राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने चर्चा की शुरुआत करते हुए सबसे पहले कोरोना के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्यों की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की सरकार गांव और किसान के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और आगे रहेगी। उन्होंने कहा कि तीन कृषि सुधार कानून इस वक्त ज्वलंत मुद्दा हैं। विपक्ष लगातार कृषि कानूनों को काला बता रहा है। लेकिन मैं 2 महीनें तक किसान यूनियन से यही पूछता रहा कि इसमें काला क्या है? लेकिन जवाब नहीं मिला।”
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा – नरेंद्र मोदी सरकार किसान आंदोलन को लेकर सजग है। 12 बार सम्मान से बुलाकर बात की है। हमने उनकी भावनाओं के मुताबिक जिन बातों पर शंका थी, उस पर विचार किया है कि एपीएमसी खत्म नहीं होगी। भारत सरकार किसी भी संसोधन को तैयार है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कृषि कानूनों में गलती है। लेकिन एक राज्य में गलत तरीके से पेश किया गया है। किसानों को इस बात के लिए बरगलाया गया है कि ये कानून आपकी जमीन को ले जाएंगे। आप कॉट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़ा कोई एक कानून बताएं कि कौन का प्रावधान व्यापारी को जमीन छीनने का अधिकार देता है। जहां पर भी एक्ट में कॉन्ट्रैक्ट मूल्य का प्रावधान, बोनस का प्रावधान किया है। इस एक्ट से किसान कभी भी बाहर हो सकता है, व्यापारी कभी बाहर नहीं हो सकता। पंजाब सरकार का कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट उठाकर देखिए। हरियामा का कानून उठाकर देखिए। देश के 20-20 राज्यों ने या तो नया कानून बनाया है या एपीएमसी एक्ट में शामिल किया है। पंजाब सरकार के एक्ट में प्रवाधान है कि किसान अगर कांट्रैक्ट कानून तोड़ता है तो किसान को जेल जाना होगा, या फिर पांच लाख रुपए जुर्माना देना होगा। लेकिन केंद्र के एक्ट में ऐसा नहीं है।
कृषि कानूनों पर बात करते हुए आगे कहा, “हम लोगों ने ट्रेड एक्ट बनाया कि एपीएमसी के बाहर जो एरिया होगा वो ट्रेड एरिया होगा, वो किसान का घर, खेत और वेयर हाउस हो सकता है। एपीएमसी के बाहर जो ट्रेड होगा उसमें न राज्य का टैक्स होगा न केंद्र का। राज्य सरकार का एक्ट एपीएमसी के अंदर टैक्स को बाद्धय करता है। केंद्र ने राज्य टैक्स को फ्री किया और राज्य सरकार टैक्स ले रही है और बढ़ा रही है तो आंदोलन किसने खिलाफ होना चाहिए, जो टैक्स ले रहा है या उसके खिलाफ जो टैक्स हटा रहा है। ये जो नए कानून बने हैं ये हुड्डा कमेटी की रिपोर्ट पर ही आधारित हैं।”
पंजाब और हरियाणा का नाम आने पर सदन में जोरदार हंगामा हुआ। हरियाणा से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और सत्ता पक्ष के सांसदों में जोरदार बहस हुई। सत्ता पक्ष ने दीपेंद्र हुड्डा पर कार्यवाही की मांग की।
इससे पहले कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा के सवाल पर कृषि मंत्री ने कहा, “पीएम किसान योजना का सृजन हुआ उस वक्त अनुमान लगाया गया कि देश में 14.5 करोड़ किसानों होंगे तो उस हिसाब से 75 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है। लेकिन अभी तक तमाम प्रयासों के बावजूद 10 करोड़ 75 हजार किसान ही रजिस्टर्ड हैं, पश्चिम बंगाल ने अभी ज्वाइन नहीं किया है। ऐसे में 65 हजार करोड़ रुपए में काम चल रहा था, इसलिए 75 हजार करोड़ की जगह 65000 हजार करोड़ रुपए किए गए। लेकिन हम आपको भरोसा दिलाते हैं कि पीएम किसान योजना में पैसे की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।”
