धान को कीट-पतंगों से बचाने और ज्यादा उत्पादन के लिए अपनाएं ज्ञानी चाचा की सलाह

धान की फसल में रोग और कीट ज्यादा लगते हैं। धान को रोगों से बचाने और ज्यादा उत्पादन के लिए अपनाएं ज्ञानी चाचा की सलाह

Divendra SinghDivendra Singh   29 July 2019 12:42 PM GMT

ज्यादातर क्षेत्रों में किसानों ने धान की रोपाई कर ली है। धान की फसल में रोग और कीट ज्यादा लगते हैं। क्योंकि ये मौसम ही ऐसा होता है। रोग-कीड़े और खरपतवार से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ज्ञानी चाचा आज ऐसा टिप्स दे रहे हैं, जिसमें बिना किसी लागत के धान की पैदावार तो बढ़ेगी ही कीटों से भी छुटकारा म‍िलेगा।

ज्ञानी चाचा अपने भतीजे से कहते हैं, "देखो इस समय धान की फसल की फसल जब बड़ी हो रही होती है, जो उसमें पत्ती लपेटक और फुदका जैसे कई रोग लगने की आशंका बढ़ जाती है। और कीटनाशक कोई भी हो, एक तो उसमें पैसे खर्च होते हैं, दूसरा उसके कई दुष्परिणाम भी होते हैँ। लेकिन इस तरफ धान में पाटा लगाने के कई फायदे हैं।"


धान की अच्छी पैदावार और कीट-रोग से बचाने के लिए देश के कई इलाकों में किसान ऐसे कई तरीके अपनाते हैं। खेती-बाड़ी की भाषा में इन देसी विधियों को स्वदेशी ज्ञान तकनीकी बोलते हैं।

जब खेत में पानी भरा होता है तो कीट पतंगे पत्तों पर हमला करते हैं, वहीं अपने अंडे बच्चे देते हैं। पानी से बचने के लिए पत्तों पर ही घर बनाते हैं। जब ये सेरावन जैसी लकड़ी पानी में चलती है तो पत्तियां पानी में डूबती हैं। जिससे कीट पतंगे पानी में चले जाते हैं, पत्तियां धुल जाती हैं। कीट पतंगों की कालोनियां तबाह हो जाती है। धान की फसल में लकड़ी घुमाने से दो फायदे होंगे एक तो कल्ले (पौधे में ग्रोथ) ज्यादा निकलेंगे दूसरा पत्ती लपेटक कीड़ा भी मर जाएगा।


खरीफ के दौरान नमी ज्यादा रहने पर धान में कई कीट भी लगते हैं। जैसे पत्ती लपेटक, राइज हिस्पा, पत्ती फुदका आदि, इन कीटों की कॉलोनियां पत्तियों पर बसना शुरु होती है, अगर धान रोपाई के 15-20 दिन और दोबारा 30-35 दिन का होने पर उसमें लकड़ी को फिरा दिया जाता है तो पत्तियां पानी में डूबती हैं, जिससे कीड़े मर जाते हैं। अगर खेत में पानी निकाल दिया जाए तो और फायदा होगा।

जापान, चीन, कोरिया, कंबोडिया जैसे देशों में किसान धान की फसल को कीट-पतंगों और रोगों से बचाने के लिए ऐसे तरीके अपनाते हैं। जापान और कोरिया में किसान खेत में बतख पालते हैं, जो कीट पतंगों को खा जाती हैं। जापान और थाईलैंड में कई जगह किसान धान के खेत में मछलियां भी पालते हैं, जो तनों में लगने वाले कीड़ों को चट कर जाती हैं।

एक बात और अगर कीटों का ज्यादा प्रकोप हो तो क्लोरोपाइरीफास ईसी की 1.5 लीटर मात्रा को 500-600 ली. का छिड़काव करें। समय-समय पर फसल की फोटो कृषि वैज्ञानिकों, जिले के कृषि अधिकारियों और कृषि विज्ञान केंद्र वालों को दिखाते रहना चाहिए।

ये भी देखि‍ए : ज्ञानी चाचा और भतीजा के इस भाग में देखिए कैसे बनाएं वर्मी कम्पोस्ट

ये भी देखि‍ए : ज्ञानी चाचा से जानिए मुनाफे वाली फसल स्ट्रॉबेरी की खेती का तरीका

ये भी देखि‍ए : ज्ञानी चाचा की सलाह : कीटनाशकों के छिड़काव के समय रखें इन बातों का ध्यान



#Gyani Chacha #paddy crop #video 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.