मड़िहान (मिर्जापुर), उत्तरप्रेदश। 65 वर्षीय लल्लन राम पिछले 40 साल से बाणसागर सिंचाई परियोजना के कभी ना खत्म होने वाली निर्माण गतिविधि को देख रहे हैं। मिर्जापुर के मझवानी कोटवा गांव के रहने वाले लल्लन राम के घर से बाणसागर नहर पैदल दूरी पर स्थित है। इस नहर के ज़रिए यहां के धान उगाने वाले किसानों को उनके खेतों की सिंचाई के लिए पानी देने का वादा किया गया था, जो कि अब तक पूरा नहीं हो सका है। लल्लन राम का इंतज़ार अब भी जारी है।
उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, “भैया, जब बांध का निर्माण शुरू हुआ था तब मैं युवा था। साल 2001 से कोई न कोई नहर के सर्वे, नाप, निर्माण और मरम्मत के लिए आते रहते हैं।”
राम ने बताया, “बाणसागर नहर मेरे घर से [लगभग एक किलोमीटर] पैदल दूरी पर है। यह अभी पूरा नहीं हो सका है और निर्माण कार्य अब भी चल रहा है।” वे कहते हैं, “नुक्सान ही हुआ है इससे, लाभ कोई नहीं है। (नहर से अब तक कोई लाभ नहीं हुआ है, जबकि इसकी वजह से हमारी मुश्किलें बढ़ गई हैं।) उन्होंने बताया कि कई जानवर और बुजुर्ग नहर में गिरकर मर गए और किसानों को अब भी अपनी फसलों के लिए वर्षा जल पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
लल्लन राम अकेले नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के कई किसान शिकायत करते हैं कि बाणसागर परियोजना की वजह से उनके इलाके को सूखा छोड़ दिया गया है। यह नहर नेटवर्क, परियोजना के शुरू होने के दशकों बाद भी काम नहीं कर रहा है।
इस बीच, 19 जुलाई को उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग ने एक ट्वीट किया है, जिसके मुताबिक वर्षों से लंबित बाणसागर परियोजना को पूरा कर लिया गया है। इस परियोजना के ज़रिए 150,131 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई के तहत लाया गया है, जिससे मिर्जापुर और प्रयागराज जिलों में 170,000 किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
सिंचाई क्षमता का हो रहा विस्तार अन्नदाताओं के साथ खड़ी प्रदेश सरकार
वर्षों से लंबित बाणसागर परियोजना हुई पूर्ण pic.twitter.com/NukuI4eZC3
— सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उ.प्र. (@UPIrrigationDep) July 19, 2021
इस ट्वीट के छह दिन पहले यानी 13 जुलाई को उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने मिर्जापुर जिला मुख्यालय में बैठक कर परियोजना के विकास की जानकारी ली। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों को किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने में देरी के लिए फटकार लगाई गई।
इस बैठक के बाद, मंत्री ने कहा: “कुछ सीपेज (लीकिंग) की वजह से नहर निर्माण के कार्य में देरी हो रही है। नहर नेटवर्क में कुछ जगहों पर लीक है। नहर मरम्मत का काम चल रहा है और एक महीने के भीतर इसे ठीक कर लिया जाएगा।”
क्या है बाणसागर बहुउद्देशीय परियोजना?
