खुद का कारोबार: कॉरपोरेट की नौकरी छोड़ लोगों को दूध पिलाकर कमा रहा ये युवा

Covid 19 और लॉकडाउन के दौरान आत्मनिर्भरता, खुद के कारोबार की बातें तेज हो गई हैं। अपना बिजनेस करने की सोच रहे शहरों से गांवों की तरफ लौटे लोगों के लिए हरियाणा के प्रदीप की कहानी प्रेरणादायक बन सकती है

Arvind ShuklaArvind Shukla   8 July 2020 6:28 AM GMT

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रोहतक/दिल्ली। लोगों को गर्मा-गर्म दूध पिलाकर हरियाणा का एक युवा पैसे कमा रहा है। इस कारोबार के लिए उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ी है। अपने घर में पाली गई भारतीय नस्ल की गायों के दूध को गर्म कर उसमें स्वादिष्ट और पौष्टिक चीजें मिलाकर वो बाजार और मेलों में बेचते हैं। उनका कहना है आने वाले दिनों में वो ऐसे सभी खाद्य पदार्थ लोगों तक पहुंचाएंगे।

"किसान को कमाई करनी है तो उसे उद्ममी (बिजनेसमैन) बनना होगा। मैंने सीधे दूध को बेचने के बजाए उसे गर्म कर पिलाना शुरु किया। वैल्यू एडिशन (मूल्य संवर्धन) करते हुए ये 100 रुपए लीटर बिक रहा है। दूध एक शुरुआत है। आने वाले दिनों में सभी खाने पीने की चीजें को किसानों के साथ मिलकर सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाएंगे।" प्रदीप श्योराण बताते हैं। प्रदीप से गांव कनेक्शन की मुलाकात दिल्ली के पूसा में लगे किसान मेले हुई थी। जहां उनके स्टॉल 'बागड़ी मिल्क पार्लर' पर जाती हुई सर्दियों में गुनगुना दूध पीने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई थी।

प्रदीप हरियाणा में चरखी दादरी के मांडी गांव के रहने वाले हैं। हिसार की गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी से MBA करने के बाद उन्होंने हैवेल्स, बर्जर पेंट जैसी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया और एक दिन नौकरी को न बोलकर वो अपने गांव लौटे और देसी गायों का दूध बेचना शुरु कर दिया।

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अपने दूध पार्लर पर लोगों को गर्म दूध पिलाते प्रदीप।

प्रदीप हरियाणा में चरखी दादरी के मांडी गांव के रहने वाले हैं। हिसार की गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद उन्होंने हैवेल्स, बर्जर पेंट जैसी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया और एक दिन नौकरी को न बोलकर वो अपने गांव लौटे और देसी गायों का दूध बेचना शुरु कर दिया। प्रदीप के मुताबिक पिछले 3-4 महीनों में ही उनके स्टार्टअप को उम्मीद से ज्यादा सराहना मिली है।

प्रदीप बताते हैं, "कॉरपोरेट में काम करते हुए महसूस हुआ कि क्यों न खुद का काम किया जाए। खेती और पशुपालन ऐसे दो व्यवसाय हैं, जिनमे अपार संभावनाएं हैं और गांव में रहने के कारण बचपन से इससे जुड़ा भी रहा हूं। अभी तक किसान अपनी फसल या दूध थोक में मंडी या कारोबारी को बेचता है, जो सस्ता जाता है। लेकिन बाद में वहीं गेहूं जब आटा या फिर दूध जब दही या पनीर और घी बनकर आता है तो काफी महंगा मिलता है। मैंने इसका उल्टा किया मैं अपने उत्पाद फुटकर में बेचता हूं और बाजार से जो खरीदना होता है उसे थोक में खरीदता है। जिससे वो सस्ती मिले।"

प्रदीप बताते हैं, "ये बिजनेस का अनुभव था। किसान अगर कारोबारी बनता है और अपनी चीजें सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाता है तो दोनों को फायदा है। उपभोक्ता को शुद्ध और फ्रेश चीजें मिलेगीं तो किसान को भी अच्छा फायदा होगा।"

रोहतक में बागड़ी मिल्क पार्लर पांच जगहों पर रोजाना दूध की बिक्री करता है। दूध के साथ देसी गायों का घी और कुछ दूसरे उत्पादों की भी बिक्री शुरु की है। प्रदीप ऐसे छोटे स्टार्टअप के फायदे कुछ ऐसे समझाते हैं। "मैं सिर्फ पांच जगहों पर दूध पिला रहा हूं। मिट्टी के कुल्हड़ में देता हूं। ये सेहत के लिए अच्छा है। मिट्टी के कुल्हड़ों से कोई कचरा नहीं होता। कुम्हारों को भी रोजगार मिलता है। अभी मैंने 4 लोगों को प्रत्यक्ष और 3 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार दिया है। अगर दूसरे किसान भी ऐसा करेंगे तो किसान, उसके साथ काम करने वाले लोगों, शहर तक सामान पहुंचाने वाले पढ़े लिखे लड़कों सबको रोजगार मिलेगा।"

रोहतक में कुछ यूं दूध पिलाते हैं प्रदीप। फोटो साभार-फेसबुक


बागड़ी शब्द बागड़ से बना है। प्रदीप बताते हैं बागड़ वो एरिया है जो चरखी दादरी से लेकर गुजरात तक फैला है। भारतीय नस्ल की जो 24 गाये हैं उनकी उत्पत्ति इसी एरिया से हुई है।

एमबीए पास युवक के दूध पिलाने के काम पर परिवार और लोगों की प्रतिक्रिया के बारे में प्रदीप बताते हैं, "पिता सरकारी शिक्षक रहे हैं, हमारे प्रति उनका व्यवहार मित्रव्रत रहा। उन्होंने इसकी कठिनाइयां बताईं। कि दूध तो 10वीं पास भी बेचते हैं। लेकिन जब मैंने उन्हें अपना कांन्सेप्ट बताया तो उन्होंने हामी भरी कि चलो कर दे देख लो। अच्छी बात ये रही कि शुरुआत से अच्छी बिक्री हो रही है तो सब अच्छा है।"

हरियाणा के रोहतक से प्रदीप ने की है अपने काम की शुरुआत।

हरियाणा के बारे में कहा जाता है दूध दही का खाना। प्रदीप के मुताबिक दूध तो हरियाणा समेत पूरे भारत की संस्कृति का हिस्सा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में युवाओं का जरुर ठंडे पेय पदार्थों की तरफ भटकाव हो गया था। "मेरी ये कोशिश है कि युवाओं को फिर से दूध-दही की तरफ लाया जाए। ये मेरा सिर्फ कारोबार नहीं बदलाव की कोशिश भी है।

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