प्रशिक्षित दुकानदार अब किसानों को देंगे सही जानकारी, जिससे किसानों की बढ़ेगी उपज और बेहतर होगी कमाई

बीज, उर्वरक और कीटनाशक जैसे कृषि के लिए जरूरी उत्पादों को बेचने के लिए दुकानदारों को ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे किसानों को वो सही जानकारी दे सकें।

Virendra SinghVirendra Singh   24 Aug 2021 9:31 AM GMT

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सुषमा यादव और उनके ही जैसे कई लोग उस दिन किसान के खेत मे जाकर उनकी परेशानियों को समझ और खेती के तरीकों को सीख रहे थे। ताकि आगे से वो किसानों को सही जानकारी दे सकें।

सुषमा यादव हमेशा से किसानों की मदद करना चाहती थी, इसलिए उन्होंने बीज भंडार की दुकान शुरू की, लेकिन बीएससी की डिग्री न होने से दुकान बंद होने की कगार पर पहुंच गई, लेकिन जब उन्हें पता चला की उनके जैसे लोग भी ट्रेनिंग लेकर खाद, उर्वरक और बीज की दुकान का संचालन कर सकते हैं, फिर क्या उन्होंने भी ट्रेनिंग के लिए आवेदन कर दिया।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के टिकैतगंज में बीज भंडारण करने वाली सुषमा यादव के तरह ही जिले के अलग अलग हिस्सों से लोग बाराबंकी में दौलतपुर गांव के प्रगतिशील किसान अमरेन्द्र सिंह के खेत में पहुंचे थे। केंद्र सरकार की एक पहल से उत्तर प्रदेश सहित देश के अलग-अलग राज्यों में कीटनाशक, बीज और उर्वरक की बिक्री करने वाले दुकानदारों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

किसान अमरेंद्र सिंह और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ खाद और उर्वरक दुकानदार।

सुषमा सिंह कहती हैं, "इस ट्रेनिंग से हमें कितना कीटनाशक कैसे इस्तेमाल करना है कितना उर्वरक और कैसे बीजों का चयन करना है यह सब कुछ सिखाया जाता है ताकि हम किसान भाइयों को उचित मार्गदर्शन करके उन्हें सही बीज खाद और उर्वरक दे सकें।"

देश में कृषि-इनपुट डीलर, इनपुट और क्रेडिट की आपूर्ति के अलावा, कृषक समुदाय के लिए कृषि जानकारी का एक प्रमुख स्रोत हैं। हालांकि, इनमें से अधिकांश डीलरों के पास औपचारिक कृषि शिक्षा नहीं है। कृषि में उनकी तकनीकी क्षमता का निर्माण करने और उन्हें किसानों की बेहतर सेवा करने और पैरा-एक्सटेंशन पेशेवरों के रूप में कार्य करने की सुविधा के लिए, राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज) ने एक स्व-वित्तपोषित "कृषि विस्तार में एक वर्षीय डिप्लोमा" शुरू किया है।

बाराबंकी के कृषि रक्षा इकाई के विशेषज्ञ व ट्रेनर एके मिश्रा बताते हैं, "अभी तक जो व्यवस्था थी उसमें बीज उर्वरक और कीटनाशक की दुकान का संचालन करने के लिए व्यक्ति को बीएससी एग्रीकल्चर बॉटनी केमिस्ट्री या बायोलॉजी से बीएससी करना अनिवार्य था तभी उन्हें लाइसेंस मिल सकता है। जो दुकानदार बीएससी नहीं किए हुए हैं वो दुकान का संचालन नहीं कर सकते है और इस तरह से देश के अलग-अलग राज्यों में लाखों दुकानदार बेरोजगारी के कगार पर आकर खड़े हो गए थे।"