मिर्जापुर में लल्लन राम के घर से लगभग 300 किलोमीटर दूर बाणसागर बांध परियोजना की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 1978 में मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के देवलोंड गांव के पास सोन नदी पर रखी थी।
लगभग तीन दशक बाद, बांध का निर्माण साल 2006 में पूरा हुआ और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक समारोह में इसे देश को समर्पित किया गया। बाणसागर परियोजना का उद्देश्य तीन राज्यों – मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के आस-पास के पानी की कमी वाले इलाकों में सिंचाई सुविधा प्रदान करना था। इस परियोजना के तहत आने वाली लागतो को तीनों राज्यों ने साझा किया।
आखिरकार, 15 जुलाई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांध का उद्घाटन किया और कहा कि यह सिंचाई परियोजना इलाके में सिंचाई को बढ़ावा देगी और यह उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर और प्रयागराज जिलों के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
बाणसागर बांध का जलग्रहण क्षेत्र 18,648 वर्ग किलोमीटर है। इससे मध्य प्रदेश में 249,000 हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 150,000 हेक्टेयर और बिहार में 94,000 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। यह परियोजना सिंचाई के साथ-साथ मध्य प्रदेश में 425 मेगावाट बिजली भी पैदा करती है। इस बांध से निकलने वाली नहर 171 किलोमीटर लंबी है।
पीएम मोदी ने मिर्जापुर में उद्घाटन समारोह के दौरान कहा, “आप सभी को जो सुविधा बहुत पहले मिल जानी चाहिए थी, वह नहीं दी गई और पूरे देश को इसकी वजह से आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा। उस समय इस परियोजना की लागत केवल 300 करोड़ रुपये (3 अरब रुपये) थी। इतनी राशि में ही इसे पूरा किया जा सकता था, लेकिन देरी की वजह से इसकी लागत बढ़ गई।”
पीएम मोदी ने आगे कहा, “300 करोड़ रुपये की परियोजना अब 3500 करोड़ रुपये (35 अरब) में पूरी हो पाई है।”
हालांकि, इसके तीन साल बाद मिर्जापुर के मरिहान ब्लॉक के लल्लन राम जैसे किसानों की शिकायत है कि उन्हें अभी तक अपने खेतों की सिंचाई के लिए बाणसागर बांध का पानी नहीं मिला है।
बारिश के पानी पर निर्भर हैं किसान
लल्लन राम के साथी किसान, मझवानी कोटवा गांव के 65 वर्षीय शिव राम पाल ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा, “इस नहर से कोई फायदा नहीं है। [नहर से अभी तक कोई लाभ नहीं हुआ है] हम धान की खेती करते हैं और इसे बहुत ज्यादा पानी की जरूरत होती है। बोरवेल से जितना भी पानी आता है, उसका उपयोग हम अपने लिए करते हैं. हम अपनी फसलों के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं जिससे अक्सर बहुत नुकसान हो जाता है।”
पाल ने बताया, “कभी-कभी हमारे मवेशी नहर [नहर] में गिर जाते हैं और मर जाते हैं। हमें फायदा पहुंचाने के बजाय नहर हमारे लिए समस्या बन गई है।
दयालपुर कोटवा गांव के एक अन्य किसान दयाराम मौर्य ने शिकायत की कि पर्याप्त पानी की कमी के कारण गांव के निवासियों के लिए गंभीर संकट पैदा हो गया है।
उन्होंने कहा, “अपने मवेशियों को जीवित रखना हमारे लिए चुनौती बन गई है। हमारे पास जानवरों के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं है। यह पहाड़ी इलाका है और यहां पानी की कमी है। पानी का स्तर इतना नीचे है कि सात से 100 फीट की गहराई में बोर होने के बाद भी हमें भूजल नहीं मिल पाता है। “यहां की खेती पूरी तरह से बारिश और भगवान भरोसे है।”
जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने 13 जुलाई को आश्वासन दिया था कि एक माह के भीतर नहर की लीकेज को ठीक कर किसानों को पानी उपलब्ध करा दिया जाएगा।
लल्लन राम, शिव राम पाल और दयाराम मौर्य का कहना है कि बाणसागर के पानी के लिए उन्होंने दशकों तक इंतजार किया है, इसलिए वे एक महीने और इंतजार करेंगे।
मंत्री ने 13 जुलाई की बैठक के बाद मीडियाकर्मियों को यह भी बताया कि जल जीवन मिशन के तहत बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के सभी गांवों को इस दिसंबर तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा।
जब गांव कनेक्शन ने मिर्जापुर के बाणसागर परियोजना के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि वे बांध से जलाशयों में नियमित रूप से पानी की आपूर्ति कर रहे हैं।
ग्रामीणों के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर, एसएन पांडे ने कहा, “अगर आप मुझसे पूछें, तो मैं कहूंगा कि हम जलाशयों को नियमित रूप से पानी की आपूर्ति कर रहे हैं, लेकिन एमसीडी (मिर्जापुर कैनाल डिवीजन) की सब-यूनिट्स नहर में पानी की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं।”