उन्होंने नीम कोटेड यूरिया की उपलब्धियां गिनाईं और माइक्रो इरीगेशन की उपलब्धियां गिनाईं। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में 84 फीसदी किसान छोटे हैं। जिनमें से ज्यादातर को एमएसपी नहीं मिलती है इसलिए हमारी सरकार एपफीओ का बड़ा संसार गठित करने का हम लोग काम कर रहे हैं। 10,000 एफपीओ बनाए जाने प्रस्तावित हैं। अभी आप देखेंगे तो ज्यादातर कोल्ड स्टोरेज और वेयर हाउस जिलों मुख्यालयों के आसपास है। ऐसी संरचनाएं ज्यादातर व्यापारियों के लिए हैं, किसान ज्यादातर उसका उपयोग नहीं कर पाते हैं। इसलिए हम लोग कोशिश कर रहे हैं कि ऐसे इंतजाम हों कि किसान इनका फायदा उठा सकें। हम सब जानते हैं कि करोड़ों रुपए फल सब्जियां बर्बाद होती थीं। कौन सोच सकता था कि सब्जियां और फल ट्रेन से जाएंगी लेकिन 100 किसान ट्रेन रेल चलाई जा रही हैं। किसानों को बुढ़ापे में पेंशन मिल सके इसलिए किसान पेंशन और किसान मानधन योजना शुरु की है। अब तक 21 लाख लोग जुड़ चुके हैं। इन्हें 60 वर्ष के बाद 3000 रुपए महीने मिलेंगे।
पंजाब में शिरोमणी अकाली दल के सांसद सरकार बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा कि मैं बताता हूं कृषि कानून काले कैसे हैं। आप कांट्रैक्ट फॉर्मिग की बात करते हैं क्या 2 एकड़ वाले किसान कंपनियों का मुकाबला कर लेंगे? कंपनियां शुरु में अच्छा रेट देंगी फिर कम कर देंगी। सीड उनका, फर्टिलाइजर उनका, स्टोरेज उनका तो वो जो चाहेंगी वो करेंगी। जब प्राइस पर कंट्रोल नहीं होगा तो किसान धीरे-धीरे कर्जदार हो जाएगा। किसान की जमीन चली जाएगी। आप किसानों को एमएसपी की गारंटी दे दो किसान चुप हो जाएगा।” मैं आपसे कहना चाहता हूं कि ये कानून वापस ले लीजिए।
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान चर्चा कें केंद्र में किसान आंदोलन और कृषि कानून हैं। विपक्ष सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहा है। किसान और किसान आंदोलन पर चर्चा के लिए 15 घंटे तय किए गए हैं। सत्ता पक्ष से जुड़े सांसद इन दौरान सरकार और बजट के साथ कृषि कानूनों की खूबियां गिना रहे हैं।
इस दौरान कर्नाटक से कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में अपनी बात रखते हुए चंपारण के तीन कठिया कानून, गुजरात में अंग्रेजी शासन वाले सरकार पटेल के आंदोलन तो 1920 के अवध किसान आंदोलन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने कहा कि जो कानून आपके हितों की रक्षा न करें इसलिए उसका विरोध करना चाहिए। ये सरकार हमेशा कहती रहती है कि किसानों की आमदनी दोगुनी करेंगे, ये कहते रहते हैं जैसा काम उन्होंने किसानों के लिए किया है वैसा किसी ने नहीं किया है। लेकिन पीएम बनने के एक महीने बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को एक फरमान जारी किया था कि अगर किसी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर बोनस दिया तो सरकार वहां से खरीदी नहीं करेगी। ये काम आपने किसानों के लिए किया है।
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इससे पहले राज्यसभा में अपने बात रखते हुए कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार की हर बात मानी जाए ये जरुरी नहीं है। किसानों को अपने अधिकारके लिए लड़ना और न्याप पाने के लिए लड़ना पड़ रहा है। जो स्थिति पैदा हुई है,उसके लिए भारत सरकार जिम्मेदार है।”
उन्होंने इस दौरान हम 26 जनवरी की हिंसा के दौरान घायल हुए पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के प्रति सहानुभूति जताते हुए कहा कि अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे सुरक्षाकर्मियों पर किसी को भी उन पर हमला करने का अधिकार नहीं है। लाल किले की घटना ने पूरे देश में स्तब्ध कर दिया है और इसकी जांच होनी चाहिए।
राज्यसभा में बीएसपी सांसद सतीश शर्मा ने किसान के धरना स्थलों पर बिजली-पानी काटने और सड़क खोदने पर सरकार की आलोचना की और कहा कि सरकार ने ये किसानों के लिए नहीं अपने लिए खाई खोदी है। वहां महिलाएं भी हैं ये मानवाधिकार का भी उल्लंघन है।” बीएसपी सांसद ने कहा, “अन्नादताओं को राष्ट्र का शत्रु कहा जा रहा है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि अहंकार को दूर करें और तीन कानूनों को निरस्त करें।
बीजेपी ने सरकार के रुख का समर्थन करने के लिए राज्यसभा में अपने सांसदों को आठ फरवरी से 12 फरवरी तक सदन में मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है।