“सरकारी बैंकों का निजीकरण हुआ तो बैंक कर्मचारियों ही नहीं, सरकारी बैंक में खाता खुलवाने वाले, लोन लेने वाले करोड़ों ग्राहकों को नुकसान होगा। बैंकों के निजीकरण का मतलब है कि आपको बैंकों में पैसे रखने के भी पैसे देने होंगे।” ऑल इंडिया इलाहाबाद बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के संयुक्त सचिव संदीप अखौरी निजीकरण के नुकसान गिनाते हैं।
संदीप अखौरी के मुताबिक बैंकों की दो दिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल पहले दिन करीब 97 फीसदी तक सफल रही। संदीप अखौरी गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “ये दूसरी हड़तालों से बिल्कुल अलग है इसमें बैंक के चपरासी से लेकर मैनेजर तक सब शामिल हैं। पहला दिन हमारा बहुत सफल रहा और दक्षिण के कुछ राज्यों तमिलनाडु और केरल के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो पूरे भारत में बैंक शाखाएं बंद रही हैं।”
देश के 12 सरकारी बैंकों के लाखों कर्मचारी और अधिकारी 2 बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर हैं। बैंक कर्मचारियों के शीर्ष संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के अह्वान पर हो काफी समर्थन मिला है। हालांकि आम आदमी का काम पिछले 4 दिन से बंद हैं। शनिवार को महीने के दूसरे शनिवार और रविवार को छुट्टी के चलते बैंक सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
इस हड़ताल को लेकर लोगों को अलग-अलग राय है। कुछ लोग निजीकरण को देश के लिए नुकसानदायक बताते हुए बैंक कर्मियों का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ हड़ताल और निजीकरण को सरल बैंकिंग मानते हुए समर्थन में हैं। संसद में केंद्रीय बजट के भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो बैंकों के विनिवेश की बात थी, जिसके बाद से बैंक कर्मी विरोध में हैं। देश में इस वक्त 12 राष्ट्रीय बैंक कार्यरत हैं।
आज के हमारे मेहमान हैं
1.संदीप अखौरी, संयुक्त संयोजक, ऑल इंडिया इलाहाबाद बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन (AIABOF), पश्चिम बंगाल
2.प्रशांत रावत, बैंकर और सदस्य AIBOC
3.विजया शर्मा, असिस्टेंट मैनेजर, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कोलकाता
4.समीर सक्सेना, बैंकर और लेखक
5.अलंकृत शुक्ला, बैंकर
6.पीयूष प्रकाश, मैनेजर, बैंक ऑफ बड़ौदा, पटना रीजन
गांव कनेक्शन ने इससे पहले शनिवार को इसी मुद्दे पर चर्चा की थी, चर्चा का पूरा वीडियो आप यहां देख सकते हैं…