इससे किसानों को आसानी से बेहतर जानकारियां मिलती रहेंगी।

आगे बताते हैं, "गांव कस्बा और छोटे-मोटे शहरों में बीज भंडार ,कीटनाशक और उर्वरक की दुकान का संचालन करने वाले ज्यादातर लोग हाई स्कूल पास थे। भारत सरकार ने इनके रोजगार को देखते हुए 48 सप्ताह तक इन दुकानदारों के साथ ट्रेनिंग करवा कर इन्हें परमानेंट लाइसेंस देने की योजना बनाई है।"

बाराबंकी में कृषि रक्षा इकाई के जिला अधिकारी के द्वारा तीन बैच की ट्रेनिंग करवा कर उन्हें सर्टिफिकेट वितरित किए जा चुके हैं चौथा ग्रुप ट्रेनिंग ले रहा है। डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर सर्विस आर इनपुट डीलर नाम से इन डीलरों को 40 सप्ताह तक क्लास रूम में बीज कीटनाशक और उर्वरक के प्रयोग की बारीकियां सिखाई जाती है और 8 सप्ताह क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों के वहां उनकी बेहतरीन खेती को विजिट करके उनके अनुभवों को सिखाया जाता है।

राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान के अनुसार उत्तर प्रदेश में अब 440 और पूरे देश में 14760 लोगों को डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर सर्विस आर इनपुट डीलर ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

कृषि विशेषज्ञ व ट्रेनर सुदामा सिंह कहते हैं, "यह पूरा ट्रेनिंग का कार्यक्रम हैदराबाद तेलगाना से संचालित होता है कीटनाशक बीज और उर्वरक की दुकानों का संचालन करने वाले वह लोग जो योग्यता के पात्र नहीं थे और लंबे अरसे से दुकानों का संचालन करते आ रहे थे। उन्होंने सरकार से मांग की थी कि हमें ट्रेन करके हमको दुकान संचालन करने का मौका दिया जाए भारत सरकार ने इसी को देखते हुए यह 48 सप्ताह का ट्रेनिंग सेशन चलवा कर इन्हें योग्य करने का प्रयास किया है इस ट्रेनिंग के दौरान इनको कृषि से जुड़ी सभी विषयों की जानकारी दी जाती है और इस ट्रेनिंग के बाद इनको आजीवन दुकान संचालन करने का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। जिससे इनके काम धंधे बंद नहीं होंगे यह पूरा कार्यक्रम स्वपोषी है इस ट्रेनिंग में भाग लेने के लिए प्रत्येक दुकानदार को 20000 का ड्राफ्ट भारत सरकार को देना पड़ा है।"

बाराबंकी के दौलतपुर गांव में प्रगतिशील किसान अमरेंद्र सिंह के खेत में आए प्रशिक्षु।

ट्रेनिंग ले रहे मनोज कुमार बाराबंकी में उर्वरक बीज और कीटनाशक की दुकान का संचालन करते हैं मनोज कुमार कहते हैं कि ट्रेनिंग के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है कृषि विशेषज्ञ के द्वारा हमें बताया जा रहा है कितनी एम एल दवा कितने लीटर पानी में डालनी है कौन सी दवा किस फसल पर छिड़काव करवाना है कितनी उर्वरक हमें फसलों के लिए किसान को सलाह देनी है। हमें किस तरह के बीजों का चयन करना है जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा हो जिससे लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो सबसे बड़ी बात यह है कि हम लोग करीब 10 साल पहले से दुकान का संचालन करते आ रहे थे। लेकिन हमने बीएससी एग्रीकल्चर से नहीं की थी जिससे अब हमारी दुकान बंद होने की कगार पर आ गई थी लेकिन भारत सरकार ने बीच का रास्ता निकाला और हमें 48 सप्ताह की ट्रेनिंग देकर योग्य बनाने का काम कर रही है। जिससे हमारा रोजगार ठप नहीं होगा और हम यहां पर ट्रेनिंग लेकर किसानों को भी सही मार्गदर्शन कर सकेंगे जिससे किसान भी खुशहाल होगा।"

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