मुजफ्फरपुर फैक्ट्री ब्लास्ट: '6 महीने से लीक हो रहा था बॉयलर, हमने फैक्ट्री अधिकारियों को बताया लेकिन इसे ठीक करने के लिए कुछ नहीं किया'

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक नूडल बनाने वाली फैक्ट्री में विस्फोट में सात श्रमिकों की मौत हो गई, जबकि कम से कम सात अन्य घायल हो गए। मज़दूरों ने फ़ैक्ट्री अधिकारियों पर आरोप लगाया क्योंकि उन्होंने बॉयलर को ठीक करने पर कार्रवाई नहीं की जिसके कारण विस्फोट हुआ।

Lovely KumariLovely Kumari   29 Dec 2021 8:13 AM GMT

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संदीप कुमारमुजफ्फरपुर (बिहार)। 35 वर्षीय संदीप कुमार के लिए, 26 दिसंबर का दिन भी दूसरे व्यस्त दिनों की तरह ही था, जब वह बिहार में मुजफ्फरपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित अंशुल स्नैक्स एंड बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड के कारखाने मे गए। बॉयलर ऑपरेटर के रूप में हर दिन की तरह वो काम कर रहे थे कि दो घंटे बाद हुए विस्फोट ने उड़ा दिया।

उनके शरीर के बचे हुए अवशेष एक बैग में उनके परिवार को सौंप दिए गए।

संदीप कुमार अपने परिवार के लिए कमाने वाले थे और उनकी मौत का उनके परिवार के सदस्यों पर बुरा असर पड़ा है, उनके पीछे उनकी लर्निंग डिसेबिलिटी से जूझ रही पत्नी, एक आठ साल का बेटा, एक पांच साल की बेटी और एक साठ वर्षीय- बूढ़ी माँ रह गए।

"उनकी पत्नी, 30 वर्षीय रानी देवी यह समझ नहीं पा रही है कि उनके पति नहीं रहे और वह कारखाने से उनके लौटने का इंतजार कर रही हैं। कुमार की माँ, जो समझती हैं कि वह अपने बेटे को फिर कभी नहीं देख पाएगी, सदमे की गहरी स्थिति में है, "संगीता देवी, संदीप की बहन - जो कारखाने में काम करती हैं ने गाँव कनेक्शन को बताया।

संदीप की दुखद मौत के समान, दुर्घटना में छह अन्य मजदूरों की जान चली गई, जबकि सात अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। हालांकि, कारखाने के श्रमिकों का आरोप है कि मृतकों की संख्या और अधिक है और आधिकारिक आंकड़े और बॉयलर में से एक में खराबी को महीनों तक लापरवाही से नजरअंदाज किया गया जिसके कारण विस्फोट हुआ।

संदीप कुमार के पीछे उनकी पत्नी, दो बच्चे और बूढी मां रह गई है।

मुजफ्फरपुर के बेला औद्योगिक क्षेत्र में नूडल बनाने वाली फैक्ट्री के 35 वर्षीय श्रमिक कृष्ण मोहन झा ने गांव कनेक्शन को बताया कि विस्फोट के बाद मलबे से कम से कम 17 शव निकाले गए।

"मैं सौभाग्य से उस दिन छुट्टी पर था। धमाका इतना जोरदार था कि इसकी आवाज पांच किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। क्या हुआ था यह देखने के लिए हम फ़ैक्ट्री पहुंचे। फैक्ट्री की पहचान नहीं हो पा रही थी। सब कुछ धूल और धुएं में ढंका हुआ था। हमने देखा कि मलबे से 17 शव निकाले जा रहे हैं।'

"हमने फैक्ट्री प्रबंधन को जून में ही बॉयलर कंट्रोल रूम के कुछ हिस्सों में खराबी के बारे में बताया था। तब से छह महीने हो गए हैं। गलती को नजरअंदाज कर दिया गया और गरीब मजदूरों ने प्रबंधन की उपेक्षा की कीमत चुकाई है, "उन्होंने कहा।

मृतक संदीप कुमार

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) नंद जी दुबे ने गांव कनेक्शन को बताया कि फैक्ट्री मालिक विकास मोदी और छह अन्य पर लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है।

"लगभग 9:30 बजे, हमने विस्फोट की आवाज सुनी और तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। हमने आरोपी फैक्ट्री मालिक विकास मोदी के साथ-साथ फैक्ट्री प्रबंधन में शामिल छह अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।

मुश्किलों भरा काम लेकिन फायदा नहीं

पता चला है कि फैक्ट्री करीब एक हजार मजदूरों के परिवारों की रोजी-रोटी का जरिया है।

"कारखाने में लगभग एक हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। लगभग 600 पुरुष हैं जबकि 400 महिलाएं हैं। यहां के कर्मचारी 12 घंटे की दो पाली में काम करते हैं - सुबह की पाली सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक और रात की पाली शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक होती है। सभी श्रमिक अनुबंध के आधार पर कार्यरत हैं और दो सौ से दो पचास रुपये (200-250 रुपये) की दिहाड़ी मिलती है, "एक श्रमिक ने नाम न छापने की शर्त पर गांव कनेक्शन को बताया।

मजदूर ने गांव कनेक्शन को बताया कि बॉयलर रूम में मौजूद आठ मजदूरों के अलावा फैक्ट्री के वादे के अंदर स्टाफ क्वार्टर रूम में रहने वाले करीब 30 प्रवासी मजदूर भी उस कमरे में मौजूद थे, जब बॉयलर फट गया.

पता चला है कि फैक्ट्री करीब एक हजार मजदूरों के परिवारों की रोजी-रोटी का जरिया है।

देखते ही देखते फैक्ट्री के परखच्चे उड़ गए।

उन्होंने कहा, "फैक्ट्री का मुख्य पर्यवेक्षक दिग्विजय विस्फोट के बाद फरार हो गया और अभी भी फरार है।"

कारखाना 2018 से मुजफ्फरपुर में काम कर रहा है। इसके उत्पादों में स्नैक्स और नूडल्स शामिल हैं जिनकी आपूर्ति झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में की जाती है।

आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक

बिहार के राजस्व और भूमि सुधार राज्य मंत्री राम सूरत राय ने विस्फोट के दिन कारखाने का दौरा किया और श्रमिकों को गहन जांच का आश्वासन दिया।

"एक उच्च स्तरीय जांच की जाएगी वीओलेंस कारखाने के नियमों का उल्लंघन किया गया क्योंकि यह रविवार को चल रहा था, भले ही उस दिन कारखाने बंद हों। दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, "मंत्री ने कार्यकर्ताओं से कहा।

साथ ही उसी दिन, केंद्र सरकार ने मृतक के परिजनों को प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 200,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। साथ ही घायलों को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतक श्रमिकों के परिवारों के लिए 400,000 रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की घोषणा की है।

अंग्रेजी में खबर पढ़ें

अनुवाद: संतोष कुमार

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