साल में एक बार ही खुलता है यह मंदिर, वजह हैरान करने वाली

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असलम खान, कम्‍युनिटी जर्नलिस्‍ट

कानपुर। अधर्म पर धर्म की और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक रावण का व्यक्तित्व शायद ऐसा ही है कि हम सरेआम रावण का पुतला तालियों की गड़गड़ाहट के बीच जलाते है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि रावण का यही व्यक्तित्व उसकी पूजा भी कराता है। पूरे देश में विजयदशमी में रावण का पुतला जलाया जाता हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में कानपुर एक ऐसी जगह है जहां दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं यहां पूजा करने के लिए रावण का मंदिर भी मौजूद है, जो केवल वर्ष में दशहरे के मौके पर खोला जाता है।

पुजारी विनोद कुमार शुक्ला ने बताया, "विजयदशमी के दिन इस मंदिर में पूरे विधि विधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रृंगार किया जाता है। उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है।"


पुजारी बताते हैं, "ब्रह्म बाण नाभि में लगने के बाद और रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया। यह वह समय था जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरो की तरफ खड़े हो कर सम्मान पूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो, क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा। रावण का यही स्वरुप पूजनीय है और इसी स्वरुप को ध्यान में रखकर कानपुर में रावण के पूजन का विधान है।"

श्रद्धालु सिंपल गुप्ता ने बताया,"कानपुर में इस मंदिर का निमार्ण 1868 में हुआ था। उस समय से लेक‍र आजतक निरंतर इस मंदिर में रावण की पूजा होती है, लोग हर साल इस मंदिर के खुलने का इंतजार करते हैं। मंदिर का कपाट खुलने के बाद बड़े धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है।"

साल में एक बार खुलता है मंदिर का कपाट

पुजारी विनोद बताते हैं, "रावण के इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से लोगों के मन की मुरादें पूरी होती हैं और लोग इसीलिए यहां दशहरे पर रावण की विशेष पूजा करते हैं। यहां दशहरे के दिन ही रावण का जन्मदिन भी मनाया जाता है, बहुत कम लोग जानते हैं कि रावण को जिस दिन राम के हाथों मोक्ष मिला, उसी दिन रावण पैदा भी हुआ था।"


   

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