दूसरे बच्चों की तरह ये बच्चे भी अब भी स्मार्ट क्लास के जरिए पढ़ाई करते हैं, इस नई पहल से बच्चों को बच्चों को कुछ नया सीखने को मिल रहा है, साथ ही बच्चों को अब पढ़ाई में भी आसानी हो गई है।
गुजरात के अहमदाबाद शहर के वस्त्रापुर इलाके में मौजूद अंधजन मंडल की ओर से दृष्टिबाधित दिव्यांगों को स्मार्ट क्लास के जरिये शिक्षा देने का काम किया जा रहा है। पिछले साल मार्च महीने में स्मार्ट क्लास की शुरुआत की गयी लेकिन कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए इसे भी बंद कर दिया गया था। वहीं कोरोना संक्रमण की रफ़्तार कम होने के बाद एक बार फिर से अंधजन मंडल में विद्यार्थियों की चहल पहल शुरू हो गयी है। अभी शुरुआत के समय में 9वीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों को स्मार्ट क्लास के जरिये शिक्षा देने का काम किया जा रहा है। कुल 60 विद्यार्थियों को टेक्नॉलॉजी की मदद से तालीम दी जा रही है।
17 साल के जतिन राठौर 11वीं कक्षा में पढ़ते हैं, जतिन गांव कनेक्शन से बताते हैं, “स्मार्ट क्लास के बारे में हमने कई बार सुना लेकिन यह नहीं समझ पाते थे कि ये आखिर यह होता क्या है। अंधजन मंडल में जब स्मार्ट क्लास शुरू हुआ तो हम समझ नहीं पा रहे थे की यह होता क्या है। मोबाइल और कम्प्यूटर तो आसानी से चला लेते हैं। लेकिन स्मार्ट क्लास में क्या कोई शिक्षक पढ़ाएंगे या हमें खुद पढ़ना होगा। इन सबको लेकर बड़ी चिंता थी।”
“लेकिन जब हमने स्मार्ट क्लास में पढ़ना शुरू किया तो लगा ये हमारे लिए एक बेहतर विकल्प है। हम स्मार्ट क्लास में सुनकर तो पढ़ते ही हैं। साथ ही ऑर्बिट रीडर,ऑर्बिट राइटर उपकरण की मदद से हम अपनी पढ़ाई आसानी से कर सकते हैं। इन उपकरणों का उपयोग स्मार्ट क्लास के माध्यम से ही करना सीखा है। शुरुआत के दिनों में ब्रेन लिपि से जुड़ी किताबों के जरिये हम पढ़ाई करते थे लेकिन स्मार्ट क्लास शुरू होने से अब पुस्तकालय में जाकर पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती है, “जतिन ने आग बताया।
ऑर्बिट रीडर, ऑर्बिट राइटर सहित अन्य उपकरणों की मदद से दृष्टिबाधित विद्यार्थी को टेक्नॉलॉजी की बारीकियों के बारे में सिखाया जा रहा है। अंधजन मंडल गुजरात राज्य का पहला दृष्टिबाधित विद्यालय है जहां स्मार्ट क्लास की मदद से विद्यार्थियों के जीवन में किताबों की जगह उपकरणों की मदद से पढ़ाई हो रही।
यहां के लगभग सभी दृष्टिबाधित विद्यार्थी मोबाइल व कंप्यूटर सहित अन्य उपकरण आसानी से चला लेते हैं। ये स्मार्ट क्लास के जरिए अपने विषय से सम्बंधित पढ़ाई सुनकर और ऑर्बिट रीडर के जरिए करते हैं। इन उपकरणों में उनके विषय से जुड़ी सभी जानकारी इंस्टॉल रहता है।
पिछले एक साल से दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को स्मार्ट क्लास के जरिये कंप्यूटर की शिक्षा दे रहे अध्यापक सुमित पटेल इन बच्चों के बारे में बताते हैं, “दृष्टिबाधित विद्यार्थियों में तीन तरह के छात्र होते हैं, जिनमें वैसे छात्र जिन्हें कुछ भी दिखाई नहीं देता है, दूसरा जिन्हें नाम मात्र का दिखाई देता है और तीसरा जिन्हें 50 प्रतिशत ही दिखाई देता है। वैसे विद्यार्थियों को हम स्मार्ट क्लास में अलग अलग उपकरण की मदद से पढ़ाने का काम करते हैं।”
जब उनसे पूछा गया कि इन दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को पढ़ाना कितना बड़ा चैलेंज होता है, इस पर सुमित पटेल ने कहा कि इनके लिए कोई परेशानी नहीं होती है। वजह ये है कि इनमें से कई लोगों के माता पिता बचपन से ही दृष्टिबाधित हैं।
16 साल के कक्षा 11वीं के छात्र महेंद्र दर्जी बताते हैं, “पहले स्मार्ट क्लास के बारे में अन्य लोगों के माध्यम से सुनते थे लेकिन अब जब स्मार्ट क्लास के माध्यम से हम भी पढ़ाई कर रहे हैं तो बहुत ही बढ़िया लगता है। अब ऐसा लगता है कि आम विद्यार्थियों की तरह हम भी स्मार्ट क्लास की मदद से पढ़ाई कर सकते हैं।
दृष्टिबाधित विद्यार्थी आसानी से टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए अपने विषय से जुड़ी पढ़ाई कर सकें। इसके लिए एक शाला ऐप इन सभी बच्चों के मोबाइल और कंप्यूटर में उपलब्ध किया गया है, जिसमें कक्षा एक से लेकर 12वीं तक की सभी पाठ्य पुस्तकों की जानकारी उपलब्ध करायी गयी है। इससे इन विद्यार्थियों को यह फायदा हुआ कि वे सुनकर या ऑर्बिट रीडर उपकरण के जरिये पढ़ सकते हैं।
स्मार्ट क्लास के प्रधानाध्यापक मनु चौधरी कहते हैं, “स्मार्ट क्लास शुरू करने के पीछे का मकसद ये रहा कि 21वीं सदी में टेक्नॉलॉजी का उपयोग सबसे ज्यादा हो रहा है। इसको देखते हुए यह तय किया गया कि क्यों न हम दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को स्मार्ट क्लास के जरिये शिक्षा दें।”
वो आगे कहते हैं, “स्मार्ट क्लास से पहले ब्लाइंड विद्यार्थी ब्रेल बुक का इस्तेमाल करते थे। इसके लिए उन्हें लाइब्रेरी जाना पड़ता था। लेकिन अब स्मार्ट क्लास शुरू होने के बाद उनके ऑर्बिट रीडर उपकरण में सभी सुविधा उपलब्ध कराया गया है। इसके साथ ही आवाज से जुड़ी ऐप की मदद सेसे विद्यार्थी मोबाईल और कंप्यूटर को आसानी से चला लेते हैं। इसके साथ ही छात्रों में टेक्नॉलॉजी के प्रति रूचि पहले की अपेक्षा ज्यादा बढ़ी है। सीखने की भूख दृष्टिबधित विद्यार्थियों में बढ़ी है।”