बया का घोंसला, कलाकारी की गज़ब मिसाल

Ankita TiwariAnkita Tiwari   25 Jan 2019 8:29 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

कई बार जब आप गाँव देहातों और जंगलों की सैर पर जाते हैं, कंटीली झाड़ियों और वृक्षों पर बया के घोंसलों देखने मिल जाते हैं। बया पक्षी एक कमाल का कलाकार होता है जिसकी असल पहचान उसका खूबसूरत घोंसला होता है। अक्सर कंटीले पेड़ों पर घास-फूस से बने शाखाओं पर लटकते हुए एक साथ कई घोंसले देखे जा सकते हैं। बया पक्षी का वैज्ञानिक नाम प्लोसिअस फिलीपिनस है। खूबसूरत कलाकारी वाले घोंसलों को नर बया के द्वारा प्रजनन काल के दौरान बनाया जाता है। घास और धान के तिनकों से तैयार एक घोंसले को बनाने के लिए नर बया कम से कम ५०० से १००० बार फेरे मारता है और तिनके बटोर बटोर कर घोंसला बनाता है। खेत खलिहानों और मैदानी इलाकों से घास-फूस के बारीक बारीक रेशेदार तिनकों को बटोरकर इसे बड़े ही नायाब तरीके से तैयार किया जाता है। घोंसले का निचला हिस्सा खोखला होता है और बया इसी निचले हिस्से से घोंसले के भीतर प्रवेश करता है। घोंसले का निचला हिस्सा जो हवा में लटका होने के बजह से परभक्षी घोंसले के भीतर तक आसानी से नहीं पहुंच पाते हैं। घोंसले का अंदरूनी हिस्सा सुराही की तरह गोल आधार लिए होता है जिसमें मादा बया अंडे देती है। इस घोंसले की बनावट किसी इंजीनियरिंग से कम नहीं होती है। बया पक्षी एक साथ कॉलोनी बनाकर रहना पसंद करता है, एक ही पेड़ पर कई बार करीब 60 से 80 घोंसले देखे जा सकते हैं। मादा बया कई बार उसी पेड़ के किसी अन्य बया घोंसले में भी अपने अंडे दे आती है, जंतुविज्ञान में इस प्रक्रिया को ब्रूड पैरासिटिज्म कहा जाता है। कुलमिलाकर कहा जाए तो बया एक सामाजिक पक्षी है। बया के घोंसले शहरी इलाकों में देखने नहीं मिलते हैं। प्रकृति की इस अनमोल देन और अद्भुत कलाकृति को दिखाने के लिए बच्चों को देहातों और जंगलों की सैर जरूर कराएं ताकि उनका प्रकृति के साथ कनेक्शन बना रहे।

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.