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कोरोना संकट: मराठवाड़ा के किसान की दरियादिली, कहा- गरीबों को खिला दो मेरे खेत के सारे केले

coronavirus

पूरी दुनिया कोरोना के संक्रमण से जूझ रही है। पिछले कुछ दशकों में इसे मानवता पर सबसे बड़ा संकट बताया जा रहा है। करोड़ों लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट हो गया है। 

भारत समेत कई देशों में लॉकडाउन है, जिसमें मजदूरों और रोज कमाकर खाने वालों के सामने  पेट भरने का संकट खड़ा हो गया है। कई लोग इस दौरान ऐसे गरीब लोगों की दिल खोलकर मदद करे हैं। महाराष्ट्र में मराठवाड़ा के एक किसान ने ऐसे लोगों के खाने के इंतजाम के लिए अनोखी पेशकश की है। मराठवाड़ा भारत का वही इलाका है जहां  हर साल सैकड़ों किसान आत्महत्या करते हैं। फसल उगाना और रोटी-रोजी का इंतजाम करना ही इनके लिए मुश्किल होता है, लेकिन इन सबके बावजूद इस किसान ने अपनी फसल दान करने के लिए प्रशासन से मदद मांगी है।

किसान का नाम विकास रामलिंग पटाडे है, जो महाराष्ट्र में उस्मानाबाद जिले की तालुका तुलजापुर के कामठा गांव में रहते हैं। विकास रामलिंग के पास 2 एकड़ केला है। मराठी में अपने खेत से बनाए गए वीडियो में वो कहते है कि बहुत सारे लोगों के सामने इन दिनों खाने का संकट हो गया है, इसलिए मैं चाहता हू कि प्रशासन मेरे यहां से सारे केले ले जाए और सड़क किनारे रहने वाले गरीब मजदूरों और भूखों को खिला दे.. देखिए वीडियो 

केले की औसत खेती में 75 हजार रुपए प्रति एकड़ से डेढ़ लाख रुपए प्रति एकड़ की लागत आती है और एक पेड़ से औसतन 20 से 30 किलो केला मिलता है। एक एकड़ में किसान औसतन 1000 से 1200 पौधे लगाते हैं। ऐसे में औसत फसल और औसत रेट (थोक में 10-15 रुपए किलो) मिलने पर भी किसान को एक लाख से डेढ़ लाख रुपए प्रति एकड़ की आमदनी होती है। ऐसे में किसान रामलिंग अपने खेत में खड़ी करीब 500000-600000 रुपए की फसल दान करना चाहते।

इनपुट और रिपोर्ट- अशोक पवार, उमरगा, उस्मानाबाद

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