बुंदेलखंड के किसानों को भा रही फूलों की खेती

गाँव कनेक्शनगाँव कनेक्शन   27 March 2019 10:06 AM GMT

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अरविंद सिंह परमार

कम्युनिटी जर्नलिस्ट

खितवांस (ललितपुर)। बुंदेलखंड में पिछले कुछ वर्षों में सूखे के वजह से पलायन बढ़े हैं, लेकिन यही पर ऐसे भी कुछ किसान हैं, जिन्होंने मिसाल कायम की है।

ललितपुर के खितवांस गाँव के कई किसान पिछले 15 वर्षों से फूलों की खेती कर रहे हैं। जब फूलों की खेती की शुरूवात की उन्हे अपने आप पर भरोसा नही था कि परिणाम इतने अच्छे आएंगे बुंदेलखंड के किसान खेती के तरीके को बदलकर परिवार की आर्थिक मजबूती स्थापित कर रहे हैं।

नारायणदास कुशवाहा के परिवार की माली हालात बहुत खराब थी, आठ पास के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। नारायणदास ने पलायन का रास्ता नहीं अपनाया बल्कि पुरानी ढर्रे वाली खेती से हटकर उद्यान उद्यान कृषि विभाग की प्रेरणा से फूलों की खेती की ओर रूख किया। इनके पास सोलर पैनल का प्लांट भी लगा हैं इसी के सहारे फूलों की खेती में पानी दे पाते हैं। पानी पर व्यय होने वाले रुपए की बचत होने लगी।

ललितपुर मुख्यालय से 18 किमी. पूर्व दिशा बिरधा ब्लॉक के खितवॉस गाँव के नारायणदास कुशवाहा (42 वर्ष) बताते हैं, "मेरे हिस्से में तीन एकड़ भूमि थी परिवार के छह लोगों का खर्च था 15 वर्षों से फूलों की खेती करते आ रहे हैं आज हमारे पास दो ट्रैक्टर पक्का मकान भी हैं कर्ज से छुटकारा मिला सुकून से हम लोग रह रहे हैं।"


फूलों की खेती से एक एकड़ में तीन से चार लाख का फायदा किसान उठा रहे हैं, नारायणदास बताते हैं, "दस एकड़ की खेती और फूलों की एक एकड़ की खेती में बराबर का फायदा। साल में तीन बार सीजन के हिसाब से गेंदा, नौरंगा, सफेद बिजली, देसी गेंदा गेदी के फूलों की खेती करते हैं। बारह महीने फूलों की खेती चलती रहती हैं अभी सफ़ेद बिजली का फूल चल रहा हैं। बाजार में फूलों की माँग के आधार पर बीस रुपए से लेकर साठ रूपया किलो फूल बिकता हैं।"

वो आगे बताते हैं कलकत्ता इंदौर भोपाल से विश्वसनीय पौध लेकर फूलों की खेती करते हैं, फूलों में माहू इल्ली का प्रकोप आता हैं रोग से बचने के लिए छिड़काव किया जाता हैं। एक एकड में फूलों की तीन फसल लगाने 40-45 हजार रूपया खर्चा आता हैं।

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अब पैसो के लिए चार माह फसल पकने का इंतजार नहीं करना पड़ता फूलों की खेती में घर के सभी सदस्य हाथ बटाते हैं। फूलों को तोडकर शहर के दुकानदारों तक पहुंचाकर बेचते हैं, उन्हें फूलो से होने वाली आमदनी की कीमत रोज मिलती हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई, दवाएं रोजमर्रा के खर्चों के लिए किसी के आगे हाथ नही फैलाना पड़ता, यह सब फूलों की खेती से सम्भव हो पाया हैं।

सरकार किसानों की आय दो गुना करने के लिए प्रयत्नशील हैं, नारायणदास कुशवाहा ने फूलों की खेती के साथ पहली बार तीन एकड मे प्लाज की खेती की शुरूवात की हैं वो बताते हैं, "अगर सरकारी रेट 12 रुपए किलो बिकती हैं तो 4-5 लाख की प्याज हो जायेगी रेट कम मिला तो 3-4 लाख की आराम से हो जायेगी।"


इसी गाँव के दयाराम कुशवाहा मिडिल के आगे पढ़ाई नहीं कर पाए, इसकी वजह पूछने पर दयाराम कुशवाहा बताते हैं, "गरीबी की स्थिति थी पढ़ाई छोड़नी पड़ी मैं तो चाहकर भी नहीं पढ़ सका, लेकिन मेरे दोनों बच्चों भोपाल और नोयडा में पढ़ रहे हैं। यह सब फूलों की खेती से होने वाली आय से सम्भव हुआ जैसे फूल खिलते हैं बैसे ही फूलों ने हमारे परिवार को आर्थिक मजबूती दी हैं परिवार फूलो की तरह खुश हैं।"

"दादा-परदादा सेठ-साहूकारों से कर्ज के रूप में पैसा लेते थे, पूरे साल पैसा लिया ब्याज भी बढ़ा। जो मार्जिन किसान को बचना चाहिए वह ब्याज में चला गया जब से फूलों की खेती की कर्ज से छुटकारा मिल गया अब हम सुकून की जिंदगी जी रहे हैं। जरूरत पड़ने पर सेठ-साहूकार के सामने कर्ज को हाथ नहीं फैलाने पड़ते।" यह कहना हैं खितवाँस गाँव के किसान दयाराम कुशवाहा (42 वर्ष) का।

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वो आगे बताते हैं चना, गेहूँ, मसूर, उड़द, मटर की खेती में धीरे-धीरे पैसा लगाते जाओ फसल आने पर लागत निकलने के बाद बीस प्रतिशत फायदा हो पाता था। इसी बीच प्राकृतिक आपदा आ गयी तो कुछ भी नही मिलता था।

दोगुनी आय की बात पर मुस्कुराते हुए दयाराम कुशवाहा बताते हैं, "सरकार किसान का कर्जा माफ तो बार-बार नहीं करेगी, करे तो कब तक करे। किसान कर्ज में डूबे हैं आत्महत्या कर रहे हैं जिनके पास एक-दो एकड़ भूमि हैं वो टेक्नीकल फूलबाग टमाटर लहसुन की खेती करे तो आय दो गुना हो सकती है। अगर नहीं करेगे तो कर्ज से किसानों की आत्महत्या नहीं रूकेगी। किसान सरकार की योजनाओ का लाभ ले और हमारी तरह आय बढ़ाए।

लवकुश भूषण जिला सलाहकार कृषि विभाग ललितपुर बताते हैं, "कृषि विभाग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के द्धारा समय-समय पर विभिन्न योजनाओं की जानकारी गोष्ठी प्रशिक्षणों के माध्यम से दी जाती हैं। जिससे अधिक से अधिक किसान योजनाओ के लाभ से लाभान्वित हो सकें। प्रदर्शन बीच कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जाते हैं किसान जलवायु के आधार पर नई तकनीकि को अपनाकर लाभ ले रहे हैं। योजनाओं के लाभ से पैदावार में इजाफा होने से आय में वृद्धि हो रही हैं।"

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