एक किलो का शरीफा उगाता है महाराष्ट्र का किसान, 100-150 में बिकता है एक फल

custard apple

सोलापुर (महाराष्ट्र)। कुछ साल पहले ज्वार-बाजरा जैसी फसलों की खेती करने वाले किसान प्रशांत महादेव जगताप सीताफल (शरीफा) की खेती करने लगे हैं, जिसके एक सीताफल का वजन एक किलो से ज्यादा होता है। एक सीताफल 120 से 130 रुपए में बिक जाता है।

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले अंगूर, अनार जैसे बागवानी फसलों के साथ अब बहुत से किसान सीताफल की खेती में भी हाथ आजमाने लगे हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा है। सोलापुर जिले के पनगांव के किसान प्रशांत महादेव जगताप भी उन्हीं किसानों में से एक हैं। पहले प्रशांत भी अपने खेत में दूसरी फसलें उगाते थे, लेकिन अब उन्होंने नई किस्म (NMK-01) का सीताफल लगाया है।

प्रशांत बताते हैं, “अभी छह एकड़ में सीताफल की बाग लगाई है, इससे साल भर में लाखों की कमाई हो जाती है। हमारे यहां से पूना, मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली जैसे शहरों में सीताफल जाता है। एक सीताफल का वजन एक किलो के करीब होता है और यहां से व्यापारी 120 से 130 रुपए प्रति किलो सीताफल खरीदकर ले जाते हैं।”

सोलापुर जिले में अनार, अंगूर, बेर, नींबू, आम और सीताफल की खेती होती है। यहां पर किसान सीताफल की नई किस्मों की खेती करने लगे हैं, जिससे अच्छा उत्पादन मिल जाता है। सोलापुर के गोरमाले गाँव के रहने वाले किसान नवनाथ मल्हारी कसपटे कई वर्ष पहले अंगूर की खेती करते थे लेकिन आज अपने जिले के सबसे बड़े शरीफा उत्पादक बन गए हैं। उन्होंने सीताफल की नई किस्में भी विकसित की हैं।

नवनाथ कसपटे ने सीताफल की नई किस्म एनएमके-01 (गोल्डन) विकसित की है, जिसकी खेती न केवल महाराष्ट्र में होती है, बल्कि दूसरे राज्यों के किसान भी यहां से पौध ले जाकर इस किस्म की खेती करने लगे हैं।

नवनाथ कसपटे बताते हैं, “सोलापुर में ज्यादातर किसान अंगूर की खेती करते हैं, पहले मैं भी अंगूर की खेती करता था, जब शरीफा की खेती शुरू की तो लोगों ने कहा कि फायदा नहीं होगा, आज उसी से एक सीजन में अच्छी कमाई हो जाती है।

एपीडा के अनुसार, देश में सबसे अधिक क्षेत्र में सीताफल की खेती होती है और उत्पादन भी सबसे अधिक यहीं पर होता है। महाराष्ट्र के बाद गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आते हैं। इनके साथ ही असम, बिहार, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलांगाना और तमिलनाडू में भी शरीफा की खेती होती है।

नवनाथ को देखकर अब दूसरे किसान भी शरीफा की खेती करने लगे हैं, सोलापुर शरीफा उत्पादकों का सबसे बड़ा जिला गया है। नवनाथ अब दूसरे किसानों को भी उन्नत किस्मों की खेती की जानकारी देते हैं। इसके लिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।

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