गुजरात के इन किसानों से सीखिए सूरजमुखी से ज्यादा उत्पादन का तरीका

Ankit ChauhanAnkit Chauhan   11 Jan 2020 10:10 AM GMT

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अरवल्ली(गुजरात)। धान-गेहूं जैसी परंपरागत खेती करने वाले किसान अब कुछ अलग कर रहे हैं, यहां के 100 से अधिक किसानों ने सूरजमुखी की खेती की शुरूआत की और अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।

गुजरात के अरवल्ली जिले के मेघराज तहसील के बांठीवाड़ा गाँव के किसानों ने पिछले पांच वर्षों से सूरजमुखी की खेती कर रहे हैं। किसान बाबूभाई रावल बताते हैं, "पहले यहां किसान मक्का और गेहूं की खेती करते थे पर कभी-कभी बिन मौसम बारिश के कारण किसानों की फसल बर्बाद हो जाती थी और उन्हें बड़ा नुकसान होता था। इतना ही नहीं यह इलाका आदिवासी इलाका है और यहां पर पानी की ज्यादा किल्लत होती है, जिससे खेतों में पानी पहुंचना काफी मुश्किल होता है। जिसके चलते यहां के किसानों को भारी नुकसान के भुकतना पड़ता था।"

इसे खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसमों में उगा सकते हैं। इसके बीजों में 45-50 फीसदी तक तेल पाया जाता है। अपनी खूबियों की वजह से इस का तेल दिल के मरीजों के लिए दवा की तरह काम करता है।


वो आगे कहते हैं, "पांच साल पहले विशेषज्ञों से सलाह मशवरा लेने के बाद सूरजमुखी की खेती करने का नया रास्ता यहां के किसानों ने चुना और आज तक किसान हर साल सूरजमुखी की खेती करते हैं जिससे अच्छा मुनाफा वह कर रहे हैं।"

सूरजमुखी की खेती करने से किसानों को कम पानी, कम पैसे और कम मजदूरी लगती है और मुनाफा ज्यादा होने की किसानों को उम्मीद होती है, जिसके चलते किसान सूर्यमुखी की खेती करने की और आगे बढ़े हैं। किसानों की माने तो इसमें कम पानी दिया जाता है और गेहूं और मक्के की खेती में ज्यादा पानी देना पड़ता है, जिससे पानी की भी बचत होती है और मजदूरी भी कम लगती है किसानों का यह भी मानना है कि यह फसल तीन महीने के अंदर अंदर हो जाती है और उन्हें प्रति 20 किलो के 21 सौ से ज्यादा दाम मिलते हैं जो गेहूं और मक्के से ज्यादा है।

यहां के किसानो की सूर्यमुखी की खेती से मिलने वाला उत्पाद को निजी कंपनी खरीद करता है, इतना ही नहीं सभी तरह की सलाह या फिर किसानों को फसल में लगे कीट की दवाइयां भी कंपनी मुहैया करती है, जिस कंपनी के साथ किसानों ने अपना एग्रीमेन्ट करते हैं। वहीं कंपनी किसानो का उत्पाद खरीदता है और किसान के बैंक खाते में पैसे भी ट्रान्सफर होते हैं।


किसान करते हैं परिषेचन की प्रकिया

सूरजमुखी का परसेचित फसल है। इसमें अच्छे बीज पड़ने के लिए परिषेचन करना होता है। यह क्रिया भौरों और मधु–मक्खियों के माध्यम से होती है। जहां इनकी कमी हो हाथ द्वारा परिषेचन की क्रिया अधिक प्रभावकारी है। अच्छी तरह फूल आ जाने पर हाथ में दस्ताने पहनकर या किसी मुलायम रोएंदार कपड़े को लेकर सूरजमुखी के मुंडकों पर चारों ओर धीरे से घुमा देते। पहले फूल के किनारे वाले भाग पर, फिर बीच के भाग पर यह क्रिया करनी चाहिए।

    

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