मेहसाणा (गुजरात)। “पढ़ाई भले ही विदेश में कर रहे थे, लेकिन दिल में हमेशा से था कि नौकरी हो या फिर व्यवसाय अपने गाँव में लौटकर परिवार के साथ ही करना है, “ऑस्ट्रेलिया से पढ़ाई कर वापस अपने गाँव में पशुपालन के साथ खेती करे रहे युवा किसान विजय चौधरी (35 वर्ष) कहते हैं।
विजय चौधरी ने ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर का कोर्स किया और पूरे छह साल तक ऑस्ट्रेलिया में रहे। उस दौरान इन्होंने पशुपालन और खेती से जुड़ी तमाम जानकारियां हासिल की। फिर एक दिन तय किया क्यों न मैं अपने गाँव में ही पशुपालन और खेती करूं। और उसके बाद अपने गाँव पहुंच गए।
वो बताते हैं, “जब 2014 में घर पर आया और मैंने पशुपालन का काम शुरु किया। गाँव के लोग पशुपालन तो कर ही रहे थे मगर कोई युवा वर्ग इसमें रूचि नहीं लेता था। मैं गाँव का पहला युवा था जो विदेश में पढ़ाई करके इस क्षेत्र में कार्य कर रहा था। घर वालों का साथ मिला और मैंने इसमें कार्य करना शुरू किया। दूध निकालने के लिए मिल्क मशीन लगाया जो पहली बार मेरे गाँव में लगाया गया था। इसका फायदा यह था की दूध निकालने में समय ज्यादा नहीं लगता था। विदेशों में लेबर कम और काम ज्यादा होता है। इसका फायदा मिल्क मशीन के द्वारा ही पूरा हो रहा था।”
बिजनेस तो विजय ने पशुपालन के क्षेत्र से शुरु किया गया, लेकिन धीरे-धीरे इन्होने खेती में भी अपनी रूचि बढ़ाई और 25 बीघे की खेती करने का निर्णय लिया। और आज ये पशुपालन और खेती के बदौलत महीने का 50 हजार रुपए कमा रहे हैं, सबसे बड़ी बात यह है की ये अपने खेती में ऑर्गेनिक तरीके से ही करते हैं।
वो आगे कहते हैं, “जो पशुओं का गोबर होता है मैं उसका उपयोग खेती में खाद में खाद के रुप में करता हूं। 2014 के बाद से अब तक मैंने बाजार से खाद नहीं ख़रीदा है। इन खाद के उपयोग से उत्पाद भी ज्यादा होता है।”
ये मानते है कि अगर मै विदेश में रहता तो महीने का 70 से 80 हजार रुपए कमा सकता था, लेकिन मैं अपने परिवार के साथ रहते हुए अच्छी कमाई कर रहा हूं। आज विजय पर उनका परिवार गर्व तो कर ही रहा है साथ ही आज इनके इस सोच के साथ गाँव के अनेक युवा भी इस क्षेत्र में रुचि ले रहे हैं।