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यहां खनन रोकने के लिए एक हफ्ते से धरना दे रहे हैं आदिवासी

#Tribals protesting

कोयलीबेड़ा (छत्‍तीसगढ़)। मेटाबोदेली माइंस से लौह अयस्क खनन और परिवहन का विवाद खत्म होने का नाम ही नही ले रहा है। माइंस प्रबन्धक द्वारा जबरन खनन और इलाके में अध‍िक मात्रा में भारी वाहन आने को लेकर आदिवासी ग्रामीण भड़क गए और लोगों ने माइंस के बाहर चक्का जाम कर दिया। बीते एक हफ्ते से ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन कर, अपनी मांग पूरी नहीं होने तक‍ खनन परिवहन बन्द करने का नारा दिया है।

ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए माइंस प्रबंधन ने तहसीलदार और पुलिस को सूचना दे दी। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने सड़क पर डेरा डाले ग्रामीणों को रास्ता खाली करने के लिए कहा तो लोगों ने जमकर आक्रोया प्रकट किया। ग्रामीणों ने कहा “माइंस संचालक जबतक हमारी मांग को पूरा नहीं करेंगे तबत‍क हमें यहां से हटाया नहीं जा सकता है। हम अपने हक की मांग कर रहे हैं, माइंस खुलने से पहले जो करार किया गया था उसी की मांग कर रहे हैं।

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रहवासी कल्याण समिति मेटाबोदेली के अध्यक्ष दयाराम हुपेंडी ने कहा “हम आदिवासियों के साथ माइंस प्रबंधन मनमानी कर रहा है। एक सप्ताह पहले जब अन्तागढ़ एसडीएम के समक्ष लालपानी की निकासी के लिए नाली निर्माण, प्रभावित क्षेत्र के लोगों को रोजगार में प्राथमिकता, जर्जर हो रहे सड़क की मरम्मत, प्रभावित क्षेत्र के बच्चों के लिए अंग्रेजी माध्यम का स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अस्पताल खोले जाने की मांग रखी थी। उसी समय लोगों ने कहा था कि जब तक मांग पूरी नहीं होगी खनन और परिवहन बन्द रहेगा।

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स्‍थानीय लोगों का कहना है कि माइंस खनन के दौरान लालपानी निकलता है, जिसे नाली बनाकर बाहर निकालना होता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। लालपानी ऐसे ही बहकर खेतों में जा रहा है, इससे पूरी फसल बर्बाद हो रही है।

गौरतलब‍ है कि चारगांव मेटाबोदेली क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है। सांसद, विधायक और सरपंच तक आदिवासी वर्ग से ही हैं। मांइस खनन के लिए भारी वाहनों के ग्रामीण इलाकों में आवागन, आए दिन दुर्घटनाओं के शिकार होते लोग, धूल और कीचड़ से भरी सड़कें आदि से ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया था।

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