गांव कनेक्शन की पहली स्टोरी गुजरात से है। दक्षिण गुजरात में आदिवासी प्रवासी मजदूर गन्ने के खेतों में घंटों मेहनत करते हैं, लेकिन उनके पास न तो ढंग का घर, न शौचालय है और न ही उनके बच्चों के लिए उचित शिक्षा। उनकी मजदूरी उन्हें केवल छह महीने के आखिर में दी जाती है, जो उन्हें सीधे डेढ़ी कर्ज के जाल फंसने को मजबूर करता है, जिसमें 50 प्रतिशत ब्याज चुकाना पड़ता है। पीढ़ियों से इन आदिवासियों का शोषण होता आ रहा है, ज्यादा काम और समय से मजदूरी नहीं मिलती, क्योंकि उन्होंने हमेशा से ‘कोयटा’ के रूप में काम किया है। यही इनकी पहचान बन गई है, किसी को फर्क नहीं पड़ता कि उनका असली नाम क्या है।
गांव बुलेटिन की दूसरी खबर किसान और ग्रामीण भारत से जुड़ी है। डीजल, उर्वरक, पेस्टीसाइड समेत खेती में इस्तेमाल होने वाले आदानों (इनपुट) की लागत बढ़ने से खेती में किसानों को फिर नुकसान हो रहा है। कई आंकड़े और रिपोर्ट भी बताती हैं खेती में लागत लगातार बढ़ रही है। देखिए वीडियो
आम बजट में अपने लिए बड़ी घोषणा की उम्मीद लगाए लोगों को मायूसी हाथ लगी है। लोगों को उम्मीद की कोविड की तीसरी लहर और पांच राज्यों के चुनावों के बीच आए बजट में एक ऐलान होंगे लेकिन सरकार ने कहा कि ये भविष्य का बजट है इसलिए योजनाएं दीर्घकालिक हैं। गंव कनेक्शन ने बजट के बाद कई राज्यों में किसानों, युवाओं, महिलाओं दूसरे वर्गों से बात की देखिए वो क्या कहते हैं।
देश के कई राज्यों के एक बड़े क्षेत्रफल में गन्ने की खेती होती है, रोगों और कीटों से अपनी फसल को बचाने के लिए किसान कई तरह के नियंत्रण भी अपनाते रहते हैं। लेकिन कई राज्यों में गन्ने की फसल में नए कीट का प्रकोप बढ़ रहा है। उत्तर भारत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में गन्ने की फसल पिंक बोरर कीट, जिसे गुलाबी छिद्रक कीट कहते हैं का संक्रमण देखा गया है। आमतौर पर यह कीट धान और गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट है, अभी तक इसका प्रकोप गन्ने की फसल पर नहीं देखा गया था, लेकिन अब कई जगह पर इसे गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाते देखा गया है।
बुलेटिन की चौथी खबर रोचक और प्रेरणादायी है। खबर ऐसे गांव की जो अवैध रुप से शराब बनाने के लिए बदनाम था, वहां शराब पीना और महिलाओं से घरेलू हिंसा आम बात थी। लेकिन उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के इस गांव चैनपुरवा में भी बदलाव की लहर आयी। आईपीएस अधिकारी अरविंद चतुर्वेदी की बदौलत गाँव की महिलाओं की मदद से शराब के धंधे को बंद करावाया और उन्हें आजीविका के कई दूसरे काम दिए। आज चैनपुरवा का अपना एक ब्रांड है।
दिल्ली में तैनात सैकड़ों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर धरना दिया। ये महिलाएं वेतन में बढ़ोतरी, पेंशन और बीमा के साथ सराकरी कर्मचारी के दर्जों की मांग कर रही थीं। आंगनबाड़ी कर्मचारियों का आरोप है कि साल 2018 में घोषित वेतन वृद्धि उन्हें अभी तक नहीं मिला है। सरकार ने उनके मानदेय में कटौती की है लेकिन काम का बोझ दिया है। संबंधित खबर-
गांव बुलेटिन की अगली खबर राजस्थान के जहाज ऊंट से संबंधित है। ऊंटों के अस्तित्व मंडराता खतरा बढ़ता जा रहा है। राजस्थान के जैसलमेर जैसे इलाकों में किसान और ग्रामीण खुद को ऊंटों से दूर कर रहे हैं। साल 2012 से 2019 के बीच 37 फीसदी से ज्यादा ऊंट कम हुए हैं। चारे, रखरखाव की समस्या, नई नियम कानून, सरकारी उदासीनता ऊंटों की राह में रोड़ा बन रही है। ऊंट राजस्थान की लोक संस्कृति का हिस्सा हैं वो रेगिस्तान के जहाज, ओरणों के सरताज हैं। यहां तक की राजस्थान का राज्य पशु भी ऊंट ही है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में रेगिस्तान का ये जहाज रेत में कहीं गुम होने लगा है। संबंधित खबर-
बुलेटिन की आखिरी खबर एक प्रेरणादायक कहानी है।
ये कहानी स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी उन महिलाओं की जिन्होंने छोटे-छोटे काम करने अपने लिए आत्मनिर्भरता की राह खोली है। यूपी-एमपी जैसे राज्यों में छुट्टा पशुओं की समस्या जगजाहिर है। यूपी में बरेली जिले की महिलाओं ने इस समस्या में अपने लिए रोजगार का अवसर तलाशा है वो फसल बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जाली और कंटीले तार बना रही हैं। जिसे आसपास के किसानों को शहर से सस्ते उत्पाद बेचकर अपना कारोबार बढ़ा रही हैं।
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