नाशपाती की बागवानी से कमा रहे बेहतर मुनाफा

Mohit ShuklaMohit Shukla   20 Jun 2019 12:51 PM GMT

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लखीमपुर (उत्तर प्रदेश)। गन्ने की खेती का गढ़ माना जाने वाले लखीमपुर ज़िले के किसानो को परंपरागत खेती को छोड़ बागवानी में मुनाफा दिख रहा है। तभी तो यहां किसान नाशपाती, आम और बेर जैसी बागवानी कर रहे हैं।

लखीमपुर जिला मुख्यालय से करीब 55 किमी. की दूर मोहम्मदी ब्लॉक के अमीन नगर में किसान नईम खान ने अपने नाशपाती के साथ-साथ आम की बागवानी शुरू की है। नईम बताते हैं, "मैंने जामिया यूनिवर्सिटी से बीबीए की पढ़ाई किया है इसके बाद करीब 18 साल विदेश में कई मल्टी नेशनल कंपनियों में काम करने बाद वापस गाँव लौट आया। उसके बाद 2017 में बागवानी शुरू की।"

नईम बताते हैं कि बाग़वानी से उनको दो फ़ायदे है एक तो पर्यावरण को बढ़ावा मिल रहा है, इसके साथ साथ रोजाना पैसे भी मिलते हैं।

नाशपाती के साथ साथ आम बेर की करते हैं बाग़वानी

नईम ने आम और बेर के साथ नाशपाती की भी बागवानी शुरू की है, अब उनके नाशपाती के बाग को दूर-दूर से किसान देखने आते हैं। इससे उन्हें मुनाफा भी मिल रहा है। अब वहां के युवाओ को भी बाहर नही जाना पड़ता है। घर बैठे बैठे रोजगार मिलता है। नाशपाती की खेती हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और कम सर्दी वाली किस्मों की खेती उप-उष्ण क्षेत्रों में की जा सकती है।


प्रति पेड़ चार से पांच कुंतल है पैदावार

नाशपाती के प्रति पेड़ से औसतन चार से पांच कुंतल के बीच पैदावार होती है। सीजन पर 20 से 25 रुपये किलो के हिसाब से खुदरा व थोक में 15 से 18 रुपये में बाग से ही बिक्री हो जाती है। जिस लिए भाड़े पर आने वाला ख़र्च कम हो जाता है।

तुड़ाई और बिक्री का समय

नाशपाती की खेती से फल जून के प्रथम सप्ताह से सितम्बर के मध्य तोड़े जाते है। नज़दीकी मंडियों में फल पूरी तरह से पकने के बाद और दूरी वाले स्थानों पर ले जाने के लिए हरे फल तोड़े जाते है। तुड़ाई देरी से होने से फलों को ज्यादा समय के लिए स्टोर नहीं किया जा सकता है और इसका रंग और स्वाद भी खराब हो जाता है।

  

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