छ्ट्टा जानवरों ने उड़ायी किसानों की नींद, रात-रात भर कर रहे खेत की रखवाली
रात में खेत की रखवाली घर के पुरुष करते हैं तो सुबह से घर की महिलाएं खेती की रखवाली करने आ जाती है।
Virendra Singh 24 Aug 2019 8:40 AM GMT
बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। जहां एक तरफ प्रदेश सरकार ने छुट्टा जानवरों के लिए गोशाला बनाने के निर्देश दिए थे, ताकि छुट्टा जानवरों से किसानों को निजात मिल जाए, लेकिन अब किसानों को इनसे छुटकारा नहीं मिल पाया।
इस समय किसानों ने धान की फसल लगाई है, अगर दिन भी रखवाली न करें तो जानवरों का झुंड फसल बर्बाद कर जाए। बाराबंकी जिले के गंधीपुर गाँव के किसान राजेश यादव कहते हैं, " सीएम का आदेश तो आया था।और अखबारों में भी हम रोज देखते हैं की छुट्टा जानवरों को गौशाला में रखा जाएगा पर आदेश के बाद महीने दर महीने बीतते जा रहे हैं पर हम किसानों को इन आवारा जानवरों से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है।"
"रात-रात भर हमें अपने खेतों की रखवाली करनी पड़ रही है फिर भी जरा सा भी चूक जाने पर छुट्टा जानवर पूरी की पूरी फसल चट कर जाते हैं, "किसान राजेश यादव ने बताया।
भारत के ग्रामीण मीडिया प्लेटफार्म गाँव कनेक्शन ने ग्रामीण भारत की समस्याओं और मुद्दों को समझने के लिए मई 2019 में देश के 19 राज्यों में एक सर्वे कराया। इस सर्वे में 18,267 लोगों की राय ली गई। सर्वें में छुट्टा पशुओं की समस्या को भी शामिल किया गया। इसमें 43.6 फीसदी लोगों ने माना कि छुट्टा पशुओं की समस्या नहीं थी लेकिन अब यह एक समस्या बन गई। वहीं 20.5 प्रतिशत लोगों ने माना कि यह एक समस्या है।
अपने खेत की रखवाली कर रही छेदा की सुशीला रावत बताती हैं, "देर रात तक घर वाले खेतों में फसल की रखवाली करते हैं और सुबह आंख खुलते ही मैं खेतों में चली आती हूं। ताकि आवारा जानवरों से फसल को बचाया जा सके सरकार के आदेश तो बहुत आते हैं पर जमीन पर कुछ नहीं दिख रहा है। हमारे क्षेत्र में एक भी जानवर नहीं पकड़ा गया है पूरे के पूरे जानवर झुंड के झुंड में खेतों में टहल रहे हैं और फसल को बर्बाद कर रहे हैं।अपनी बर्बाद हुई फसल देखकर रोना आता है।"
भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में छुट्टा गोवंश बड़ी समस्या बने हुए हैं। पशुपालन विभाग द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक 31 जनवरी वर्ष 2019 तक पूरे प्रदेश में निराश्रित पशुओं (छुट्टा पशुओं) की संख्या सात लाख 33 हज़ार 606 है। इन पशुओं को संरक्षित करने के लिए योगी सरकार ने गोवंश आश्रय स्थल खोलने के निर्देश दिए। उत्तर प्रदेश के 68 जिलों में एक-एक करोड़ रुपए और बुंदेलखंड के 7 जिलों को डेढ़ करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। लेकिन जमीन स्तर पर देखे तो समस्या और विकराल हो गई है।
वहीं गन्धीपुर निवासी उपेंद्र सिंह कहते हैं कि छुट्टा जानवरों की शिकायत हमने बीडीओ, एसडीएम साहब से की है, पर आज तक इन छुट्टा जानवरों को गौशाला तक पहुंचाने के लिए किसी भी अधिकारी ने रुचि नहीं ली है। हमारे क्षेत्र में तो सैकड़ों छुट्टा जानवर फसलों को दिन रात भर बात कर रहे हैं एक भी जानवर हमारे क्षेत्र में नहीं पकड़ा गया है।"
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