उत्तरकाशी में टोंस घाटी के दर्जनों गाँवों में लोगों को घर बैठे मिलेगा रोजगार

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रोबिन सिंह चौहान, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

उत्तरकाशी (उत्तराखंड)। गाँव के लोग जो रोजगार की तलाश में अपना गाँव छोड़कर चले जाते थे, अब न केवल उन्हें घर बैठे काम मिलेगा, बल्कि अपनी संस्कृति को दूसरों से साझा करने का मौका भी मिलेगा।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी के पुरोला ब्लॉक की टोंस घाटी में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। ये पूरा इलाका बेहद खूबसूरत है। प्रकृति ने तो खूबसूरती से नवाजा ही है। वहीं सांकृतिक रूप से भी ये इलाका समृद्ध है। यहां पर कई ट्रैकिंग रूट तो पर्यटकों की पहेली पसंद भी है। खास तौर पर गोविंद पशु विहार में पड़ने वाले गाँव अपनी मेहमान नवाजी से सबक दिल जीत लेते हैं। अभी कई इलाके ऐसे है जिनको एक्स्प्लोर किया जाना है।

उत्तराखंड पर्यटन विभाग के महाप्रबंधक जीतेंद्र कुमार बताते हैं, "ये उत्तराखंड के बेस्ट प्लेसेज में से है, सरकार ने इस बार निर्णय लिया है कि टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जखोल, देवक्यारा को ट्रैक ऑफ द इयर घोषित किया गया है। ताकि लोग यहां पर ट्रैकिंग करने आएं, यहां पर ट्रैकिंग की बहुत अच्छी सुविधा है। हमारा पहला दल रवाना हो गया है, जिसमें बीस लोग हैं। ऐसे ही हमारे तीन और दल हैं जो पूरे महीने ट्रैक करेंगे।"


उत्तरकाशी के पुरोला ब्लॉक के टोंस घाटी के इलाके में पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं। प्रदेश का पर्यटन विभाग भी इन्ही कोशिशों में लगा है और इसलिए इस बार जखोल गाँव से होकर जाने वाले देव क्यारा ट्रैक को 'ट्रैक ऑफ द इयर' घोषित किया गया है ।

स्थानीय निवासी कहते हैं, "मैं तो माननीय सतपाल महराज की आभार जताऊंगा जो उन्होंने इतने सुदूर क्षेत्र के लिए जो ये उपलब्धि दी है, ट्रैकिंग की यहां पर अपार संभावनाएं हैं। इससे यहां के लोगों को रोजगार भी मिलेगा, जिस तरह से लोग यहां पर पलायन कर रहे हैं, अगर उसपर रोक लगेगी तो पलायन भी रुकेगा।

महाप्रबंधक जीतेंद्र कुमार बताते आगे कहते हैं, "जखोल और इसके अगल-बगल के गाँवों में होम स्टे की बहुत सारी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। सरकार होम स्टे की एक योजना चला रही है, जिसमें थोड़ी बहुत सुविधा देकर पर्यटकों की रहने की व्यवस्था कर सकते हैं"


यह घाटी बेहद खूबसूरत है और इसे ट्रैकर्स का स्वर्ग माना जाता रहा है, क्योंकि सांकरी से कई ट्रैकिंग रुट्स निकलते हैं। यहां के एक गाँव में रहने वाले गंगा सिंह रावत कहते हैं, "ये जो ट्रैक ऑफ द इयर घोषित किया गया है, इससे हमारे 42 गाँवों के लोगों को रोजगार मिलेगा, हम चाहते हैं कि लोगों के सहयोग से और अच्छे से हो जाए। इससे एक तो होम स्टे से लोगों को रोजगार मिलेगा। अभी तक हमारे यहां से लोग यात्रा सीजन में केदारनाथ, बद्रीनाथ जाते हैं, लेकिन यहां पर लोगों के आने से अब यहीं पर रोजगार मिल जाएगा।

विजेद्र सिंह कहते हैं, "जब पहली बार हमारे गाँव में पर्यटक आए तो हमें बहुत बढ़िया लगा, क्योंकि हम चाह रहे हैं कि हमारे यहां रोजागार का कोई साधन नहीं है, यहां राजमा और आलू की थोड़ी बहुत खेती होती है, हम गरीब लोग हैं, क्योंकि हमारे यहां उत्तराखंड की बहुत अच्छी पहाड़ियां हैं, बर्फ है ग्लेशियर है बहुत अच्छे बुख्याल हैं। देखने के लिए यहां पर बहुत सी चीजे हैं, जिन्हें देखने लोग यहां आ सकते हैं।"

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