गुजरात का हर्बल गाँव, जहां हर घर में लगे हैं औषधीय पौधे

Ankit ChauhanAnkit Chauhan   17 Aug 2019 12:07 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

अरवल्ली (गुजरात)। यहां आपको हर घर में औषधीय पौधे मिल जाएंगे, यही नहीं इस पूरे गाँव के बीस सोसाइटियों में बांटा गया है। हर सोसाइटी को अलग-अलग औषधीय पौधे दिए गए हैं और उन पौधों के नाम पर उन सोसाइटियों के नाम रखे गए है।

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से 120 किमी दूर अरवल्ली जिले के डोडिया गाँव की पहचान अब औषधीय गाँव के नाम से होने लगी है। यहां के पंचायज सरपंच की पहल पर ये काम शुरू हुआ है। जिस सोसायटी को जिस औषध पौधे का नाम दिया गया है उस पौधे को सोसायटी के हर घर में दिया गया है।

यहां के सरपंच नानाभाई वालंद के दिमाग में गांव को औषध गांव बनाने का विचार आया। पांच जून 2019 को उन्होंने ग्रामीणों की मीटिंग बुलाकर अपनी बात रख कर उन्होंने इस कार्य की शुरूआत की। इसके बाद गांव के 300 घर को बांटकर 20 सोसायटी बनाया गया। इन सोसायटियों को तुलसी वन सोसायटी, एलोवेरा, अश्वगंधा, बारमासी, अरडूसी, ब्राह्मी, जांबुवन, आंवला जैसे नाम दिए गए हैं। सरपंच के इस अभियान में वहां के वन विभाग और रिलायंस फाउंडेशन ने भी मदद की।


सरपंच के बेटे मिनेष वालंद बताते हैं, "आने वाले समय में सोसायटी के सदस्यों के लिए एक समूह भी बनाया जाएगा। यह समूह सभी गांव वालों को समय समय पर औषधियों के बारे में जानकारियां देगा। मैं डोडिया गांव के लिए गर्व महसूस करता हूं। मेरा गांव देश का पहला औषध गांव बनने जा रहा है। आज हमारे गांव में घर घर में औषध का पौधा है। यह पौधे बहुत उपयोगी होते हैं। आने वाले समय में इस तरह के और भी कई योजनाएं लायी जाएंगी।"

गाँव को डिजिटल बनाने में भी सरपंच की ओर से प्रयास किए गए है। गांव में जगह जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। चोरी-डकैती की वारदातें भी गांव में न के बराबर है। गांव में अगर किसी मामले पर तीखी बहस होती है तो पंचायत की तरफ से उसे आपस में ही सुलझा दिया जाता। शाम के छह बजते ही गांव में स्पीकर के माध्यम से भजन बजने शुरू हो जाता है।

ग्रामीण अनिलभाई बताते हैं, "गांव में किसी भी प्रकार की बैठक होती है तो उसे पंचायत में बैठे बैठे ही अनाउन्स कर दिया जाता है, जिससे लोगों तक जानकारी भी आसानी से पहुंच जाती है और समय का भी बचत होता है। वह आगे बताते हैं कि पहले बिजली का बिल या बैंक से पैसे निकालने के लिए गाँव से 10 किलोमीटर दूर मालपुर या फिर जिला मुख्यालय जाना पड़ता था। लेकिन अब पंचायत में ही ऐसी सुविधा उपलब्ध करा दी गई है जिससे ग्रामीण पंचायत में ही बिजली का बिल भर सके और आधार बेस्ड पैसे भी निकाल सके।"

गांव के बाबूभाई पटेल कहते हैं कि डोडिया गांव को अब लोग औषध गांव के नाम से जानने लगे हैं। गांव को ऐसी पहचान मिलने के बाद अब लोग दूर-दूर से गांव को देखने के लिए आते हैं। अब अक्सर हमारे यहां अधिकारी भी आते हैं और गांव में इस तरह की पहल देखकर खुश भी होते हैं और तारीफ भी करते हैं।

ये भी पढ़ें : काली मिर्च की जैविक खेती : एक एकड़ से सालाना पचास लाख तक की कमाई

ये भी देखिए : भारत का वह 'स्मार्ट विलेज', जहां विदेशी भी आकर रहना चाहते हैं.. खूबियां गिनते रह जाएंगे



   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.