इस किसान की फसल को देखने विदेश से आते हैं कृषि वैज्ञानिक
Kirti Shukla | Apr 10, 2019, 09:15 IST
लखीमपुर। गन्ने की खेती में नए प्रयोग करने वाले इस किसान को पांच बार राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार मिल चुके हैं। आज बबलू एक एकड़ में 1150 से 1250 कुंतल गन्ने का उत्पादन कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले की पसगवां ब्लॉक के सदरपुर निवासी कुसुम फार्म के प्रगतिशील किसान अशोक बिहारी मिश्रा लखनऊ विश्वविद्यालय से परास्नातक की डिग्री लेने के बाद, इसके बाद वहीं से एलएलबी किया इसके बाद 1996 में यूपी पीसीएसजे की परीक्षा दी, जिसमें काफ़ी मेहनत करने के बावजूद भी सफ़लता न मिलने से निराशा हुई इसके बाद बबलू अपने पिता जी की खेती में अपने निजी प्रयोग करने लगे की कम लागत में कैसे गन्ना में ज़्यादा मुनाफ़ा कमाया जा सके। आखिर में 2003 में बबलू ने सफ़लता पा ही ली, आज बबलू एक एकड़ में 1150 से 1250 कुंतल प्रति एकड़ गन्ने की कटाई करते हैं, इसके लिए बबलू को पांच बार राज्य स्तरीय प्रथम पुरुस्कार मिल चुका।
गन्ना किसान बबलू मिश्रा ने बताया, "गन्ने के साथ-साथ सहफसली जैसे शिमला मिर्च, गोभी, आलू, लहसुन, प्याज, मटर, खीरा, सरसों की फसल अवश्य लें, इससे हमारी लागत शून्य हो जाती है और सहफ़सल से हमारी लागत निकल आती है। इसमे होता क्या है आज कल किसान भाई कहते हैं कि खेती घाटे का सौदा है लेकिन मेरा मानना है खेती मुनाफ़े का सौदा है, लेकिन इसको सही वैज्ञानिक ढंग किया जाना चाहिए। सहफ़सल से दो लाभ है एक तो खेत मे साफ सफाई रहती है दूसरा उर्वरक सही प्रयोग हो जाता है, मान लिया हमने एक एकड़ खाली गन्ना की बुवाई किया इसमे अगर इसके साथ साथ हम कोई सहफसल की बुवाई कर देते तो इसमें लागत उतनी ही आती जितनी ख़ाली गन्ने में आती है,इस से बेहतर है कि दो फसलों का फ़ायदा लिया जाये। एक एकड़ में अगर तीन बोरी खाद डालते हैं तो उसको एक बार मे ना डालकर के उसको दस बार मे डालिये ऐसे ही पानी की मात्रा को धीरे धीरे गन्ने के खेत में नमी बनी रहने दे ताकि गन्ना सूखे नही और उसमें कोई रोग नही लगेगा।
अधिक लम्बे गन्ने की उपज पाने के अपनाएं यह विधि
गन्ने की फसल में अच्छा मुनाफ़ा कमाने के लिए सब से पहले ढाई ढाई पांच ट्रेंच विधि से बुवाई करें, इसके साथ साथ गन्ने की बधाई अति आवश्यक होती है,पहली बधाई 4 फिट पर दूसरी 8 फिट पर क्रॉस 12 फिट, डबल क्रॉस 15 फिट पर करें, यह ध्यान रहे कि गन्ने की बंधाई करते वक्त उसमे नमी बरकरार रहनी चाहिए नही तो गन्ने का तना टूट जाएगा। इसके बाद गन्ने की ऊपर की छह पत्तियां छोड़ कर के सभी को खेत मे गिरा देना चाहिए ताकि खेत मे जैविक उर्वरा शक्ति बनी रहे।
किसान बबलू मिश्रा ने बताया कि मैंने एक नई विधि का प्रयोग किया है जिसमे में आप बिना रुकावट के बारह महीने खेती कर सकते है, इसके लिए आपको अक्टूबर माह में गन्ने की बुवाई करनी होगी इसके लिए प्रति लाइन से दूसरी लाइन की दूरी 6 फिट होना आवश्यक है। इस विधि की बुवाई से किसान मनचाही फ़सल का फ़ायदा उठा सकते है।जैसे तरबूज है पपीता है, पतली मिर्च है, शिमला मिर्च सहित तमाम फसलें उगाई जा सकती हैं इसका उत्पादन प्रति एकड़ 800 से एक हज़ार प्रति कुंतल होगा, उत्तर प्रदेश में यह एक अनोखी व मील का पत्थर साबित होने वाली फसल है।
