मेरठ (उत्तर प्रदेश)। तालाब की मिट्टी भी उपजाऊ हो सकती है, शायद विश्वास न हो, लेकिन सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक ने तालाब की मिट्टी पर शोध करके उसकी उर्वरता के बारे में बताया है।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के एक कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर आर. एस सेंगर बताते हैं, “जिस तरह तालाब खत्म हो रहे हैं, अगर किसान तालाब की मिट्टी निकालकर खेत डालते हैं, तो खेत की मिट्टी उपजाऊ होगी और फसल उत्पादन भी बढ़ेगा। यही नहीं नर्सरी का व्यवसाय करने वाले किसान उसी मिट्टी में नर्सरी लगा सकते हैं। इससे तालाब में से मिट्टी निकालने पर तालाब भी गहरे होंगे। इससे बारिश में इसमें जल संरक्षण भी होगा।”
वो आगे कहते हैं, “हमारे देश में 60 में से 46 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है, मृदा उर्वरता में सुधार होने के साथ ही मृदा में भौतिक रासायनिक और जैविक गुणों में आई हुई गिरावट में भी विशेष सुधार देखा गया है। पुराने तालाब की मिट्टी में 8 प्रतिशत नत्रजन और तीन प्रतिशत सुपर फास्फेट पाया जाता है। 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर की दर से इसका उपयोग किया जाता है। तालाब की मिट्टी से पोषक तत्वों की उपलब्धता तीन वर्षों तक होती रहती है। मृदा में उपलब्धता जीवाश्म में वृद्धि के कारण अपने आप बढ़ जाती है, इसमें पोटेशियम कैल्शियम ,मैग्नीशियम भी पाए जाते हैं।”
खेत में तालाब की मिट्टी डालने से लाभ
आर. एस . सेंगर आगे बताते हैं, “हम सभी को मेहनत करके अपने खेत के आसपास तालाब को खोजना होगा, उनका संरक्षण करना होगा और पानी को एकत्र करने के लिए अपनी व्यवस्था स्वयं करनी होगी। तभी हम खेती का खेती को अच्छी प्रकार कर सकेंगे और उसका लाभ उठा सकेंगे। यदि हम तालाबों का निर्माण कर लेते हैं। तो इससे खेत को पानी तो मिलेगा ही साथ ही साथ तालाब की मिट्टी जिसमें कि असंख्य संख्या में जीवाणु इको फ्रेंडली होते हैं बैक्टरिया प्रचुर मात्रा में मौजूद रहते हैं इस मिट्टी का उपयोग किए जाने से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।”
वो आगे कहते हैं, “अभी तक जो परिणाम सामने आए हैं वह अच्छे साबित हो रहे हैं। अभी इस दिशा में प्रयोग किए जा रहे हैं। तालाब की मिट्टी को खेत में इस तरह से बिखेरा जाता है, जैसे खेत में गोबर की खाद को बिखेरा जाता है। उसके बाद खेत की जुताई होने पर तालाब की मिट्टी खेत में मिल जाती है। इसके कई और भी फायदे हैं। तालाब की मिट्टी का उपयोग होने से जहां तालाबों की सफाई हो सकेगी, वहीं तालाबों का संरक्षण भी हो सकेगा।”