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लॉकडाउन में मछली पालकों को हुआ फायदा, किसान से जानिए कैसे हुई कमाई

पिछले कुछ साल मे पंगेसियस मछली का बाजार बढ़ा है, इसकी सबसे खास बात होती है ये जल्दी तैयार भी हो जाती है।
#fish farming

कैमूर (बिहार)। लॉकडाउन और कोरोना की अफवाहों के चलते पोल्ट्री फार्म जैसे व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा, उस समय मछली पालकों को काफी फायदा हुआ, उन्हें मछली का अच्छा दाम भी मिलता रहा।

बिहार के कैमूर जिले के रामगढ़ ब्लॉक के कलानी गाँव में रहने वाले राजेश सिंह तीन साल पहले छोटे से तालाब में मछली पालन की शुरूआत की थी, मछली पालन में फायदा देखकर उन्होंने एक एकड़ में मछली पालन शुरू कर दिया है। राजेश सिंह कहते हैं, “हर साल की अपेक्षा इस बार लॉकडाउन में मुझे मछली का दाम बढ़िया मिला है। हां, बस उत्पादन कम हुआ था नहीं तो और अच्छी कमाई हुई होती। खेती से ज्यादा मछली पालन से कमाई हो जाती है।”

लॉकडाउन में जब हर कोई अपने बिजनेस में नुकसान से परेशान हैं, लेकिन राजेश को फायदा हुआ। वो आगे कहते हैं, “मैंने तालाब में पंगेसियस मछली डाली है, जो इस लॉकडाउन में 115 से 120 के प्रति किलो के दाम से बिकी है। जबकि हर साल 90 से ज्यादा इसका दाम नहीं मिलता हैं। मछली का व्यापार घाटे का सौदा नहीं है। बस थोड़ा ध्यान दिया जाए तो आमदनी अच्छी मिल सकती है।”

पिछले कुछ साल में पंगेसियस मछली का बाजार से तेजी से बढ़ा है। इसकी खास बात होती है कि इसमें कांटे नहीं होते हैं और जल्दी तैयार भी हो जाती हैं। सात-आठ महीने में पंगेसियस मछली तैयार हो जाती है, इसलिए साल में दो बार इसे पाल सकते हैं।

राजेश मछली पालन में जो लागत आती है, उससे 20 से 30 प्रतिशत की कमाई कर लेते हैं। यानि साल में 2 लाख से ज्यादा की कमाई कर लेते हैं। चार बीघा मछलीपालन में कुल खर्च आठ लाख रुपए के आस पास लागत आती है। उसके बाद इनकी 9.50 लाख की कमाई हो जाती है। वे मानते हैं की इस बार मछली ठंड में मर गई थी नहीं तो वह और ज्यादा की कमाई कर सकते थे। उनको यह विश्वास हैं कि अगली बार इस कम आय को ज्यादा कर लिया जाएगा। ये अपने व्यवसाय से खुश है और लोगों को सलाह दे रहे हैं कि मछलीपालन घाटे का सौदा नहीं हैं। बस इस क्षेत्र में इनको सरकार से थोड़ी उम्मीदें जरूर है।

अगर आप भी पंगेसियस मछली पालना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। तालाब की गहराई डेढ़ से दो मीटर से ज्यादा कि नहीं होनी चाहिए। क्योंकि अगर तालाब ज्यादा गहरा हुआ तो मछलियां बार-बार ऊपर आएंगी, जिससे ज्यादा ऊर्जा खर्च होगी, जिससे इनकी वृद्धि कम होगी।

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