डीएससीएल शुगर कम्पनी के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर अजीत श्रीराम भी कई बार हमारे खेत पर आ चुके है, जब भी आते हैं रूपापुर शुगर मिल को तो फार्म पर गन्ना देखने जरूर आते हैं।
बबलू मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2005 में मेरा नाम राष्ट्रपति पुरुस्कार के लिए चयनित हुवा था लेकिन इसी बीच मुझे पेनक्रियाज हो गया जिस से मेरे मेजर 9 ऑपरेशन हुए उसी बीच मेरी कहानी बिगड़ गई। और हमारी खेती डांवाडोल हो गई। इसके बाद फिर मैंने 2015 से पुनः फिर खेती में अग्रसर हुवा।
कुसुम फार्म के प्रगतिशील किसान बबलू कुमार मिश्रा बताया की हमने रोजमर्रा के खर्च को निकालने के लिए आँवला की विभिन्न किस्में लगा रखी हैं, जैसे नरेंद्र7, नरेंद्र6, नरेंद्र10, आनन्द 1,आनन्द 2 और बेर में अली उमराव वही आम की लाल प्रजाति अम्बिका, अर्निका, सूर्या, पूसा, लालिमा, सहित करीब 55 प्रकार की प्रजातियां लगा रखी है, जिस से हमको रोजमर्रा में आने वाले खर्च बड़ी आसानी से निपट जाते है,क्योंकि हमारे किसान भाइयों के आगे सबसे बड़ी समस्या रोजमर्रे के खर्चे है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले की पसगवां ब्लॉक के सदरपुर निवासी कुसुम फार्म के प्रगतिशील किसान अशोक बिहारी मिश्रा लखनऊ विश्वविद्यालय से परास्नातक की डिग्री लेने के बाद, इसके बाद वहीं से एलएलबी किया इसके बाद 1996 में यूपी पीसीएसजे की परीक्षा दी, जिसमें काफ़ी मेहनत करने के बावजूद भी सफ़लता न मिलने से निराशा हुई इसके बाद बबलू अपने पिता जी की खेती में अपने निजी प्रयोग करने लगे की कम लागत में कैसे गन्ना में ज़्यादा मुनाफ़ा कमाया जा सके। आखिर में 2003 में बबलू ने सफ़लता पा ही ली, आज बबलू एक एकड़ में 1150 से 1250 कुंतल प्रति एकड़ गन्ने की कटाई करते हैं, इसके लिए बबलू को पांच बार राज्य स्तरीय प्रथम पुरुस्कार मिल चुका।
ऐसे करे करें गन्ने की बुवाई कम लागत में होगी ज़्यादा उपज
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अधिक लम्बे गन्ने की उपज पाने के अपनाएं यह विधि
गन्ने की फसल में अच्छा मुनाफ़ा कमाने के लिए सब से पहले ढाई ढाई पांच ट्रेंच विधि से बुवाई करें, इसके साथ साथ गन्ने की बधाई अति आवश्यक होती है,पहली बधाई 4 फिट पर दूसरी 8 फिट पर क्रॉस 12 फिट, डबल क्रॉस 15 फिट पर करें, यह ध्यान रहे कि गन्ने की बंधाई करते वक्त उसमे नमी बरकरार रहनी चाहिए नही तो गन्ने का तना टूट जाएगा। इसके बाद गन्ने की ऊपर की छह पत्तियां छोड़ कर के सभी को खेत मे गिरा देना चाहिए ताकि खेत मे जैविक उर्वरा शक्ति बनी रहे।
बिना रुकावट करे गन्ने के साथ साथ मनचाही खेती
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डीएससीएल शुगर कम्पनी के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर अजीत श्रीराम भी कई बार हमारे खेत पर आ चुके है, जब भी आते हैं रूपापुर शुगर मिल को तो फार्म पर गन्ना देखने जरूर आते हैं।
कुसुम फार्म में आंध्रप्रदेश गन्ना कृषि अनुसंधान केंद्र, महाराष्ट्र गन्ना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. हापसे ही नहीं एशिया के ऑस्ट्रेलियन कृषि वैज्ञानिक और थाईलैंड के एशियन डेवलपमेंट विकास बैंक के डायरेक्टर व वैज्ञानिकों ने फार्म हाउस पर आकर के गन्ने की बारीकियों के बारे में अध्ययन किया है।