पूरे उत्तर भारत में इन दिनों लू चल रही है, ऐसे में पशुओं के लिए सही तापमान 25 से 30 डिग्री तक माना गया है। अगर तापमान इससे ज़्यादा होता है तो 30 से 35 डिग्री तक में पशु आसानी से रह सकते हैं। इसलिए तापमान बढ़ने के साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है।
हमारे यहाँ दो तरह से पशुपालन किया जाता है, एक फार्म में दूसरा गाँव में । फार्म में पोल्ट्री और दूसरे गाय, भैंस के बड़े फार्म हैं; लेकिन अगर पूरे देश की बात करें तो यहाँ के पशुओं की पूरी संख्या का सिर्फ 10-12 प्रतिशत ही इन फार्म में रहते हैं। बाकी जितना भी पशुपालन हमारे देश में होता है वो गाँव में ही होता है।
पशुशाला का रखें विशेष ध्यान
किसान एक साथ कई पशुओं का पालन करता है, किसान के घर में गाय-भैंस, बकरियों के साथ मुर्गियाँ भी मिल जाएँगी। गाँव में जाकर आप देखेंगे तो किसान के यहाँ पशुओं के लिए सही घर नहीं होता है, अगर होता भी है तो सही स्थिति में नहीं होते हैं।
यही नहीं छोटी सी जगह में ढेर सारे पशु रखे जाते हैं, चार-पाँच गाय के रखने की जगह पर सात-आठ गाय रखते हैं। जहाँ 10 बकरियों की जगह है वहाँ पर 30-40 बकरियाँ रखते हैं।
हमारे यहाँ पशुशाला की स्थिति सबसे खराब होती है, अगर हम उन्हें सही से रखेंगे ही नहीं तो दूसरी परेशानियाँ भी साथ में आएँगी। चाहे गर्मी हो, सर्दी हो या बरसात, हर सीजन के लिए सही पशु शाला होनी चाहिए। इसलिए किसानों को सलाह देना चाहूंगा कि चाहे छप्पर का ही पशुशाला बनाएँ, लेकिन पशुशाला ज़रूर बनाना चाहिए।
चराने का तय करें सही समय
भैंस, गाय की तुलना में गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाती है। लेकिन जहाँ तक लू की बात की जाए तो इससे सारे पशु परेशान होते हैं। गर्मियों के दिनों में आप देखते होंगे कि लू में भी लोग अपने पशुओं को चराने लेकर जाते हैं। अगर पशुओं को गर्मी से बचाना है तो सुबह या फिर शाम में ही उन्हें चराने ले जाना चाहिए। छोटे पशुओं को इस समय बाहर चराने लेकर न जाएँ।
पशुओं को लू लगने के लक्षण
जिस भी पशु को लू लगी हो वो सुस्त हो जाएगा, सबसे पहले वो चारा खाना छोड़ देगा। उसके शरीर को छूकर देखें तो शरीर गर्म रहेगा। उसे किसी ठंडी जगह पर ले जाएँ।
लू लगने पर करें प्राथमिक उपचार
लू लगने पर चीनी और नमक का शर्बत बनाकर पिलाएँ, अगर ज़्यादा परेशानी है तो पशु चिकित्सक को दिखाएँ।
गर्मियों में चारा-पानी का प्रबंधन
गर्मियों में हरे चारे की समस्या होती है, अगर छोटा किसान है तो चारा वृक्षों जैसे नीम, पीपल, महुआ के पत्ते खिलाएँ। खास करके छोटे बच्चों को जल्दी गर्मी लगती है। इसलिए उनका खास ख्याल रखें।