धमतरी के नगाड़े की थाप पर छत्तीसगढ़ में चढ़ता है होली का खुमार
Purushotam Thakur 9 March 2020 5:58 AM GMT
धमतरी (छत्तीसगढ़)। रंग और गुलाल का त्योहार होली हर कोई अपने ही रंग में मनाता है। कहीं गुलाल से होली खेली जाती है तो कहीं फूलों से, कहीं होली पर महफिलें सजती हैं तो कहीं होरियारे फाग गाते हैं। छत्तीसगढ़ की होली भी अपने खास रिवाजों के लिए पहचानी जाती है।
छत्तीसगढ़ में नगाड़े की छाप पर फाग गाने का चलन है। इसीलिए ये होली का ये मौका नगाड़ा बनाने वाले कारीगरों के लिए भी कमाई का होता है। छत्तीसगढ़ के धमतरी शहर में होली के कई दिन पहले ही नगाड़ा कारीगरों की दुकानें सज जाती हैं।
धमतरी में घड़ी चौक और इतवारी बाजार में नगाड़ों की मंडियां सज गई है। जहां पर 50 रुपए (छोटा डमरू टाइप) जोड़ी से लेकर 1500 रुपए जोड़ी तक के नगाड़े बिक रहे हैं। अपनी दुकान लगाए बैठे चैतराम बताते हैं, ये उनके लिए कमाई कराने वाला मौका होता है। अगर पूरा माल निकल जाए तो अच्छी मुनाफा हो जाता है। पिछले साल पूरा माल बिक गया था। मेरे गांव में मेरी जूता चप्पल की दुकान हैं, वहां पर ये काम भी करता रहता हूं।"
इसी बाजार में बैठे एक युवा दुकानकार वासु महोबे बताते हैं कि वो बाहर से चमड़ा लाकर दिसंबर में नगाड़े बनाने शुरु करते हैं। छोटे वाले (हड़िया नगाड़े) 50 रुपए का जबकि बड़े वाले 1000 से ऊपर जाते हैं। छोटे वाले में बकरे की खाल लगाई जाती है जबकि बड़े वाले में भैंस की खाल का इस्तेमाल होता है।"
क्या होता है नगाड़ा
नगाड़ा एक वाद्ययंत्र है। जो जिसमे पीछे का हिस्सा लकड़ी या मिट्टी का होता है जबकि आगे पशुओं की खाल से उसे ढोलक की तरह मढ़ा जाता है। आमतौर पर ये जोड़ों में ही बजाए जाते हैं। देश में इसे कई जगह दुन्दुभि भी कहते हैं। नगाड़ा नाटक नौटंकी जैसे कार्यक्रमों में मनोरंजन के नाम पर तो होता ही है हिंदुओं में ये कई जगह मंदिरों में भी बजाता है। कई मंदिरों में आरती के दौरान नगाड़ा बजता है।
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