जालंधर (पंजाब)। केंद्र सरकार के तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ राष्ट्रीय किसान महासंघ ने 10 अगस्त से “अन्नदाता जागरण अभियान” शुरू किया है। इस अभियान के तहत पंजाब में भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर, जालंधर ने जेल भरो आंदोलन किया, इस दौरान सैकड़ों किसानों ने अपनी गिरफ्तारियां दी।
किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार किसान विरोधी तीनों कृषि अध्यादेशों को वापस ले। इस बारे में किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा, “नए कृषि अध्यादेश में सरकार ने किसानों की फसलें एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीदने की गारंटी नहीं दी है और केंद्र सरकार फसलों की खरीद को व्यापारियों को सौंपने जा रही है। 2006 में बिहार में एपीएमसी एक्ट खत्म कर के फसलों की सरकारी खरीद बन्द की गई थी और उस समय यह कहा गया था कि इस से कृषि क्षेत्र में निवेश आएगा लेकिन उसका नतीजा आज हमारे सामने है।”
“सरकारी खरीद बन्द होने के बाद बिहार में किसानों को खेती छोड़कर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए जाने पर विवश होना पड़ा। नए अध्यादेश के तहत किसान और कम्पनी के बीच विवाद होने की स्थिति में किसान कोर्ट में भी नहीं जा सकते हैं, ये कहाँ का न्याय है? कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिये किसान अपने ही खेत में मजदूर बन जायेगा।” वे आगे कहते हैं।
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अन्नदाता जागरण अभियान के तहत राष्ट्रीय किसान महासंघ से जुड़े सभी संगठनों ने किसानों को जागरूक करने का देशव्यापी अभियान अनिश्चितकालीन समय के लिए शुरू किया है। कोरोना महामारी के कारण हर राज्य में स्थिति अलग है इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि राज्य की परिस्थितियों के अनुसार राज्य इकाई अपने अभियान का स्वरूप तय करेगी। संगठन ने यह भी निर्णय लिया है कि कोरोना महामारी की स्थिति सुधरने के बाद नई दिल्ली में 3 कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों की एक बड़ी जनसभा आयोजित की जाएगी।