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शिमला मिर्च और भिंडी खाने के ये फायदे जानते हैं आप?

#Herbal Acharya

शिमला मिर्च को कौन नहीं जानता? हर हिन्दुस्तानी रसोई में इसे देखा जा सकता है और इसे बड़े चाव से सब्जी के तौर पर खाया जाता है। शिमला मिर्च को अन्य सब्जियों में मिलाकर न सिर्फ सब्जियों की रंगत बेहतर करी जाती है बल्कि इसे अन्य सब्जियों में बतौर सहायक मिलाने पर सब्जियों का जायका भी जबरदस्त हो जाता है। मजे की बात ये भी है कि आदिवासी अंचलों में इसे अनेक हर्बल नुस्खों के तौर पर भी उपयोग में लाया जाता है। यहाँ तक कि आधुनिक विज्ञान भी इसके औषधीय गुणों की भरपूर पैरवी करता है। बाज़ार में हरे, लाल और पीले रंगों की शिमला मिर्च बिकती हैं।

अलग-अलग रंगों वाली सभी शिमला मिर्च खास औषधीय गुणों वाली होती हैं। आधुनिक शोधों के अनुसार शिमला मिर्च में बीटा कैरोटीन, ल्यूटिन और जिएक्सेन्थिन और विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं। शिमला मिर्च के लगातार सेवन से शरीर बीटा कैरोटी को रेटिनोल में परिवर्तित कर देता है, रेटिनोल वास्तव में विटामिन ए का ही एक रूप है। इन सभी रसायनों के संयुक्त प्रभाव से हॄदय की समस्याओं, ओस्टियोआर्थराइटिस, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा जैसी समस्याओं में जबरदस्त फायदा होता है।

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शिमला मिर्च को आदिवासी कोलेस्ट्रॉल कम करने के अति उत्तम मानते हैं। आधुनिक शोधों से ज्ञात होता है कि शिमला मिर्च शरीर की मेटाबोलिक क्रियाओं को सुनियोजित करके ट्रायग्लिसराईड को कम करने में मदद करती है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार शिमला मिर्च वजन कम करने के लिए एक बेहतर उपाय है। वसा और कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा के पाए जाने के कारण यह शरीर के लिए उत्तम होती है। माना जाता है कि जो लोग अक्सर शिमला मिर्च का सेवन करते हैं उन्हें कमर दर्द, सायटिका और जोड़ दर्द जैसी समस्याएं कम होती है। शिमला मिर्च में पाया जाने वाला प्रमुख रसायन कैप्साइसिन दर्द निवारक माना जाता है।

आदिवासी हर्बल ज्ञान पर भरोसा किया जाए तो शिमला मिर्च शारीरिक शक्ति को मजबूत बनाने के लिए एक मददगार उपाय है। शिमला मिर्च में भरपूर मात्रा में विटामिन्स, खास तौर पर विटामिन ए, बी और सी। इसमें पाए जाने वाले रसायन शारीरिक मजबूती प्रदान करते हैं। शिमला मिर्च में एक प्रमुख रसायन के तौर पर लाइकोपीन भी पाया जाता है जिसे माना जाता है कि यह शारीरिक तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए बड़ा कारगर होता है। डाँग- गुजरात के हर्बल जानकार शिमला मिर्च को उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) को कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। इनके अनुसार सब्जी के तौर पर शिमला मिर्च का ज्यादा से ज्यादा सेवन बड़ा कारगर होता है। लाल शिमला मिर्च में एंथोसायनिन पिगमेंट्स पाए जाते हैं। लाल त्वचा वाली सब्जियों और फलों में यह एंटी कैंसर तत्व पाया जाता है।


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भिंडी के भी खूब औषधीय गुण होते हैं। महिलाओं की उँगलियों की तरह दिखने वाली फल्लियों की वजह से अँग्रेजी भाषा में इसे लेडीस फ़िंगर भी कहा जाता है। भिंडी अत्यधिक प्रचलित सब्जियों मे से एक है जो घरों के बगीचों से लेकर खेतों में विस्तार से उगाई जाती है। आमतौर पर लोग इसे सिर्फ़ एक सब्जी के तौर पर देखते है लेकिन आदिवासी इलाकों में इसे अनेक रोगों के उपचार हेतु प्रयोग में लाया जाता है।

मध्यप्रदेश के पातालकोट के भुमका (हर्बल जानकार) नपुंसकता दूर करने के लिये पुरुषों को कच्ची भिंडी को चबाने की सलाह देते हैं, ये आदिवासी शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भिंडी को बेहतर मानते हैं। डाँग- गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकार भिंडी का काढ़ा तैयार कर सिफलिस के रोगी को देते है। करीब 50 ग्राम भिंडी को बारीक काटकर 200 मिली पानी में उबाला जाता है और जब यह आधा शेष रहता है तो इसे रोगी को दिया जाता है। एक माह तक लगातार इस काढ़े को लेने से आराम मिलता है।

भिंडी के बीजों को एकत्र कर सुखाया जाता है और बच्चों को इसका चूर्ण खिलाया जाता है, माना जाता है कि ये बीज प्रोटीन युक्त होते है और उत्तम स्वास्थ्य के लिये बेहतर हैं। ये बीज टोनिक की तरह कार्य करते हैं और याददाश्त बेहतर करने में मददगार होते हैं।

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मधुमेह के रोगियों को अक्सर भिंडी की अधकची सब्जी का सेवन करते रहना चाहिए। डाँग- गुजरात के हर्बल जानकारों के अनुसार ताजी हरी भिंडी ज्यादा असर करती है। कुछ इलाकों में भिंडी के कटे हुए सिरों को पीने के पानी में डुबोकर सारी रात रखा जाता है और सवेरे खाली पेट इस पानी का सेवन किया जाता है। छानने के बाद बचे भिंडी के हिस्सों को फेंक दिया जाना चाहिए। माना जाता है कि मधुमेह नियंत्रण के लिए यह एक कारगर उपाय है।

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