Gaon Connection Logo

बिहार के इन जिलों के किसान अभी भी झेल रहे हैं भीषण सूखा

#Bihar

अख्तर अली, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

पटना/आरा(बिहार) बिहार का कुछ भाग भीषण बाढ़ की चपेट में है तो वहीं बिहार के कई इलाके अभी भी सूखे की मार झेल रहे हैं। पटना जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बिहटा के 26 पंचायत क्षेत्र पानी की कमी की वजह से भयंकर सूखा झेल रहे हैं। यहीं हाल आरा जिले के ग्राम पंचायतो का भी है। पानी की के कारण किसान अपने खेतों में धान की रोपाई भी नहीं कर पाए हैं। किसान आस लगाए हुए हैं कि किसी भी तरह बारिश हो जाए या पानी खेतों तक पहुंच जाए।

खेतों  में दिख रही हैं दरारें

राजकुमार(किसान) बताते हैं कि इस बार बारिश हुई ही नहीं है। बोरिंग भी गांव में नहीं है। पानी की कमी के के वजह से अभी तक खेतों में रोपनी नहीं की गई है। जिन लोगों ने खेतों में रोपनी की भी है उन खेतों में दरारें भी पड़ आई हैं। वह कहते हैं कि बारिश होता है तो किसान किसी तरह बोरिंग का जुगाड़ कर रोपाई करता ही। खेती न होने की वजह से लोग मजदूरी कर अपना जीवन बसर करने को मजबूर है।

बिहटा और आरा के कई हजार एकड़ खेत बारिश न होने की वजह से सूखे पड़े हैं। किसान जुदागी राय का कहना है कि पानी का जलस्तर नीचे चला गया है। सरकार की तरफ से बोरिंग की व्यवस्था ही नहीं की गई है और हमारे अंदर इतना सामर्थ्य नहीं है कि हम खुद से ट्यूबवेल लगवा लें। बिना पानी के हम कैसे खेती करें।

बिहार ने इस साल बाढ़ और सूखा दोनों झेला

दरअसल इस बार बिहार ने सूखे और बाढ़ दोनों की विभीषका झेली है। बिहार के जिन इलाकों में बाढ़ की स्थिति हैं वहां उससे पहले सूखे के हालात थें। लेकिन बिहार के अभी भी कई जिले ऐसे हैं जो सूखे और पानी की कमी की मार झेल रहे हैं। 

ग्रामीण भूषण राय कहते हैं जिन किसानों के पास सुविधा है उन्होंने रोपनी करा लिया है। हमारे पास सुविधा नहीं है। हमारा बीज भी सूखने लगा है। कितना दिन तक अब हम अपने बीज को सूखने से बचाएंगे। अब हम किसी और फसल की खेती करेंगे , लेकिन बारिश नहीं होने पर उसके भी उत्पादन प्रभाव पड़ेगा।

ये भी पढें- देश में एक तरफ बाढ़, एक तरफ सूखा 

किसानों की मदद अब केवल सरकार कर सकती है

किसान सलाहाकार राधे कुमार कहते हैं कि इस बार भीषण गर्मी पड़ी है। जलस्तर नीचे जाने की वजह से सारे बोरिंग फेल हो गए हैं। अगर समय पर बारिश नहीं हुई तो किसान इस बार धान की रोपाई नहीं कर पाएंगे और खुद के भोजन की व्यवस्था तक के मोहताज हो जाएंगे। इसके अलावा पशुओं के चारों तक की व्यवस्था करना किसानों के लिए मुश्किल हो जाएगा। किसानों की सहायता अब केवल सरकार कर सकती है। 

More Posts

छत्तीसगढ़: बदलने लगी नक्सली इलाकों की तस्वीर, खाली पड़े बीएसएफ कैंप में चलने लगे हैं हॉस्टल और स्कूल

कभी नक्सलवाद के लिए बदनाम छत्तीसगढ़ में इन दिनों आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने लगी है; क्योंकि अब उन्हें...

दुनिया भर में केले की खेती करने वाले 50% किसान करते हैं इस किस्म की खेती; खासियतें जानिए हैं

आज, ग्रैंड नैन को कई उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है, जिसमें लैटिन अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया, भारत...