चेन्नई जल संकट: बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोगों को क्या मिलेगी राहत

#Chennai

देश की दो तस्वीरें इन दिनों आपको दिखाई जा रही हैं। एक मुंबई जैसे शहरों की, जहां बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं और दूसरी चेन्नई, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ जिलों की, जहां सूखे जैसे हालात नज़र आ रहे हैं।

भारत में हर साल कुछ गांव सूखे की चपेट में आते हैं लेकिन आयोग उन्हें सूखाग्रस्त घोषित नहीं करता। इस साल सूखे की चपेट में आने वाली जगहों में इज़ाफ़ा हुआ है और कुछ नए शहर इसमें शामिल हुए है

इसमें सबसे बुरे हालात इस समय चेन्नई के है। इस क्षेत्र को तो केंद्रीय जल आयोग ने सूखाग्रस्त घोषित भी कर दिया है। स्थिति की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि आई टी क्षेत्र की कंपनियों ने दफ्तरों में पानी बचाने के लिए अपने कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करने को कहा है।

समाचारों में सूखे की जो तस्वीरें दिखाई जा रही हैं वो विचलित करने वाली हैं। महिलाएं पानी के लिए घंटों लाइनों में इंतजार करती हैं। कड़ी मशक्कत के बाद जो पानी उन्हें मिलता है वो इस हद तक बदरंग और गंदा होता है कि पीने और खाना बनाने में बड़ी मुश्किल से ही इस्तेमाल हो पाता है।


केन्द्र सरकार के नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम के तहत हर ग्रामीण को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जाना है। इस योजना में साल 2014-15 में जहां 15,000 करोड़ रुपये जारी होते थे, वहीं आज 700 करोड़ रुपये ही जारी हो रहे हैं।

नीति आयोग की वर्ष 2018 में आई रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2020 तक दिल्ली और बंगलुरू जैसे भारत के 21 बड़े शहरों से भूजल गायब हो जाएगा। इससे करीब 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। अगर पेयजल की मांग ऐसी ही रही तो वर्ष 2030 तक स्थिति और विकराल हो जाएगी।

आम जनजीवन में इस्तेमाल किए जाने वाले साफ पानी की सूरत चेन्नई ने कई दिनों से नहीं देखी है। हालातों की गंभीरता और पानी की किल्लत का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आज की चेन्नई में लोग नहाने और कपड़े धोने जैसी मूलभूत ज़रूरतों से भी समझौता कर रहे हैं।


पीने के पानी की बोतलों के दाम चार गुना बढ़ गए हैं, जिसे अब सिर्फ उच्च मध्यमवर्गीय लोग ही खरीद पा रहे हैं। कई राज्यों में सूखे जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। बारिश कम हो रही है और जल संकट बढ़ रह है। ऐसे में अगर आपके क्षेत्र में पानी का संकट नहीं है तो उसे पैदा भी न करें। तीन नदियों, एक पुरानी नहर और कई झीलों वाला चेन्नई भी सूखे से बच नहीं पाया। ऐसे में आप पानी कतई बर्बाद न करें, यही आपकी ओर से चेन्नई के भविष्य को सबसे बड़ी सहायता होगी।

चेन्नई में कैसे हैं हालात

चेन्नई के लोग गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। यहां जल संकट को कम करने के लिए एक करोड़ लीटर पानी वेल्लोर के जोलारपेट से ट्रेन से मंगाया गया। चेन्नई को पानी की सप्लाई करने वाली चार प्रमुख झीलें सूख चुकी है. शहर में जल भंडारण बढ़ाने के लिए जल इकाइयों की मरम्मत और उन्हें मजबूत करने का काम किया जा रहा है। ऐसे में शहर की लगभग 40 लाख से ज्यादा आबादी के लिए एक मात्र उम्मीद केवल सरकारी टैंकर बची है। 

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