अंतागढ़ (कांकेर, छत्तीसगढ़)। “जब बाढ़ आ जाती है तो बहुत तकलीफ होती है, बच्चों की पढ़ाई लिखायी नहीं हो पाती है, इसके लिए हम सरपंच के पास जाते हैं, विधायक के पास जाते हैं। सब यही कहते हैं कि पुलिया बना देंगे, लेकिन अब तक पुलिया नहीं बन पायी है, “धरम सिंह गुस्से में कहते हैं।
धरम सिंह छत्तीसगढ़ प्रदेश का कांकेर जिला का अंतागढ़ ब्लॉक मुख्यालय से महज तीन किमी की दूरी पर जैताल नदी किनारे के गाँव में रहते हैं। जहां हर साल बारिश में जैताल नदी पर पुल निर्माण न होने से बरसात में 5 से 6 गांव का संपर्क पूरी तरह से टूट जाता है। जहां बच्चों को स्कूल जाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ती है।
शिक्षिका मीना सिंहा को हर दिन नदी पार का स्कूल आना पड़ता है, वो कहती हैं, “बीच में नदी पड़ती है, जिसको पार करके जाना पड़ता है, पुल होने के कारण जब नदी में बाढ़ आ जाती है तो हमें बहुत परेशानी होती है। कभी-कभी तो फंस जाते हैं तो गाँव वाले हमें निकालते हैं, देर हो जाती है स्कूल में बच्चे भी इंतजार करते रहते हैं।”
ग्रामीणों ने बताया हम बच्चे थे तब माता पिता से सुना करते थे की पुल का निर्माण होना है, लेकिन हम तो बुड्ढे हो गए मगर पुल निर्माण नही हुआ। चुनाव आते ही जनप्रतिनिधि का आना जाना शुरू हो जाता है। वोट मांगते है, कहते हैं सरकार बनने दीजिये पुल निर्माण का कार्य होगा। सरकार बदल गई मगर हमारे गांव की समस्या वहीं की वहीं है। आश्वासन तो बहुत मिले मगर पुल निर्माण का कार्य शुरू नही हुआ।
वही ग्रामीणों का कहना है दैनिक उपयोगी सामान के लिए बरसात में मोहताज़ होना पड़ता है, क्योकि अंतागढ़ मुख्यालय पहुंचना मुश्किलो के साथ जोखिम भरा है। अंतागढ़ ब्लॉक मुख्यालय से संपर्क टूटने से सरकार की पीडीएस योजना के चावल से भी महरूम होना पड़ता है। जहाँ बरसात में नदी अपने चरम पर होती है। अगर कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो दवाओं से ज्यादा दुआओं का सहारा होता है।