मक्का नहीं अब सेब उगाने लगे हैं कश्मीर के पुंछ जिले के किसान

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रविंदर कुमार श्रीवास्तव, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

अजमाबाद, पुंछ(जम्मू-कश्मीर)। कश्मीर सेब के उत्पादन के लिए मशहूर है, लेकिन कुछ जिलों को छोड़कर पूरे प्रदेश में सेब की खेती नहीं होती थी, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की मदद से पुंछ जिले के किसान भी सेब की खेती करने लगे हैं।

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के मंडी तहसील के अजमाबाद के किसान मक्का की फसल छोड़कर सेब की खेती शुरू कर दी है। कृषि विज्ञान केंद्र, पुंछ के सहयोग से किसानों ने सेब के दस बाग तैयार किए हैं। किसानों के अनुसार मक्का की फसल को खराब मौसम और जंगली जानवरों से भारी नुकसान उठाना पड़ता था। मेहनताना ओर खर्च भी पूरा नहीं होता था, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र की टीम ने इलाके का दौरा कर हमें सेब की पैदावार के लिए प्रेरित किया। उस समय किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।


सेब किसान नाज़िम अली बताते हैं, "हमारे इलाके का मौसम कश्मीर से थोड़ा अलग है जिस कारण हमारे इलाके का सेब कश्मीर से जल्दी तैयार हो जाता है और अच्छी कीमतें दे जाता है, सिर्फ थोड़ी मेहनत की ज़रूरत है।

कृषि विज्ञान केंद्र की टीम ने इलाके का दौरा कर हमें सेब की पैदावार के लिए प्रेरित किया। उस समय किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। बाद में कुछ किसानों ने पिछले तीन-चार वर्षो में लगातार सेब के बाग तैयार किए हैं। इससे किसानों को लाभ पहुंचा है। आर्थिक हालत में भी सुधार हुआ है, जिसे देखकर गांव के अन्य किसान भी आगे आए और सेब के बाग लगाने में जुट गए हैं।

डॉ मुज़्ज़फ़र मीर, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र, पुंछ (जम्मू-कश्मीर)

जम्मू और कश्मीर में बारामुला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में सेब का अधिक उत्पादन होता है। दुनिया में भारत इसका पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक रहा था। भारत में सबसे ज्यादा सेब उत्पादन जम्मू-कश्मीर में होता है जहां देश का 80 फीसदी उत्पादन होता है। वहीं हिमाचल प्रदेश का कुल पैदावार में 16-17 फीसदी योगदान है। भारत के कुल 24 लाख टन सेब उत्पादन में बाकी हिस्सेदारी उत्तर भारत में उत्तराखंड और अन्य राज्यों की है।

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ मुज़्ज़फ़र मीर ने बताया, "पहले सेब के उत्पादन के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था कुछ किसानों ने अपने खेतों में सेब के बाग तैयार किए जिस के लिए हमने अच्छी पैदावार ओर बढ़िया किस्म के पेड़ किसानों को लाकर दिए है और अब अच्छी पैदावार को देख कर गाँव का हर एक किसान अपने खेतों में सेब के अलावा अन्य फलों की पैदावार में जुटे हुए हैं और अपने खेतो में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं यही नहीं लगभग पूरे गांव के किसानों ने सेब का उत्पादन शुरू कर दिया है और उनके घर का खर्च भी सेब की पैदावार पर निर्भर कर रहा है।"

वो आगे बताते हैं, "किसानों ने मक्का की खेती छोड़ दी है क्योंकि एक कनाल ज़मीन से एक कुंतल मक्का की पैदावार होती थी जब की एक कनाल (0.5 बीघा) ज़मीन से सौ पेटी के लगभग सेब का उत्पादन हो रहा है, जिससे गाँव के किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई हैं। वहीं विभाग के अधिकारी समय समय पर गांव का दौरा कर मौसम के हिसाब से पेड़ों में कीटनाशक दवाइयों की किसानों को जानकारी देते हैं ताकी किसानों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं उठाना पड़े।"

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