काश! भारत के सारे सरकारी टीचर ऐसा सोचते और कर पाते?

ये सरकारी स्कूल हजारों सरकारी स्कूलों के लिए मिसाल बन सकता है। स्कूल के शिक्षकों और बच्चों ने मिलकर इसे ऐसा सजाया संवारा है कि लोग तारीफ किए बिना नहीं रह पाते।

Purushotam ThakurPurushotam Thakur   5 April 2019 9:15 AM GMT

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धमतरी (छत्तीसगढ़)। शहर से काफी दूर, आदिवासी गांव में शहरों जैसा चमकदार स्कूल, स्कूल के अंदर कंप्यूटर और प्रोजेक्टर लगा मिले तो कोई भी हैरान हो सकता है। क्योंकि ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्कूलों की हालत को लेकर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन इन्हीं सरकारी स्कूलों में बहुत सारे स्कूल ऐसे भी हैं जो निजी स्कूलों को मात देते हैं।

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में नगरी विकास खंड के मारदापोटी में भी ऐसा ही एक स्कूल है। ये सरकारी स्कूल हजारों सरकारी स्कूलों के लिए मिसाल बन सकता है। स्कूल के शिक्षकों और बच्चों ने मिलकर इसे ऐसा सजाया संवारा है कि लोग तारीफ किए बिना नहीं रह पाते।

प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई करते छत्तीसगढ़ के इस आदिवासी स्कूल के बच्चे।

स्कूल की बाउंड्रीवॉल (चारदिवारी) के भीतर इतनी हरियाली है कि ये देखने में पार्क जैसा अनुभव कराता है। स्कूल में ही मौसमी सब्जियां उगाई जाती हैं, जो मिड डे मिल में प्रयोग की जाती हैं।

स्कूल की दीवारें भी रंगी पुती हैं। यहां पर स्मार्ट क्लासेज चलती हैं। ये सरकारी स्कूल हमेशा से ऐसा नहीं था। स्कूल की तस्वीर बदली 2016 में सहायक शिक्षक श्रवण कुमार देवांगन की तैनाती के बाद। श्रवण कुमार देवांगन बताते हैं, "यहां पढ़ाई तब भी अच्छी होती थी लेकिन स्कूल वीरान दिखता था। मैंने साथी शिक्षकों और बच्चों से बात करने के बाद गांव के लोगों के साथ बैठक की। उन्होंने श्रमदान किया, सरपंच ने अपनी तरफ से आर्थिक मदद की, जिसमें बाद हम सब लोगों ने मिलकर इसे सजाया संवारा।"

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श्रवण आगे बताते हैं, "आज के समय में बच्चे और अभिभावक निजी स्कूलों की तरफ खिंचे चले जाते हैं। क्योंकि वो स्कूल देखने में भी अच्छे लगते हैँ। अच्छी सुविधाएं होती हैं। यही सब हम लोगों ने यहां किया। पहले मैं घर अपने स्मार्ट फोन पर पढ़ाने के लिए वीडियो और फोटो डाउनलोड कर लाता था। फिर हम लोगों ने मिलकर कंप्यूटर और प्रोजेक्टर लगाया। इससे बच्चों की पढ़ने में रुचि बढ़ी है। हमारे यहां हमेशा 99 फीसदी बच्चे उपस्थित रहते हैं।"


   

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