डिमांड भी पूरी नहीं हो पाती
विनोद सैनी बताते हैं, “हम धान का बीज तैयार करते हैं लेकिन किसान समय से पहले ही आ जाते हैं, जिसमें कई किसानों की शिकायत भी रहती है कि हमें नहीं मिल पाता लेकिन आज हम किसानों की पूर्ति भी नहीं कर पाते। बड़े किसान पहले ही फोन पर ऑर्डर बुक कर देते हैं, कुछ किसान तो पंजाब के ऐसे भी हम से कम दामों पर बीज खरीद लेते हैं, लेकिन वहां जा कर छोटे किसानों को महंगा बीज बेचते हैं।
कौशल विकास केन्द्र के बच्चे भी लेते हैं यहां प्रशिक्षण
विनोद सैनी बताते है, “प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र में जो बच्चें पढ़ते हैं वह हमारे गाँव मे प्लांट पर ट्रेंनिग लेने के लिए आते हैं, हम बच्चों को सभी चीजें समझाते हैं किस तरह बीज तैयार होता हैं पैकिंग कैसे की जाती है, बीज की सफ़ाई किस प्रकार की जाती है सैकड़ों की संख्या में बच्चे ट्रेनिंग लेने आते हैं।
बेस्ट किसान का अवार्ड भी मिला
विनोद सैनी बताते है कि हमें इस ग्रामोद्योग को लेकर बेस्ट किसान अवार्ड भी मिला है, जिसमें हमारे बीज को किसानों ने सराहा है और यह हमारे लिए गर्व की बात है हम किसानों के लिए काम दामों में अच्छे किस्म का बीज देते हैं।
पांच हेक्टेयर में कर रहे ऑर्गेनिक खेती
विनोद सैनी बताते हैं, “हम पिछले 3 साल से प्राकृतिक खेती भी कर रहे हैं, जिमसें हमने गन्ना, गोभी, पत्तागोभी, दाल , हल्दी कई प्रकर की सब्ज़ी की बुवाई करते हैं ना के बराबर ही रासायनिक खाद प्रयोग में लाते हैं।